एर्राबोर हॉस्टल का बुरा हाल: थाली में खाना लेकर NH 30 को पार करते हैं छात्र

थाली में खाना लेकर NH 30 को पार करते हैं छात्र
रफीक खान- कोंटा। विकासखंड के एर्राबोर प्री मैट्रिक बालक छात्रावास के छात्र अपनी जान जोखिम में डाल कर भोजन करने को मजबूर हैं। यहां रसोई कक्ष का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है जबकि सालों से छात्रावास के अधीक्षक जमे हुए हैं। ग्राम एर्राबोर में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के बगल में 55 सीटर बालक हॉस्टल संचालित है। वर्तमान में यहां 108 छात्र रह रहे हैं। छात्रावास में आज पर्यन्त तक स्थाई रसोई कक्ष का निर्माण ही नहीं हुआ है। छात्र सड़क के दूसरे छोर में मौजूद प्राथमिक शाला में बने रसोई कक्ष में भोजन बनने के पश्चात उसे अपने थाली में लेकर अपने छात्रावास कक्ष में लाकर खाते हैं।
इस दरमियान छात्र 100 मीटर चलकर सड़क पार कर भोजन लेने अपनी जान जोखिम में हर दिन डालकर आना जाना करते हैं। एक ओर भोजन की थाली से दाल सब्जी गिरने तो दूसरी ओर तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आने का डर बना रहता है। छात्रों के लिए भोजन बनाने गैस सिलेंडर चूल्हे की सुविधा प्रशासन द्वारा दी गई है किंतु वह भी उपयोग में नहीं लिया जा रहा है। जलाऊ लड़की से प्रतिदिन भोजन नास्ता बनाया जाता है। लकड़ी के चूल्हे के लिए रसोई कक्ष तथा छात्रों को बैठकर खाने के लिए कक्ष का निर्माण बीते पांच दशक के आस-पास से संचालित एर्राबोर बालक छात्रावास में नहीं है।
छात्रावास में सुविधाओं का अभाव पानी- टंकी और बाल्टी भी नहीं
जनपद उपाध्यक्ष कोंटा शिक्षा समिति के सभापति माड़वी हिड्मा ने एर्राबोर बालक छात्रावास का अनेक बार निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि छात्रावास में नहाने के लिए पानी टंकी, बाल्टी की व्यवस्था नहीं है। साथ ही मेनू के हिसाब से छात्रों को भोजन भी नहीं कराया जाता है। हम जितने भी बार निरीक्षण में गये अधीक्षक अनुपस्थित पाए गए । बड़ी बात तो यह है कि छात्र जान जोखिम में डालकर एनएच सड़क पारकर भोजन लेने दूसरे स्कूल के रसोई कक्ष से आना जाना करते हैं। व्यवस्था सुनिश्चित करने जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया गया था किंतु आज पर्यन्त तक संबंधित अधिकारी, अधीक्षक द्वारा इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया है।
