धनोरा पहुंची जांच टीम: एक ही परिवार के तीन बच्चों की गई जान, बीमार पड़ने पर झाड़-फूंक कराते रहे परिजन

धनोरा पहुंची जांच टीम
सोमा शर्मा-गरियाबंद। गरियाबंद जिले के धनोरा में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना की जांच के लिए मंगलवार को राज्य स्तरीय की टीम गांव पहुंची। इस टीम में राज्य टीकाकरण अधिकारी और महामारी नियंत्रक अफसर के अलावा जिले के विशेषज्ञ शामिल थे।
जांच टीम ने परिजन, मितानिन और स्वास्थ्य कर्मी से बारी-बारी 3 घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ में मौत का सटीक कारण पता नहीं चल सका। प्रारंभिक जांच में पता चला कि, परिजन दैविक प्रकोप मान कर झाड़-फूंक कराते रहे। स्वास्थ्यकर्मियों के कहने के बावजूद वे किसी भी प्रकार का स्वास्थ सुविधा नहीं लिया गया। बताया जा रहा है कि, बच्चों को 5 नवम्बर से सर्दी, जुकाम और बुखार था। डॉक्टारों ने माना कि, लंबे समय तक यह लक्षण बना रहे तो शरीर कमजोर हो सकता है, जो मौत का कारण बनने की संभावना है।
झोलाछाप डॉक्टर और अंधविश्वास के कारण मैनपुर में एक परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई। ये मौतें एक-एक दिन में होने से पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया है. @GariyabandDist #Chhattisgarh #doctor #Death pic.twitter.com/EEZgZEztBD
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) November 17, 2025
गांव में चलाया जाएगा स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता अभियान
राज्य टीकाकरण अधिकारी विश्वनाथ ने कहा कि, अब आगे ग्रामीण इलाके में जल्द ही बैगा गुनिया सम्मेलन के अलावा जन जागरूकता अभियान चलाने की बात कह रहे है। साथ ही मोबाइल मेडिकल यूनिट भी गांव - गांव घुमाया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति ग्रामीणों में भरोसा बना रहे है।
बुखार से तीन दिन में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत
उल्लेखनीय है कि, सरनाबहार के डमरू धार नागेश के तीन बच्चे 8, 7 और 4 वर्ष की अचानक मौत हो गई थी। पूरा परिवार हाल ही में साहेबिनकछार मक्का तोड़ने गया था। वहीं से तीनों बच्चों को तेज बुखार हुआ। शुरुआत में किसी स्थानीय झोलाछाप से इलाज कराया गया था। हालत बिगड़ती गई तो परिवार पारंपरिक तरीके, जिसमें बैगा, गुनिया और झाड़-फूंक का सहारा लिया गया था।
पूरे गांव को शोक में डूबा
इस दौरान बच्चों को समय पर प्राथमिक या विशेषज्ञ चिकित्सा नहीं मिल पाई। सबसे बड़े बच्चे को जब अमलीपदर सरकारी अस्पताल लाया गया, वहीं सुबह उसकी मौत हो गई। दूसरे बच्चे को देवभोग क्षेत्र में एक झोलाछाप उपचारकर्ता के पास ले जाया जा रहा था, पर दोनों को बचाया नहीं जा सका। दूसरे बच्चों को मौत मिट्टी कर जैसे ही घर लोटे, वैसे ही तीसरे बच्चे की मौत ने पूरे गांव को शोक में डूबा दिया।
गरियाबंद जिले के धनोरा में एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना की जांच के लिए मंगलवार को राज्य स्तरीय की टीम गांव पहुंची. @GariyabandDist #Chhattisgarh #Death pic.twitter.com/YWKCXIpAtV
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अस्पताल लाने में देर हुई
अमलीपदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉ. इंद्रजीत भारद्वाज ने बताया कि, ज्यादा सेहत बिगड़ने पर इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। तब तक काफी देर हो चुकी थी। तीनों बच्चों की मौत हो चुकी है।
क्या कहते हैं बीएमओ
मैनपुर स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉ गजेन्द्र ध्रुव ने बताया कि, बुखार के समय हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा अस्पताल ले जाने की कोशिश की गई, परंतु वे डॉक्टरों के पास ना जाकर बैगा-गुनिया के पास झाड़ फूंक करवाने चले गए। जिससे समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और तीन बच्चों का मौत हो गई।
