डीएमएफ राशि का बीज निगम में दुरुपयोग: चार करोड़ कैश के साथ 10 किलो चांदी की ईंट जब्त

डीएमएफ राशि का बीज निगम में दुरुपयोग :चार करोड़ कैश के साथ 10 किलो चांदी की ईंट जब्त
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File Photo 

डीएमएफ घोटाले में ईडी ने नया खुलासा किया है। ईडी ने बताया है कि, डीएमएफ की राशि का दुरुपयोग बीज निगम के जरिए किया गया।

रायपुर। 350 करोड़ रुपए का डीएमएफ घोटाले में ईडी ने नया खुलासा किया है। ईडी ने बताया है कि डीएमएफ की राशि का दुरुपयोग बीज निगम के जरिए किया गया। अफसरों ने बीज निगम के माध्यम से जो खरीदी की उसमें 60 फीसदी तक कमीशन लिया। कलेक्टर को 40 फीसदी कमीशन मिलता था। कमीशन की 20 फीसदी रकम नीचे तक बंटती थी। दलालों के जरिए कमीशन की रकम ऊपर तक भेजी गई। तीन-चार सितंबर को रायपुर, भिलाई-दुर्ग तथा राजिम में की गई कार्रवाई में चार करोड़ रुपए कैश के साथ 10 किलो चांदी की ईंट जब्त की है। साथ ही आपत्तिजनक दस्तावेज के साथ डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं।

ईडी के मुताबिक, 2 दिनों तक चली जांच में ठेकेदारों, वेंडर्स और लाइजनरों के ऑफिस और निवास पर छापे की कार्रवाई की गई थी। ईडी की टीम ने जिन लोगों के यहां छापे की कार्रवाई की थी, वे सभी राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड (बीज निगम) से जुड़े कारोबारी के साथ अन्य लोग हैं। ईडी के अनुसार डीएमएफ घोटाले की परतें इन्हीं नेटवर्क के जरिए खुल रही हैं। ईडी ने यह कार्रवाई ईओडब्ल्यू तथा एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर किए जाने की बात कही। एफआईआर में ठेकेदारों, वेंडर्स और सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगाए गए थे। खनन प्रभावित इलाकों के लिए बनी डीएमएफ राशि का दुरुपयोग किया गया।

21.47 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क हो चुकी है
डीएमएफ घोटाला में इंडी पूर्व में 21.47 करोड़ रुपए की संपत्ति अस्थायी तौर पर कुर्क कर चुकी है। विशेष पीएमएलए कोर्ट, रायपुर में दाखिल अभियोजन शिकायत में 16 आरोपियों को नामजद किया गया है। इस केस में अब तक निलंबित आईएएस रानू साहू राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी माया वॉरियर और मनोज कुमार द्विवेदी को गिरफ्तार किया जा चुका है।

ऐसे किए घोटाले
ईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि, घोटालेबाजों ने बीज निगम के जरिए डीएमएफ की करोड़ों की राशि खर्च दिखाकर हेरफेर किया। वेंडर्स और ठेकेदारों को कृषि उपकरण, पल्चराइजर, मिनी दाल मिल और बीज सप्लाई करने के नाम पर ठेके दिए गए। इन ठेकों पर 40 से 60% तक कमीशन वसूला गया, जिसे लाइजनरों के जरिए अफसरों और नेताओं तक पहुंचाया जाता था। इंडी के मुताबिक सिर्फ इसी प्रक्रिया में करीब 350 करोड़ रुपए की डीएमएफ राशि के दुरुपयोग का अंदेशा है।

यह है डीएमएफ घोटाला
इंडी की रिपोर्ट के आधार पर डीएमएफ घोटाला में ईओडब्ल्यू ने आईपीसी की धारा 120-बी., 420 के तहत अपराध दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गई है। ईडी के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अवावाल, ऋषम सोना और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।

ऐसे हुई बंदरबांट
अफसरों ने डीएमएफ का जमकर दुरुपयोग किया। बीज निगम के जरिए खरीदों को। उसमें 60 फीसदी तक कमीशन वसूला। डीएमएफ घोटाला मामले में कलेक्टर को 40%, सीईओ 5%, एसडीओ 3% और सब इंजीनियर को 2% कमीशन मिला। डीएमएफ के वर्क प्रोजेक्ट में घोटाला करने फंड खर्च के नियमों को बदला गया था।

घोटाला करने प्रावधानों में बदलाव
डीएमएफ घोटाला करने प्रावधानों में बदलाव करने के साथ नए प्रावधान जोड़े गए। नए प्रावधानों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, खेल सामग्री और मेडिकल उपकरणों की कैटेगरी को जोड़ा गया, ताकि संशोधित नियमों के सहारे डीएमएफ के तहत जरूरी डेवलपमेंट वर्क को दरकिनार कर अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट को अपूव किया जा सके। इसकी पुष्टि ईओडब्ल्यू, एसीबी द्वारा कोर्ट में पेश किए गए 6 हजार पेज के चालान से हुई है।

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