3.50 लाख किसानों को राहत: अब सोसाइटियों में होगा धान बेचने का पंजीयन, 10 से शुरुआत

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छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए और केंद्र-राज्य सरकार की कृषि संबंधी योजनाओं का लाभ लेने से किसान वंचित नहीं होंगे।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए और केंद्र-राज्य सरकार की कृषि संबंधी योजनाओं का लाभ लेने से किसान वंचित नहीं होंगे। राज्य में करीब साढ़े तीन लाख किसानों के एग्रीस्टैक में पंजीयन में आ रही दिक्कत के मद्देनजर अब सीएससी की जगह सोसाइटियों में पंजीयन होगा। यह व्यवस्था 10 सितंबर से लागू की जाएगी। भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल पहल है, जो कृषि क्षेत्र के लिए एक एकीकृत डेटाबेस और डिजिटल सेवाओं का मंच है, जिसके तहत किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अपनी जानकारी पंजीकृत करानी होगी।

छत्तीसगढ़ में धान बेचने वाले किसानों के लिए एग्रीस्टैक पंजीकरण अनिवार्य है, और यह पंजीकरण किसानों को भूमि रिकॉर्ड, आय, फसल और बीमा इतिहास से जुड़ी जानकारी का एक संपूर्ण डेटाबेस बनाने में मदद करता है। एग्रीस्टैक भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक डिजिटल फाउंडेशन है, जो किसानों के डेटा को व्यवस्थित करने और एकीकृत करने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य किसानों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं और डिजिटल सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाना है।

साढ़े तीन लाख किसानों के लिए अवसर
राज्य में एग्रीस्टैक का पंजीयन शुरू होने का बाद से अब तक 22 लाख 40 हजार किसानों का पंजीयन हो चुका है। पिछले साल धान बेचने वालों किसानों की संख्यां 25 लाख 49 हजार के करीब है। इस तरह बचे हुए करीब साढ़े तीन लाख किसान अब अपने क्षेत्र की सोसाइटियों में जाकर एग्रीस्टैक पंजीयन 10 सितंबर से करवा सकेंगे। इस बदलाव के लिए केंद्र सरकार सहुलियत दी है। वजह ये है कि सोसाइटी क्षेत्र के सभी किसानों डाटा सोसाइटियों के पास पहले ही मौजूद है।

छत्तीसगढ़ में थी अब तक ये परेशानी
राज्य में एग्रीस्टैक पंजीयन को लेकर पिछले कई दिनों से राज्य भर से ये जानकारी सामने आ रही थी, किसानों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है। किसानों को डर था कि कहीं वे धान बेचने से वंचित न हो जाएं। खास बात ये है कि राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ 40 लाख किसानों का मिलता है, इनका पूरा डाटा भारत सरकार के रिकॉर्ड में है। इसी तरह राज्य में पिछले साल 25 लाख 49 हजार किसानों ने धान बेचा था, इनका डाटा राज्य और केंद्र के पास है, लेकिन इसके बावजूद करीब साढ़े तीन लाख किसानों का एग्रीस्टैक में पंजीयन नहीं हो पा रहा था।

कौन से किसानों का पंजीयन था बाधित
राज्य में जिन साढ़े तीन लाख किसानों का एग्रीस्टैक में पंजीयन नहीं हो पाया है, उनके संबंध में जानकारी है कि ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों का पंजीयन हो रहा है, लेकिन नगर पंचायत क्षेत्र में रहने वालों का नहीं हो रहा है। इसी तरह ये बात भी सामने आई कि जिन किसानों ने साल-दो साल पहले जमीन खरीदी है और केंद्र- राज्य सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं लिया है, उनका डाटा भी सरकार के पास नहीं है, उनका भी पंजीयन नहीं हो पा रहा था। जो किसान वन भूमि पट्टे पर खेती करते है, जो कृषि लोन नहीं लेते और न ही फसल बीमा में शामिल होते हैं। दरअसल इन किसानों ने केंद्र या राज्य सरकार की कृषि संबंधित किसी योजना का लाभ नहीं लिया है, इसलिए उनका डाटा सरकार के पास नहीं है।

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