खास बातचीत: वित्त मंत्री चौधरी ने कहा-सरकार सर्व हित में लेती है फैसले, काले धन पर चोट का सिलसिला जारी ही रहेगा

खास बातचीत : वित्त मंत्री चौधरी ने कहा-सरकार सर्व हित में लेती है फैसले, काले धन पर चोट का सिलसिला जारी ही रहेगा
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हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की वित्त मंत्री ओपी चौधरी से खास बातचीत। 

हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की वित्त मंत्री ओपी चौधरी से खास बातचीत। यहां देखें वीडियो-

रायपुर। प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने साफ कहा कि जमीन की नई गाइडलाइन के बाद काले धन का काम करने वालों को परेशानी हुई है, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन हमारी सरकार कुछ लोगों के लिए काम करने वाली नहीं है। सरकार सर्व हित में फैसला लेती है। जनभावनाओं के अनुरूप फैसला लिया गया है। अलबत्ता काले धन पर चोट करने का सिलसिला प्रदेश में लगातार जारी रहेगा। काले धन के कारण ही देश और प्रदेश का विकास बाधित होता है। हमारी सरकार विकास के लिए काम करती है। ऐसे में काले धन पर चोट तो होती रहेगी। हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी के साथ इस ज्वलंत मुद्दे पर बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश-

आपसे जमीनों की गाइडलाइन को लेकर जानना चाहते हैं कि मामला क्या है आखिर, क्या दो कदम आगे जाकर पीछे आए हैं या दो कदम और आगे गए हैं?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार प्रदेश के आखिरी छोर में खड़े व्यक्ति को देखकर ही कोई भी फैसला करती है। पंजीयन और गाइडलाइन की जो प्रक्रिया है उसमें लगातार दो साल से रिफार्म किए जा हैं, ताकि आम जनता को लाभ हो सके। गाइडलाइन को लेकर कुछ आदेश पहले निकले, कुछ आज भी निकले हैं। पहले जो भी निर्णय लिए गए थे, वो आम जनों के हित में थे ताकि किसानों को सही मुआवजा मिल सके और मध्यम वर्ग को ऋण लेने में सुविधा मिल सके। आज जो आदेश किए हैं, उसमें कुछ बिंदुओं में बदलाव किया गया है। पहले यह था कि चाहे कोई आधा एकड़ जमीन ले या फिर एक एकड़ जमीन ले, उसकी पहले 15 हजार वर्गफीट की गणना वर्गफीट के आधार पर होनी थी। लेकिन अब इस इंक्रीमेंटल प्रावधान को नए आदेश में समाप्त कर दिया गया है। अब पूर्व प्रचलित उपबंध अनुसार नगर निगम क्षेत्र में 50 डेसिमल तक, नगर पालिका में 375 डेसिमल तक, और नगर पंचायत में 25 डेसिमल तक स्लैब दर से मूल्यांकन के प्रावधान को यथावत लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। आप पत्रकार लोग प्रयोग करते हैं कि यह सरकार का यूर्टन है क्या, ऐसा कुछ नहीं है। जनता के हित में सरकार का यह उठाया गया कदम है।

पहले जो निर्णय लिया गया था वो आखिर किनको पसंद नहीं आया, इस संबंध में कुछ बताएं?
जमीनों में पहले वर्गफीट का रेट अलग होता था हेक्टेयर का रेट अलग होता था। इसके कारण बहुत सारे स्कैम हो गए। जैसे भारतमाला में भी स्कैम हुए। लोगों ने जमीनों के टुकड़े-टुकड़े करके करोड़ों रुपए का ज्यादा मुआवजा लेने का काम किया। इसके कारण भारत सरकार से योजनाओं के लिए जो पैसा मिल सकता था, वह भी नहीं मिल पाया। इसी वजह से केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने कहा- आप अपने सिस्टम को सुधारें। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव को भी कहा। इसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई कि इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है। इस कमेटी की अनुशंसा के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में वर्ग फीट के रेट को समाप्त करके हेक्टेयर का रेट लागू किया गया। वर्ग फीट और हेक्टेयर के रेट में 12 से 15 गुना का अंतर था। ऐसे में कई स्थानों पर हेक्टेयर के रेट में तीन से चार गुना इजाफा करना पड़ा। ऐसे में कुछ स्थानों पर अव्यवहारिक स्थिति उत्पन्न हुई। मैं बताना चाहता हूं, प्रदेश में दस हजार से ज्यादा अनावश्यक रूप के कंडिकाएं बना दी गई थीं। इसमें से करीब चार हजार कंडिकाओं को समाप्त करने का फैसला किया गया। उसके कारण भी कई जगहों पर अव्यवहारिक स्थिति बनी है। जहां पर भी ऐसी स्थिति बनी है, उसको सुधारने के लिए तैयार हैं।



क्या चोट काले धन के खपाने पर की गई थी ?
आम जनता का हित ही हमारी सरकार का मकसद है। कहीं से भी ऐसी मंशा नहीं थी कि राजस्व में इजाफा कर लिया जाए। बाजार और गाइडलाइन के दाम में 10 से 15 गुना का अंतर हो जाए या किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है। ऐसे कदम जब उठाए जाते हैं तो काला धन खपाने वालों को भी चोट होती ही है। इतनी ज्यादा कंडिका थी कि अगर किसी की सेटिंग हो गई तो कम दर लगा देते थे, सेटिंग न होने पर ज्यादा दर लगा देते थे। इन सबको समाप्त करने वाला फैसला हमने किया है।

बड़ा खेल करने वालों की प्रतिक्रिया से साय सरकार घबरा तो नहीं गई ?
सरकार कुछ लोगों के हित के लिए काम करने वाली नहीं होती है। सरकार सर्व जन का हित देखती है।

आम आदमी को नए नियम के बाद फ्लैट लेने में कितने की बचत होगी ?
पंजीयन शुल्क में जो पहले पैसे लगते थे, उसमें 20 से 30 फीसदी की बचत हो जाएगी।

कोरोना काल में पंजीयन शुल्क 0.8 था उसको चार फीसदी कर दिया गया था, इसको कब कम किया जाएगा ?
कांग्रेस वालों को तो इससे कोई लेना-देना नहीं था, उनके पास तो कोयले का पैसा, शराब का पैसा, सट्टे का पैसा था जिसको खपाना था। ऐसे उदाहरण भी है कि दस दिनों के लिए गाइडलाइन रेट को कम कर दिया गया था। शीघ्र ही सरकार आम जनों के लिए उचित समय पर पंजीयन शुल्क में राहत देने का काम करेगी।

आपने 31 दिसंबर तक जो सुझाव मंगाए हैं वो क्या है ?
जिन स्थानों पर किसी भी तरह की परेशानी है उसके लिए केंद्रीय मूल्यांकन समिति ने 31 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं। अभी जो नई गाइडलाइन आई है वह लागू है, उस पर 31 दिसंबर तक कोई रोक नहीं है। जहां पर किसी भी तरह के संशोधन की जरूरत होगी, उसको आगे भी किया जाएगा, 'जैसे आज किया गया है। जहां पर अव्यवहारिकता वाली बात सामने आएगी उसको 31 दिसंबर के बाद ठीक कर लिया जाएगा। इसके बाद भी अगर कहीं परेशानी होगी तो उसको भी ठीक किया जाएगा। हमने एक्ट में बदलाव कर दिया है। अब अप्रैल में ही संशोधन वाली बात नहीं रह गई है। सरकार को जब लगेगा कि यहां पर संशोधन करना जरूरी है तो कभी भी संशोधन किया जा सकेगा।

प्रदेश में क्या काले धन पर चोट करने वाले निर्णय आगे भी जारी रखेंगे ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे लिए प्रेरणा हैं। हमारे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी उनके पथ पर चल रहे हैं। काले धन को जब तक समाप्त नहीं किया जाएगा, देश और प्रदेश का विकास नहीं होगा। इसके लिए जो भी कदम उठाने पड़ेंगे हम उठाएंगे।

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