हरिभूमि डॉट कॉम की खबर का असर: धान खरीदी केंद्र में तत्काल हुई नए कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति, किसानों ने ली राहत की सांस

धान खरीदी केंद्र में तत्काल हुई नए कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति
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 धान खरीदी केंद्र में तत्काल हुई नए कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति

हरिभूमि डॉट कॉम में खबर प्रकाशित होने के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति कर दी गई है। पूर्व में ऑपरेटर के ज्वाइनिंग नहीं करने से किसानों को परेशानी हो रही थी।

राजीव लोचन साहू- सक्ती। छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में हरिभूमि डॉट कॉम की खबर का बड़ा असर हुआ है। कंप्यूटर ऑपरेटर के नदारद होने वाली खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन ने स्वत: संज्ञान लिया है जिसके बाद अब खरीद केंद्र में नए कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति कर दी गई है। जिसके बाद अब किसानों ने राहत की सांस ली है।

बता दें कि, मामले को हरिभूमि डॉट कॉम ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद अब प्रशासन की तत्काल हरकत में आया और नए ऑपरेटर की नियुक्ति कर दी। वहीं अब नई नियुक्ति के बाद किसानों को धान बेचने, टोकन प्राप्त करने में राहत मिलेगी। इस दौरान ग्रामीणों और किसानों ने राहत व्यक्त करते हुए हरिभूमि डॉट कॉम की सराहना की है।

आदेश के बाद भी पूर्व ऑपरेटर ने नहीं की थी ज्वाइनिंग
घिवरा सहकारी समिति के संस्था प्रबंधक जगदीश कश्यप ने सुरेश देवांगन का नाम कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में प्रस्तावित किया है। जिसके बाद उन्हें केन्द्र में कम्प्यूटर ऑपरेटर की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इधर, कलेक्टर के आदेश के बावजूद पूर्व में पदस्थ लक्ष्मीनारायण मांझी ने ज्वाइनिंग नहीं की थी, जिसके चलते खरीदी केन्द्र में अफरा–तफरी का माहौल बन गया था। कंप्यूटर ऑपरेटर के अभाव में किसानों को धान बेचने में भारी परेशानी उठानी पड़ रही थी।

जानिए क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ में इन दिनों समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जोरों पर है इसी बीच सक्ती जिले के घिवरा धान खरीदी केंद्र में अफरा- तफरी मची हुई थी। खरीदी केंद्र से कंप्यूटर ऑपरेटर के नदारद होने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। दिनभर मशक्कत करने के बाद भी धान खरीदी सुचारू तरीके से नहीं हो पा रही थी।

धान खरीदी हो रही थी प्रभावित
जिले के सेवा सहकारी समिति घिवरा में किसान धान बेचने के लिए पहुंचे थे। लेकिन इस बीच कंप्यूटर ऑपरेटर के नदारत होने के कारण उनका काम नहीं हो पा रहा था। जिसके चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। बताया जा रहा था कि, दिनभर की मशक्कत के बावजूद धान खरीदी सुचारू रूप से नहीं हो पा रही थी।

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