डीपीएस दुर्ग का वार्षिकोत्सव: डिप्टी सीएम साव बोले - इतना बड़ा बनिए कि देश में आपका नाम हो

डीपीएस दुर्ग के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी
भिलाई। दिल्ली पब्लिक स्कूल जुनवानी दुर्ग में बुधवार को वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव अनुगूंज 25 गरिमामय एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव रहे। अपने संबोधन में श्री साव ने कहा कि इतना बड़ा बनिए कि देश में आपका नाम हो। उत्सव का प्रमुख आकर्षण युग यात्रा रहा, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों ने मोहनजोदड़ो सभ्यता से लेकर समकालीन नृत्य तक की विभिन्न नृत्य शैलियों को अत्यंत प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया। ऐतिहासिक कालखंडों की झलक और आधुनिक कलात्मक अभिव्यक्तियों का यह अनूठा संगम दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना।
मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि, डीपीएस दुर्ग में आया हूं, ये मेरे लिए गर्व की बात है। डॉ. हिमांशु द्विवेदी का धन्यवाद करूंगा कि उन्होंने मुझे यहां आने का मौका दिया। इस विद्यालय का सौभाग्य है की कि इतनी होनहार और संवेदनशील प्रिंसिपल पुनिता नेहरू यहां सेवा दे रही हैं। इस अवसर पर दैनिक हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी, सात्विक सिंधु, वैशालीनगर विधायक रिकेश सेन, प्रबंधक एचएस बत्रा, पूर्व प्राचार्य परवीन रशीद विशेष रूप से उपस्थित थे। सभी अतिथियों ने विद्यालय की शैक्षणिक व सांस्कृतिक उपलब्धियों की प्रशंसा की।
डिप्टी सीएम ने अपने स्कूल के दिनों को किया याद
उपमुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि जब मैं क्लास 3 में था तो बैठने के लिए टाटपट्टी नहीं थी, भवन कच्चा था। आज आपके अभिवावकों ने आपको डीपीएस जैसा कैम्पस दिया, जहां इतनी होनहार प्रिंसिपल हैं। छात्रों को चाहिए कि आप अपना 100 प्रतिशत देकर मेहनत से पढ़ाई करें। आप अपने हर एक मिनट का सदुपयोग करिये। मैं इतना कहूंगा कि पंचायत के कारीमाटी वार्ड में संचालित प्राथमिक शाला में 10 बच्चे अध्ययन कर रहे थे। शिक्षकों की मनमानी से परेशान अभिभावकों ने कई बार विद्यालय में पदस्थ शिक्षकों को अन्यत्र हटाने एवं दूसरे शिक्षकों को पदस्थ करने की मांग विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी से की लेकिन उन्होंने पूर्व में हुए युक्तियुक्तकरण का हवाला देकर इंकार कर दिया। बीईओ द्वारा मामले में संज्ञान नहीं लेने पर अभिभावकों ने अपने बच्चों की टीसी ले ली तथा उनका नाग गांव में ही संचालित प्रायवेट स्कूल में दर्ज करा दिया। शाला में एक भी बच्चे का नाम दर्ज नहीं होने के बावजूद कागजों में इसका संचालन होता रहा।
विद्यालय में पदस्थ दोनों शिक्षक अपनी सुविधानुसार पहुंचते एवं मध्याहन भोजन का स्वाद चखकर घर चले जाते। जुलाई से नवम्बर तक कई बार विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी फूलसाय मराबी भी स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे एवं शिक्षकों के साथ मध्याहन भोजन की गुणवत्ता का परीक्षण कर वापस चले गए। नवम्बर के अंत तक इसी तरह विद्यार्थी विहीन शाला का संचालन होता रहा। ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ने पर पिछले एक सप्ताह से विद्यालय में चार बच्चे पहुंच रहे हैं। जिन्हें पढ़ाने दोनों शिक्षक कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। विभाग की इस बड़ी लापरवाही का खुलासा होने के बाद विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। ग्रामवासी अधिकारियों की मिलीभगत से शिक्षकों पर मध्याहन भोजन की सामग्री में भी हेराफेरी करने की संभावना जता रहे हैं।
