नकली दवाओं का कनेक्शन भाटापारा तक: पहले भी आ चुकी खेप, तीन और दवाओं पर शक

नकली दवाओं का कनेक्शन भाटापारा तक : पहले भी आ चुकी खेप, तीन और दवाओं पर शक
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File Photo 

नकली दवा के कारोबार का लिंक सारंगढ़ के बाद भाटापारा से जुड़ गया है। इस बात की आशंका भी पुष्ट होती जा रही है कि इस दवा का गोरखधंधा पहले भी पूरा हो चुका है।

रायपुर। सौ रुपए से कम लागत में बनने वाली नकली एंटीबायोटिक दवा को 295 रुपए की एमआरपी पर ग्राहकों को खपाए जाने की साजिश थी। नकली दवा के कारोबार का लिंक सारंगढ़ के बाद भाटापारा से जुड़ गया है। इस बात की आशंका भी पुष्ट होती जा रही है कि इस दवा का गोरखधंधा पहले भी पूरा हो चुका है। सारंगढ़ के कारोबारी के पास रिटेल का लायसेंस है मगर दवा का घर में गोदाम रखना अवैध था। वहां मिली दो और दवाओं को जांच के घेरे में लिया गया है।

गोगांव के ट्रांसपोर्ट में लावारिस हालत में मिली एंटीबायोटिक की नकली दवा का खेल धीरे-धीरे बढ़ा होता जा रहा है जांच टीम के दायरे में सारंगढ़ के बाद भाटापारा का दवा व्यापारी भी आ गया है। प्रारंभिक पूछताछ में बात सामने आई है कि भाटापारा के एजेंसी संचालक की सारंगढ़ दवा भेजने में भूमिका है। मामला इसलिए भी गंभीर होता जा रहा है कि दवा की सप्लाई पहले भी राज्य में किए जाने की आशंका बढती जा रही है।

जांच टीम ने 160 तरह की दवाएं जब्त की
गोगांव के ट्रांसपोर्ट में बरामद की गई दवा की एमआरपी 295 रुपए है, मगर इसके निर्माण और उसे रिटेलर तक पहुंचाने की लागत सौ रुपए के लगभग है। जांच टीम सारंगढ़ में रहकर दवा कारोबारी से पूछताछ कर रही है। अफसरों के मुताबिक, खेमराम केसरवानी के पास रिटेल यानी चिल्हर दवा कारोबार का लायसेंस है, मगर इसके आधार पर थोक का कारोबार और दवाओं का बिना दस्तावेज अनावश्यक स्टॉक रखने की परमिशन नहीं है। इनमें जिन दो और दवाओं के नकली होने का संदेह है वह भी सर्दी-खांसी जैसी बीमारी के इलाज में उपयोग आने वाली है। जांच टीम ने वहां 160 तरह की दवाएं जब्त की है, जिसमें ज्यादातर जेनेरिक हैं।

पुष्टि का प्रयास
जिला सहायक संजय नेताम ने बताया कि, दवा कारोबारी से पूछताछ के बाद मिली जानकारी के आधार पर लिंक जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। भाटापारा के दवा कारोबारी के ठिकानों से भी सैंपल लिए गए हैं।

बैक्टीरिया पर असरहीन
सूत्रों के अनुसार, बरामद की गई नकली दवाओं में जिस मॉलीक्यूल मिलाने का जिक्र है, उसकी तनिक भी मात्रा नहीं है। यानी सीधे-सीधे शब्दों में यह सफेद पावडर है। चिकित्सकीय की सलाह पर इस दवा का उपयोग अगर मरीज करता है तो उसका कोई फायदा नहीं मिलेगा। सफेद पावडर होने की वजह से यह बीमारी से संबंधित बैक्टीरिया को मारने में कारगर नहीं है। इसलिए बीमार मरीज को इलाज के दौरान इसका कोई बड़ा लाभनहीं मिल पाता।

नकली दवा के पुराने कारोबारी का कर्मचारी
नकली दवा के मामले में भाटापारा के जिस कारोबारी के जांच के दायरे में लाया गया है, वह पांच साल पहले 20 लाख की नकली एंटीबायोटिक दवा के साथ पकड़े गए दवा व्यापारियों की एजेंसी का कर्मचारी था। उस दौरान मामला सामने आने के बाद एजेंसी बंद हो गई थी। इस बार पकड़े गए मामले में पुराने कर्मचारी की संलिप्तता का मामला बड़ा गंभीर होता जा रहा है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि उस दौरान पकड़े गए मामले के ठंडा होने के बाद पुनः नकली दवा के कारोबार की शुरुआत तो नहीं हो चुकी है।

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