सीएस का फरमान: जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर 15 दिन में कार्यवाही कर सूचना भी देनी होगी

सीएस का फरमान : जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर 15 दिन में कार्यवाही कर सूचना भी देनी होगी
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महानदी भवन (फाइल फोटो)

मुख्य सचिव विकासशील ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया। जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर 15 दिन में कार्यवाही कर सूचना भी देनी होगी।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव विकासशील ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जन प्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों पर कार्यवाही तथा जन प्रतिनिधियों को समान्यतया 15 दिनों के भीतर उचित माध्यम से अवगत भी कराना होगा। यही नहीं रोजाना मिलने वाले डाक का निपटारा भी सामान्य तौर पर उसी दिन ही करना होगा।

मुख्य सचिव ने यह निर्देश समस्त भारसाधक सचिवों की बैठक में दिया था। दरअसल राज्य के मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण करने के बाद विकासशील की यह पहली परिचयात्मक बैठक थी, जो पिछले महीने आयोजित हुई थी। इस बैठक की कार्यवाही का विवरण जारी होने के बाद अब सभी संबंधित विभागों ने मुख्य सचिव के निर्देशों का पालन शुरु कर दिया है।

कैबिनेट के प्रस्ताव पर ये करना होगा
मुख्य सचिव ने मंत्रिपरिषद ( कैबिनेट) के लिए विचार करने संबंधी प्रस्तावित प्रकरणों के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए है। इस संबंध में कहा गया है कि प्रशासकीय विभागों द्वार प्रस्ताव की संक्षेपिका बैठक की तारीख से कम से कम सप्ताह पहले मुख्य सचिव को भेजी जाए। प्रस्ताव भेजने से पहले वित्त विभाग, सामान्य प्रशासन, एवं जरुरी हो तो विधि विभाग का अभिमत आवश्यक रुप से संक्षेपिका में अंकित किया जाए। यह कार्यवाही सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों के जिम्मे होगी। विभिन्न विभागों से प्राप्त होने वाले ऐसे प्रस्ताव पर विभागीय अभिमत सामान्यतया संबंधित विभाग द्वारा एक सप्ताह के भीतर दिया जाए।

वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन प्रतिवेदन
मुख्य सचिव के निर्देश में ये भी कहा सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव वर्ष 2025-26 के वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन प्रतिवेदन के लिए अपनी वार्षिक कार्ययोजना के मध्यावधि परीक्षण के लिए मुख्य सचिव के साथ चर्चा की तैयारी कर लें। इसके साथ ही ये भी स्पष्ट कर दिया गया है कि मंत्रालय में। दिसंबर से बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम प्रारंभ किया जाएगा। इसके साथ ही अटल मॉनिटरिंग पोर्टल पर निगरानी के लिए चिन्हांकित योजनाओं से संबंधित सभी विभाग अपनी योजना को पोर्टल पर आनबोर्ड करने के संबंध में भी निर्देश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट में विचाराधीन प्रकरणों में शासकीय पक्ष का उचित एवं समयबद्ध व निर्धारित समयसीमा में प्रतिरक्षण करने कहा गया है।

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