यहां किसान है भगवान गणेश: बोगर में 67, संबलपुर के विघ्नहर्ता 60 एकड़ खेत के मालिक

भगवान गणेश की जमीन पर खेती से लोगों को रोजगार मिल रहा
अभिषेक पांडेय- भानुप्रतापपुर। तहसील भानुप्रतापपुर अंतर्गत बोगर और संबलपुर में स्थित गणेश मंदिर अति प्राचीन है और मंदिर में स्थापित भगवान गणेश मंदिरों के नाम भी किसान के रूप में दस्तावेज में दर्ज है। बोगर के भगवान गणेश के नाम 67 एकड़ जमीन के मालिक हैं, वहीं संबलपुर के सिद्ध स्वामी गणेश 60 एकड़ जमीन के मालिक हैं। भगवान गणेश की खेती के माध्यम से गांव के लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
तहसील भानुप्रतापपुर से लगभग 10 किमी. की दूरी पर ग्राम बोगर में 85 साल पुराना भगवान गणेश मंदिर है। भगवान गणेश के नाम से क्षेत्र में 67 एकड़ जमीन है। मंदिर का संचालन खेत से होने वाली आय से होता है। बोगर के ग्रामीणों के अनुसार 1940 दशक में विनायक भूपटकर इस क्षेत्र के चार गांव के मालगुजार थे और उनके पिता रामकृष्ण भूपटकर संबलपुर के तहसीलदार थे, वे भगवान गणेश के परम भक्त थे। तहसीलदार के बेटे विनायक भुपटकर ने ग्राम बोगर में अपने पिता की आस्था को देखते एक चबूतरा बनाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करवाया। मूर्ति कहां से लाई गई, इसकी जानकारी गांव में किसी के पास नहीं है। क्षेत्र में लोगों में भगवान गणेश के प्रति आस्था थी। भूपटकर परिवार के अलावा अन्य लोगों ने भी भगवान गणेश को जमीन दान में दी।
पुतरवाही में 30, कराठी में 29 और संबलपुर में 1 एकड़ जमीन
तहसील भानुप्रतापपुर से लगभग 07 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम संबलपुर में सिद्ध स्वामी गणेश भगवान का मंदिर है। संबलपुर में सिद्ध स्वामी गणेश भगवान भी किसान हैं और 60 एकड़ जमीन के मालिक हैं। पुतरवाही में 30, कराठी 29 और संबलपुर में 01 एकड़ जमीन है। क्षेत्र के जानकारों के अनुसार संबलपुर में स्थापित सिद्ध स्वामी गणेश भगवान की प्रतिमा को 7 किमी दूर ग्राम बांसला से संबलपुर लाया गया था। इस दौरान बैल गाड़ियों का उपयोग किया गया था और बताया जाता है इस प्रतिमा को लाने 7 किमी दूरी तय करने में 10 बैलगाड़ियां टूट गई थी, जहां मूर्ति रखी है, वहीं पर ही स्थापित हो गई। उसके बाद प्रतिमा को हिलाया नहीं जा सका। पहले यहां एक झोपड़ीनुमा मंदिर था, जिसे बाद में भव्य रूप दिया गया। भगवान गणेश के नाम की जमीन पर क्षेत्र के किसानों को फसल लगाने के लिए दिया जाता है और उससे जो आय होती है, उसी से मंदिर का संचालन होता है।
पत्थर लाने टूटी थीं छह बैल गाड़ियां
इस प्रकार बोगर में 37 एकड़ और विनायकपुर में 30 एकड़ जमीन भगवान गणेश के पास है। कुछ में धान उगाया जाता है, तो कुछ टिकरा किस्म की जमीन है। खेतों को गांव के किसानों को किराए पर दिया जाता है। जिससे होने वाली आय से मंदिर का संचालन होता है। बोगर में चबूतरा में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा के ऊपर मंदिर बनाने प्रक्रिया चल रही थी। इस दौरान प्रतिमा के ऊपर एक ही पत्थर को तराश कर लगाने पहाड़ी से पत्थर लाया गया। पत्थर को लाने के लिए छह बैल गाड़ियां टूटी थीं। ग्रामीणों एवं मंदिर के रहे पुजारी की माने तो निसंतानों की मनोकामना इस मंदिर में पूरी होती है। मंदिर में छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के लोग भी दर्शन करने आते हैं। बोगर के पश्चिम में दुर्गुकोंदल तहसील, उत्तर में डोंडी तहसील, उत्तर में दल्ली-राजहरा तहसील और पश्चिम में मानपुर (टीडी) तहसील से घिरा हुआ है।
