कांगेरघाटी में ग्रीन गुफा की खोज: मिला 200 मीटर का रहस्यमयी गलियारा

कांगेरघाटी में ग्रीन गुफा की खोज : मिला 200 मीटर का रहस्यमयी गलियारा
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 कांगेरघाटी में ग्रीन गुफा 

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहले से ही 11 गुफाओं का समूह मौजूद है, जिनमें से केवल तीन गुफाएं कुटुमसर, कैलाश और दंडक को पर्यटकों के लिए खोला गया है।

महेश विश्वकर्मा - जगदलपुर। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहले से ही 11 गुफाओं का समूह मौजूद है, जिनमें से केवल तीन गुफाएं कुटुमसर, कैलाश और दंडक को पर्यटकों के लिए खोला गया है। ग्रीन गुफा जो हाल ही में खोजी गई है, वन विभाग की टीम के लिए एक नई उपलब्धि है। इस गुफा के अंदर 200 मीटर तक पहुंचने के बाद, पानी के जमा होने के कारण टीम को आगे बढ़ने में रुकावट का सामना करना पड़ा।

गुफा की संरचना कुटुमसर गुफा से मिलती-जुलती है, जिसकी छत 60 से 80 फीट ऊंची है। गुफा के भीतर चूना पत्थर से बने विशाल स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स चट्टाने मौजूद हैं, जो इसे एक प्राकृतिक चमत्कार बनाते हैं।


स्टैलेक्टाइट्स व स्टैलेग्माइट्स चट्टानें
ग्रीन गुफा में चूना पत्थर की संरचनाएं मौजूद है, जिन्हें स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स कहते है। स्टैलेक्टाइट्स गुफा की छत से लटकते हैं और कैल्शियम काबोनेंट युक्त पानी के टपकने से बनते हैं। दूसरी ओर, स्टैलेग्माइट्स जमीन पर खनिजों से युक्त पानी की बूंदों के जमा होने से बनते हैं। ये संरचनाएं चूना पत्थर से बनी होती हैं। ये संरचनाएं बेहद नाजुक होती हैं और मानवीय गतिविधियों से आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

इसलिए किराए पर लगाम नहीं
बसों में मनमाना किराया वसूली को लेकर जिम्मेदार परिवहन अधिकारियों से बात करने पर बताया कि लंबी दूरी के लिए बस ऑपरेट करने वाले बस ऑपरेटर ऑल इंडिया परमिट बनावाकर बस संचालित करते हैं। ऑल इंडिया परमिट बनवाने पर बस ऑपरेटर रोड टैक्स की राशि एकमुश्त जमा कर देता है, इसलिए उनका बस किराया भाड़ा फ्लेक्सिबेल रहता है। अर्थात किराया भाड़ा में उतार चढ़ाव होता रहता है।


गुफा का अनूठा हरा रंग
ग्रीन गुफा का नाम इसके अनोखे हरे रंग के कारण पड़ा है। गुफा के कई हिस्सों और स्टैलेक्टाइट्स पर लाइकेन की परत चढ़ी हुई है, जो इसे एक चमकदार हरा रंग प्रदान करती है। लाइकेन जो एक प्रकार का सहजीवी जीव है, पेड़ों की छाल, चट्टानों और अन्य सतहों पर पाया जाता है। यह पपड़ी, पत्तियों या बालों जैसे आकार में हो सकता है और इसका रंग हरा, पीला या लाल हो सकत है। ग्रीन गुफा में लाइकेन की मौजूदगी इसे अन्य गुफाओं से अलग करती है, क्योंकि यह प्राकृतिक रंग और बनावट इसे एक अनोखा दृश्य प्रदान करते हैं।

पर्यटन की संभावनाएं
कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक नवीन कुमार ने बताया कि ग्रीन गुफा को जल्द ही पर्यटकों के लिए खोलने की योजना है। वन विभाग ने इसके लिए तकनीकी मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है और मंजूरी मिलते ही यह गुफा आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। कांगेर घाटी की अन्य गुफाओं, जैसे कुटुमसर और कैलाश को पहले ही विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया जा चुका है और ग्रीन गुफा के खुलने से इस क्षेत्र का पर्यटन और भी बढ़ेगा।

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