डोंगरगढ़ की बदहाल सड़क: वर्षों से नहीं हुई 2.5 किमी सड़क की मरम्मत, ग्रामीणों की ज़िंदगी खतरे में

ग्राम बोटेपार से खजरी तक की सड़क
राजा शर्मा- डोंगरगढ़। देश 21वीं सदी में प्रवेश कर चुका है। वैज्ञानिक चांद और मंगल तक पहुंच चुके हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि आज भी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में लोग पक्की सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं। विकास के तमाम दावों के बीच जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। यह मामला राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत घुमका ब्लॉक का है, जहां ग्राम बोटेपार से खजरी तक की सड़क ग्रामीणों के लिए सुविधा नहीं बल्कि खतरे का रास्ता बन चुकी है।
दरअसल, बोटेपार से खजरी तक लगभग ढाई किलोमीटर लंबी यह सड़क अब सड़क कम और गड्ढों की श्रृंखला ज्यादा नजर आती है। वर्षों पहले इस मार्ग पर सिर्फ गिट्टी और मुरूम डालकर छोड़ दिया गया था। न तो डामरीकरण हुआ और न ही कभी मरम्मत। आज हालत यह है कि, पूरी सड़क जर्जर हो चुकी है। बारिश के मौसम में गड्ढे दिखाई नहीं देते और आए दिन हादसों का डर बना रहता है।

सड़क की कहानी ग्रामीणों की जुबानी
ग्रामीण सुशीला दाई बताती हैं कि, इसी सड़क पर गिरने से उनका पैर टूट गया था और वे दो महीने तक बिस्तर पर पड़ी रहीं। इलाज और घर की जिम्मेदारी दोनों ने परिवार को तोड़कर रख दिया। कई बार सरपंच से शिकायत की गई, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। वहीं ग्रामीण नारायण वर्मा बताते हैं कि, करीब 20–25 साल पहले जब बोटेपार और खजरी एक ही पंचायत हुआ करते थे, तब तत्कालीन सरपंच ने इस सड़क पर गिट्टी-मुरूम डलवाया था। उसके बाद आज तक न तो डामर चढ़ा और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने सुध ली।

किसानों की मजबूरी का सड़क बना जी का जंजाल
बोटेपार के किसान अपनी धान उपज बेचने पटेवा सोसाइटी जाते हैं, जिसकी सीधी दूरी गांव से लगभग 6 किलोमीटर है। लेकिन खराब सड़क के कारण ट्रैक्टर से सीधे जाना जोखिम भरा है, इसलिए उन्हें घुमका होते हुए लंबा और दोगुना 16 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है। इससे समय, डीज़ल और मेहनत—तीनों की बर्बादी हो रही है। ग्रामीण कहते हैं कि, मूलभूत सुविधा के लिए कई वर्षों से सरकारी दफ्तर से लेकर राजनेताओं तक का दरवाजा खटकाते घूम रहे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि, उन्होंने सरपंच से लेकर विधायक तक सभी के दरवाजे खटखटाए। ज्ञापन दिए, मौखिक शिकायतें कीं, लेकिन सड़क आज भी बदहाल है। इस पूरे मामले पर डोंगरगढ़ विधायक हर्षिता स्वामी बघेल ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। विधायक ने बताया कि, बोटेपार से खजरी तक की सड़क निर्माण की स्वीकृति वर्ष 2022–23 में मिल चुकी थी, टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी। लेकिन सरकार बदलते ही इस सड़क को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

विधानसभा में सड़क के विषय में उपमुख्यमंत्री देते हैं गलत जानकारी
इतना ही नहीं, जब विधायक ने विधानसभा सत्र में इस सड़क को लेकर सवाल उठाया, तो डिप्टी सीएम अरुण साव की ओर से जवाब दिया गया कि, सड़क चलने योग्य है, जबकि जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है। विधायक हर्षिता बघेल ने तीखे शब्दों में कहा कि, यह सरकार कागजों में विकास और जमीन पर विनाश की नीति पर काम कर रही है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं और सरकार झूठी रिपोर्ट के सहारे अपनी जिम्मेदारी से बच रही है।
विधानसभा में झूठी जानकारी देने पर क्या होती है कार्यवाही?
भारतीय संविधान और विधानसभा की कार्यप्रणाली के अनुसार यदि कोई मंत्री या अधिकारी सदन में गलत या भ्रामक जानकारी देता है, तो उसे उस जानकारी को सुधारने का दायित्व होता है। यदि जानबूझकर झूठी जानकारी देना सदन की अवमानना की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में विधायक विशेषाधिकार प्रस्ताव ला सकते हैं। यदि आरोप सिद्ध होता है, तो संबंधित व्यक्ति पर माफी मांगने सदन की फटकार या विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच यहां तक कि पद से इस्तीफे का दबाव जैसी कार्यवाही हो सकती है।
