बिलासपुर-रायपुर में शीतलहर जैसे हालात: मैनपाट में जमी ओस की बूंदें, पारा 4 डिग्री तक उतरा

बिलासपुर-रायपुर में शीतलहर जैसे हालात : मैनपाट में जमी ओस की बूंदें,  पारा 4 डिग्री तक उतरा
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File Photo 

उत्तर एवं पूर्व की बर्फीली हवाओं के प्रभाव से प्रदेश के उत्तर और मध्य हिस्से में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। रायपुर संभाग के कई हिस्सों में शीतलहर के हालात हैं।

रायपुर। उत्तर एवं पूर्व की बर्फीली हवाओं के प्रभाव से प्रदेश के उत्तर और मध्य हिस्से में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बिलासपुर और रायपुर संभाग के कई हिस्सों में शीतलहर के हालात हैं। इधर, सर्द हवाओं के प्रभाव से अम्बिकापुर का न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड गिरावट के साथ 7.6 डिग्री पर पहुंच गया है जबकि छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट सहित पठारी क्षेत्र सामरी पाट एवं लहसुन पाट का पारा 4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।

मौसम विज्ञानी आगामी दिनों में भी शीतलहर का प्रकोप जारी रहने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से शहर सहित पूरा सरगुजा संभाग शीतलहर की चपेट में है। राजस्थान के रेगिस्तान से लगातार पहुंच रही शुष्क वहीं हिमालय से टकराने के बाद बर्फ की ठंडक लेकर पहुंच रही सर्द हवाओं ने कंपकपी बढ़ा दी है। हालत यह है कि वातावरण की नमी सूखने से शुष्कता बढ़ते जा रही है जिससे खुले स्थानों पर कड़ाके की ठंड लग रही है घरों के भीतर भी ठंड से राहत नहीं मिल रही है। वातावरण में कनकनी की मात्रा बढ़ने के कारण दिन में भी लोगों को गर्म कपड़ा पहनना पड़ रहा है। शीत लहर का प्रभाव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश में भी देखा जा रहा है। शीतलहर के प्रभाव से वातावरण की आर्द्रता 30-32 फीसदी के मध्य पहुंच गई जो दो दिन पूर्व तक 40 फीसदी रह रही थी।

सरगुजा छत्तीसगढ़ का सबसे ठंडा क्षेत्र बन गया है
मौसम विज्ञानी आगामी दिनों में भी शीत लहर का प्रभाव जारी रहने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं वहीं मौसम विभाग ने 15 नवम्बर तक शीतलहर जारी रहने का अलर्ट जारी किया है। शीत लहर के प्रकोप के बीच आगामी दिनों में पछुआ विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना जताई जा रही है। पछुआ विक्षोभ या अन्य मौसमी व्यवधान के उत्पन्न होने से आगामी दिनों में शीत लहर से राहत मिल सकती है। दूसरी तरफ मौसमी व्यवधान शीत लहर पर प्रभावी नहीं हुआ तो ठंड का प्रभाव आगे जारी रहने की संभावना है। शीत लहर के प्रभाव से मंगलवार को न्यूनतम तापमान में सामान्य से 6.3 डिग्री की गिरावट होने के कारण एक बार फिर सरगुजा छत्तीसगढ़ का सबसे ठंडा क्षेत्र बन गया है।

मैनपाट में जमा पाला
शीतलहर के प्रभाव से छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट एवं बलरामपुर जिला अंतर्गत पठारी क्षेत्र सामरी पाट एवं लहसुन पाट का न्यूनतम तापमान 4.0 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। पठारी क्षेत्र होने के कारण इन क्षेत्रों में ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है।सुबह मैनपाट में घास के मैदानों एवं खलिहानों में पाला की सफेद चादर बिछ गई थी। ठंड बढ़ने के कारण इन क्षेत्रों में लोग सुबह धूप निकलने पर घरों से बाहर निकल रहे हैं तथा शाम में जल्दी घर लौट जा रहे हैं जिसके कारण धान की कटाई सहित अन्य कार्य प्रभावित हो गए हैं।

प्रदेश के प्रमुख शहरों का ऐसा तापमान

शहर

न्यूनतम

अंतर

रायपुर

14.2

-4.4

माना

12.6

-5.3

बिलासपुर

12.6

-4.7

पेंड्रा

09.0

-6.4

अंबिकापुर

7.6

-6.3

जगदलपुर

16.4

-0.3

दुर्ग

10.2

-7.5


6 दशक में पहली बार रिकॉर्ड गिरावट

आमतौर पर सरगुजा में नवम्बर के तीसरे सप्ताह में पारा में तेज गिरावट होती है। कई बार मध्य नवम्बर के पूर्व भी न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन पिछले 56 वर्षों में मंगलवार को मध्य नवम्बर के पूर्व न्यूनतम तापमान में इतनी अधिक गिरावट दर्ज की गई है जब पारा सामान्य से 6.3 डिग्री की गिरावट के साथ 7.6 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। न्यूनतम पारा में 0.3 डिग्री की और अधिक गिरावट होते ही क्षेत्रवासियों को भीषण शीतलहर से जूझना पड़ सकता है।

बच्चों, बुजुर्गों के लिए खतरनाक

विशेषज्ञ चिकित्सक वर्तमान में पड़ रही कड़ाके की ठंड को बच्चों एवं बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बता रहे हैं तथा इनकी विशेष देखभाल करने एवं गर्म कपड़े पहनने के बाद ही खुले में निकलने की जरूरत बता रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के सहायक अधीक्षक एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जेके रेलवानी ने बताया अधिक ठंड पड़ने पर सर्दी, खांसी सहित सांस, गले एवं फेफड़े में इन्फेक्शन होने की समस्या आती है।

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