अपडेट होंगी जाँच मशीनें: जहां कमी वहां पीपीपी मोड पर होगा संचालन

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रायपुर। लगातार उपयोग की वजह से मेडिकल कॉलेजों लेजों से संबंधित अस्पतालों में पुरानी हो चुकी सीटी स्कैन, एमआरआई, सोनोग्राफी जैसी जांच मशीनों को अपडेट करने की फाइल एक बार फिर खुलने की संभावना है। रेडियो डायग्नोसिस से संबंधित सुविधाओं को अपडेट करने वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों की जानकारी चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर कमी को सुधारने का प्रयास होगा और जहां संसाधनों की ज्यादा कमी होगी, वहां पीपीपी मोड पर सुविधा का संचालन किया जाएगा।
राज्य में वर्तमान में दस शासकीय मेडिकल कॉलेजों से संबंधित अस्पतालों में मौजूद सुविधा के आधार पर मरीजों का इलाज किया जाता है। किसी भी तरह की समस्या लेकर आने वाले मरीजों की सीटी स्कैन, एमआरआई, सोनोग्राफी, एक्स-रे जैसी जांच महत्वपूर्ण होती है। अक्सर यह शिकायतें सामने आती है कि सुविधा नहीं होने की वजह से मरीजों को दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है अथवा उन्हें अनावश्यक इंतजार करना पड़ता है। इस तरह की समस्याओं को देखते हुए इन अस्पतालों के रेडियोडायग्नोसिस सेवाओं को अपडेट करने की योजना बनाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक तमाम कालेजों से मौजूदा संसाधनों और जरूरतों की जानकारी मांगी गई है। जहां संभावना बनती है वहां सुविधा बढ़ाकर मरीजों को राहत देने का प्रयास किया जाएगा।
पीपीपी मोड पर डीके हॉस्पिटल की जांच
वर्तमान में डीके हॉस्पिटल में रेडियोडायग्नोसिस की सुविधाएं पीपीपी मोड पर संचालित होती है। यहां मरीजों की जांच के अलावा मशीनों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी संबंधित संस्था उठाती है। चौबीस घंटे जांच की सुविधा होने के कारण यहां मरीजों को अपनी जांच के लिए एक दिन से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता। यहां अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ बाहरी मरीजों को भी जांच की सुविधा दी जाती है, जबकि शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में जांच दो शिफ्टों में होती है, जिससे मरीजों को वेटिंग मिलती है।
आंबेडकर अस्पताल में नई मशीन का इंतजार
आंबेडकर अस्पताल में एमआरआई, सीटी स्कैन सहित अन्य मशीनों से जांच का काम काफी सालों से किया जा रहा है। कई बार मशीनों के बिगड़ने की बात भी सामने आती है। राज्य शासन द्वारा अपने बजट में दोनों तरह की नई मशीन खरीदने का प्रस्ताव मंजूर किया है। वित्तीय मंजूरी जैसी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, मगर खरीदी का काम शुरू नहीं हो पाया है। यहां ओवरटाइम के माध्यम से मरीजों की वोटिंग को समाप्त किया गया है, मगर जरूरतों के हिसाब से टेक्निशियनों की कमी है।
गैप जानने का प्रयास किया जा रहा
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त रितेश अग्रवाल ने बताया कि, मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के विस्तार के लिए जरूरतों और उपलब्ध संसाधनों के गैप जानने का प्रयास किया जा रहा है। जहां ज्यादा कमी और दिक्कतें हैं, वहां जांच सुविधाओं को पीपीपी मोड पर दिए जाने का विचार किया जाएगा।
