कोंटा में निकली भव्य विसर्जन शोभायात्रा: भक्ति और उल्लास से गूंजा नगर, चार राज्यों के श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

कोंटा में निकली भव्य विसर्जन शोभायात्रा
लीलाधर राठी- सुकमा। छत्तीसगढ़ के कोंटा में शनिवार को धूमधाम से विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई। इस अवसर पर पूरा शहर भक्ति और श्रद्धा के रंगों से सराबोर रहा। 69वें शारदीय नवरात्र महोत्सव के समापन अवसर पर नगर के हर कोने से हजारों श्रद्धालु जय माता दी के उद्घोष के साथ शोभा यात्रा में शामिल हुए। वहीं डांडिया नृत्य, देवी झांकियाँ, DJ की धुन और रंग-बिरंगी रोशनी से पूरा नगर देवमय बना रहा। इस दौरान चार राज्यों छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
रात्रि 12 बजे शबरी नदी में माता रानी का विसर्जन किया गया। इसके बाद मंदिर प्रांगण में रावण वध का रोमांचक दृश्य हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में संपन्न हुआ। आंध्र प्रदेश से मंगवाई गई भव्य आतिशबाजियों की गूंज और आसमान में चमकते रंगों ने रात को यादगार बना दिया। विसर्जन शोभा यात्रा में तितलागढ़ (ओडिशा) के कलाकारों की नृत्य प्रस्तुतियाँ समेत भगवान के विविध स्वरूपों की झांकियाँ लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहीं थीं। नगर में ऐसा आलौकिक दृश्य बना कि चारों दिशाओं से केवल 'जय माता दी' की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी।

69 वर्षों से जारी है आस्था की परंपरा
कोंटा का शारदीय नवरात्र महोत्सव अब केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आस्था और एकता का प्रतीक बन गया है। लगभग सात दशक पूर्व जब कोंटा एक छोटा कस्बा था, तब पुरानी बस्ती (वार्ड 14 और 15, कोल्हुपारा) में श्रद्धालुओं ने इस परंपरा की नींव रखी थी। तब झांकी केवल तीन बैलगाड़ियों में निकलती थी और गांव के लोग अपनी मेहनत और भक्ति से माता रानी के स्वरूप को साकार करते थे। आज, समय के साथ आधुनिकता आई है, लेकिन श्रद्धा वैसी ही अटल बनी हुई है। पिछले एक दशक से नगर में 11 ट्रैक्टरों पर सजी भव्य झांकियाँ निकलती हैं, जिन्हें देखने के लिए 100 किलोमीटर तक से श्रद्धालु आते हैं। कोंटा का दशहरा अब बस्तर नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण छत्तीसगढ़ का आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है।

सुरक्षा के मोर्चे पर कोंटा पुलिस की सजगता रही सराहनीय
चार राज्यों से उमड़ी भीड़ और राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-30) पर लगातार यातायात के बीच पुलिस प्रशासन ने अभूतपूर्व व्यवस्था बनाई। हर प्रमुख चौराहे और मार्ग पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। कोंटा के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वयं मैदान में उतरकर ट्रैफिक को नियंत्रित किया ताकि श्रद्धालुओं को दर्शन में कोई असुविधा न हो।कोंटा पुलिस की सर्तकता के चलते पूरी शोभा यात्रा शांति और अनुशासन के साथ संपन्न हुई। एनएच-30 पर वाहनों का सुचारू संचालन, श्रद्धालुओं की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था को लोगों ने खूब सराहा। स्थानीय नागरिकों ने भी कहा कि, इस वर्ष की पुलिस व्यवस्था अब तक की सबसे बेहतर रही।

कोंटा का दशहरा बना चार राज्यों की आस्था का संगम
कोंटा का दशहरा अब केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि चार राज्यों की संस्कृति और भक्ति का मिलन स्थल बन चुका है। शबरी तट पर माता रानी के विसर्जन के क्षणों में जब आसमान में आतिशबाजी और नदी में दीपों की लौ एक साथ चमकी, तो दृश्य ऐसा था मानो पूरा कोंटा देवभूमि बन गया हो। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और परंपरा की पहचान बन चुका है। 69 वर्षों से सतत जारी यह आयोजन बताता है कि, आस्था की जड़ें कितनी गहरी हैं और कोंटा की भूमि अब भी उतनी ही पवित्र है जितनी उसके आरंभिक दिनों में थी।
