श्रमिकों का जीवन संवार रही साय सरकार: कल्याण योजनाओं से जीवन स्तर में आया बदलाव

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
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मुख्यमंत्री श्रमिक कल्याण योजना से मजदूरों के जीवन में बड़ा बदलाव

राज्य में संचालित 'मुख्यमंत्री श्रमिक कल्याण योजना', 'निर्माण श्रमिक कल्याण मंडल', और 'श्रमिक निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा योजना' जैसी पहलें मजदूरों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रही हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के मेहनतकश मजदूरों और श्रमिकों के जीवन को संवारने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ शुरू की हैं, जिनका असर अब जमीन पर साफ दिखाई देने लगा है। पहले जहाँ मजदूर वर्ग अपने अधिकारों और सुविधाओं से वंचित रहता था, वहीं अब उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएँ आसानी से मिल रही हैं।

श्रम विभाग द्वारा चलाई जा रही ये योजनाएँ न सिर्फ उनके आर्थिक जीवन को स्थिर बना रही हैं, बल्कि समाज में उन्हें सम्मानजनक पहचान भी दिला रही हैं। राज्य में लगभग 24.31 लाख निर्माण व अन्य श्रमिक पंजीकृत हैं। सिर्फ एक कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार ने 1.84 लाख श्रमिकों के बैंक खाते में ₹ 65.16 करोड़ सीधे ट्रांसफर किए हैं।

राज्य में संचालित 'मुख्यमंत्री श्रमिक कल्याण योजना', 'निर्माण श्रमिक कल्याण मंडल', और 'श्रमिक निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा योजना' जैसी पहलें मजदूरों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रही हैं। उदाहरण के तौर पर, पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को अब बच्चों की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति, प्रसूति सहायता, दुर्घटना बीमा, और आवास निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, मजदूरों को उनके कौशल के अनुरूप प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर प्रदान किया जा रहा है। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी है, बल्कि आत्मसम्मान में भी वृद्धि हुई है।


श्रम सुविधा केंद्र और सेवा पोर्टल से जीवन स्तर हो रहा बेहतर
इसके अलावा, राज्य सरकार ने श्रम सुविधा केंद्र और श्रम सेवा पोर्टल जैसे डिजिटल माध्यमों को भी शुरू किया है। ताकि, मजदूरों को योजनाओं की जानकारी और लाभ पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। अब अधिकांश सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हैं। जिससे पारदर्शिता और समय की बचत दोनों हुई हैं। ग्रामीण इलाकों में भी श्रमिकों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि कोई भी पात्र परिवार इन योजनाओं से वंचित न रहे।

इन योजनाओं के चलते आज छत्तीसगढ़ के श्रमिक वर्ग का जीवन स्तर लगातार बेहतर हो रहा है। मजदूर अब केवल 'रोज कमाने और खाने' तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना भी कर सकते हैं। सरकार की यह पहल न केवल आर्थिक समानता की दिशा में एक कदम है। बल्कि, सामाजिक न्याय और मानव गरिमा को भी मजबूत करती है।


भविष्य के लिए दिशा-निर्देश

उन्नत पंजीकरण-डाटाबेस : श्रमिकों का एक एकीकृत पंजीकरण हो, जिससे योजनाओं का लाभ स्वतः और सीधा मिल सके।

स्किलिंग एवं स्वरोजगार-उत्साह : श्रमिकों को नए कौशल देना और उधम-उद्यम के लिए प्रेरित करना, ताकि वे केवल मजदूरी पर निर्भर न रहें।

डिजिटल पहुँच और जागरूकता अभियान : मोबाइल-ऐप्स, पोर्टल्स, ग्राम-स्तर पर शिविरों द्वारा योजनाओं की जानकारी पहुँचे।

समय-सीमा में भुगतान सुनिश्चित करना : मकान-सहायता, दुर्घटना-सहायता आदि का भुगतान शीघ्र हो ताकि श्रमिकों को राहत जल्दी मिले।

विश्लेषण और विस्तार : ग्रामीण व दुर्गम इलाकों में विशेष अभियान चलाकर लाभवंचितों को शामिल करना।

सामुदायिक-भागीदारी : श्रमिक संगठनों, स्वयं-सहायता समूहों, ट्रैड यूनियनों को योजनाओं की निगरानी में शामिल करना।


गरीबी दर में गिरावट
छत्तीसगढ़ में 2005/6 में बहुआयामी गरीबी दर लगभग 70 % थी, जो 2015/16 तक 37 % हो गई। इस अवधि में लगभग 7 मिलियन लोग गरीबी-वर्ग से बाहर आए। यह दिखाता है कि व्यापक सामाजिक कल्याण-प्रयासों का सकारात्मक असर हुआ है, जिसमें श्रमिक-कल्याण योजनाएं भी सम्मिलित थीं।

उदाहरणस्वरूप- जनवरी 2024 से अब तक निर्माण श्रमिकों हेतु मृत्यु/दिव्यांगता सहायता में ₹84 करोड़, आवास सहायता में ₹2.87 करोड़, छात्रवृत्ति सहायता में 15.37 करोड़ का भुगतान हुआ है। यह सीधे-सीधे दिखाता है कि योजनाएं मात्र घोषणाओं तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि व्यवहार में लाभार्थियों तक पहुँच रही हैं।


श्रमिकों के जीवन में आया बदलाव
छत्तीसगढ़ में श्रम-कल्याण की दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से सकारात्मक हैं। बहुआयामी गरीबी में कमी, निर्माण श्रमिकों को दिए गए लाखों रुपये के सहायताएँ। ये संकेत हैं कि योजनाएँ प्रभावशीलता हासिल कर रही हैं। लेकिन याद रखें, यही शुरुआत है। श्रमिकों का जीवन सुधरने वाला है, लेकिन पूरी तरह सुधरना अभी शेष है।

यदि पंजीकरण, पहुँच, समयबद्धता, सशक्तिकरण-तक सब पर ध्यान दिया जाए, तो आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ के श्रमिक न सिर्फ आजीविका-सुरक्षा पावेंगे, बल्कि सामाजिक गरिमा, अवसर व सम्मान से भरपूर जीवन व्यतीत कर सकेंगे। इस प्रकार, छत्तीसगढ़ में श्रमिकों के जीवन में बदलाव लाने वाली योजनाएँ 'लिफ्ट-अप' का काम कर रही हैं। लेकिन यह लिफ्ट अभी बीच-स्टॉप पर है, हमें इसे गंतव्य तक पहुँचाना है।

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