बलौदाबाजार जिले में पराली जला रहे किसान: कलेक्टर बोले- जलाए नहीं, खाद बनाने के लिए किसानों को करेंगे जागरूक

बलौदाबाजार जिले में पराली जला रहे किसान : कलेक्टर बोले- जलाए नहीं, खाद बनाने के लिए किसानों को करेंगे जागरूक
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 पराली जला रहे किसान

बलौदाबाजार जिले में धान कटाई का दौर शुरू होते ही खेतों में पराली जलाने की घटनाएँ बढ़ने लगी हैं। कलेक्टर ने लोगों से पराली न जलाने अपील की है।

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में धान कटाई का दौर शुरू होते ही खेतों में पराली जलाने की घटनाएँ बढ़ने लगी हैं। पराली जलाना न सिर्फ वायु प्रदूषण को गंभीर रूप से बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता पर भी भारी असर डालता है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पराली जलने से मिट्टी के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि कठोर होती है और फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। जागरूकता बढ़ाने और इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन एवं कलेक्टर दीपक सोनी ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रत्येक ग्राम में पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, सचिव और कोटवार का संयुक्त दल गठित किया गया है, जो लगातार खेतों का निरीक्षण कर किसानों को सही तरीके से फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी देगा।

पराली से खाद बनाने के लिए किसानों को करेंगा प्रोत्साहन
दल किसानों को पराली को पशुचारे के रूप में उपयोग, कम्पोस्ट खाद बनाने और अन्य कृषि उपयोगों के लिए प्रोत्साहित करेगा। इसके बावजूद कई किसान पराली जलाना शुरू कर चुके हैं, जो चिंता का विषय है। पराली जिसे पशुओं के लिए चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता था, वह जलकर नष्ट हो रही है। इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव सड़कों पर खुले घूमने वाले उन मवेशियों पर पड़ रहा है, जो पर्याप्त चारा न मिलने के कारण भूखे भटक रहे हैं।

कलेक्टर ने लोगों से पराली न जलाने की अपील
कलेक्टर दीपक सोनी ने किसानों से अपील की है कि, वे पराली न जलाएँ और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें। धुएँ से मानव स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान, मिट्टी की खराब होती संरचना और पशुओं की समस्या को देखते हुए जागरूकता ही वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता है। सामूहिक प्रयास से ही गांवों को प्रदूषण मुक्त और कृषि भूमि को उपजाऊ बनाए रखा जा सकता है।

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