संविदाकर्मियों के लिए बड़ा फैसला: अब कभी भी नहीं निकाल सकेंगे नौकरी से

संविदाकर्मियों के लिए बड़ा फैसला : अब कभी भी नहीं निकाल सकेंगे नौकरी से
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छत्तीसगढ़ में अब संविदा पर सरकारी नौकरी करने वालों को केवल एक महीने का वेतन देकर कभी भी काम से नहीं निकाला जा सकेगा।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब संविदा पर सरकारी नौकरी करने वालों को केवल एक महीने का वेतन देकर कभी भी काम से नहीं निकाला जा सकेगा। इन कर्मियों को अगर सेवा से हटाना है, तो पहले वरिष्ठ अफसर के सामने अपील करने का अवसर देना होगा। पूरी सुनवाई के बाद ही आदेश जारी किया जा सकेगा।

इस मामले को लेकर राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की नियम शाखा ने राज्य के सभी विभागों, अध्यक्ष राजस्व मंडल, संभागीय आयुक्त, सभी विभागाध्यक्ष, सभी कलेक्टर और सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के लिए आदेश जारी कर दिया है।

इसलिए जारी हुआ ये आदेश
राज्य सरकार ने यह कदम दरअसल बिलासपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के मद्देनजर उठाया है। उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा पिछले महीने जारी एक आदेश में दिए गए निर्देश के परिपालन में जारी करना पड़ा है। राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि विभागीय सेटअप में संविदा के रूप में स्वीकृत पदों पर कार्यरत संविदा कर्मी (यथा मनरेगा अंतर्गत संविदा कर्मी) को यदि किसी दशा में सेवा से पृथक किया जाता है, तो संबंधित सेवामुक्त संविदा कर्मी, संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष के समक्ष 60 दिवस के भीतर अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है, जिस पर संबंधित विभागाध्यक्ष युक्तियुक्त सुनवाई के बाद उचित आदेश पारित कर, प्रकरण निराकृत कर सकेंगे।

13 साल से लागू था ये नियम
राज्य में हाईकोर्ट का यह आदेश लागू होने से 13 साल पहले से यह नियम लागू था कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम, 2012 के नियम 11(5) में संविदा नियुक्ति की अवधि में दोनों पक्षों में से किसी एक पक्ष द्वारा एक माह की पूर्व सूचना या इसके एवज में एक माह का वेतन देकर संविदा नियुक्ति समाप्त की जा सकती है। वर्तमान में संविदा पर नियुक्त कर्मियों को सेवा से पृथक किये जाने पर किसी प्रकार का अपील अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का प्रावधान नियमों में नहीं किया गया है।

छत्तीसगढ़ संविदा अफसर कर्मियों की उर्वरा भूमि
जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है यह राज्य में सेवा निवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए सबसे अधिक उर्वरा भूमि मानी जाती है। राज्य में प्रदेश स्तर के वरिष्ठतम अधिकारियों से लेकर सरकारी विभागों के लिपिकों व अन्य कर्मियों के लिए संविदा नियुक्ति पाने की सबसे बड़ी पनाहगाह है। यहां विभिन्न पदों पर संविदा नियुक्ति वाले जमे हैं। दरअसल विभागों में नियमित रूप से सेवाकाल खत्म होने के बाद संबंधित अफसर कर्मियों को संविदा में सेवा पर रखे जाने की परंपरा बन गई है। यह इसलिए कि राज्य में रिक्त होने वाले पदों पर नियमित रूप से भर्ती नहीं की जा रही है, यह लंबे अरसे से हो रहा है। इसी प्रक्रिया का एक पक्ष ये भी है कि बड़े संविदा अधिकारियों को संविदा काल खत्म हो जाने के बाद भी फिर से काम पर रख लिया जाता है। इसका एक और पक्ष ये भी है संविदा पर रखे गए छोटे स्तर के कर्मियों को एक माह का वेतन देकर कभी भी नौकरी से बाहर कर दिया जाता है, लेकिन अब ऐसा करना आसान नहीं होगा।

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