नियुक्तियों को लेकर भाजपा में बखेड़ा: पूर्व जिला मंत्री ने उठाया मुद्दा तो पुलिस ने किया नजरबंद, समाज के विरोध के बाद छोड़ना पड़ा

पूर्व जिला मंत्री चमार सिंह पात्र
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 पूर्व जिला मंत्री ने उठाया मुद्दा तो पुलिस ने किया नजरबंद

गरियाबंद जिले में 'आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन' से ठीक पहले भाजपा के पूर्व जिला मंत्री को पुलिस ने नजरबन्द कर दिया। समाज के लोगों के हंगामा करने पर उन्हें छोड़ा गया।

अश्वनी सिन्हा- गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के देवभोग में विधानसभा स्तरीय 'आत्मनिर्भर भारत सम्मेलन' से ठीक पहले भाजपा के पूर्व जिला मंत्री और माली समाज के कद्दावर नेता चमार सिंह पात्र को पुलिस ने नजरबंद कर दिया। जैसे ही यह खबर फैली, समाज के लोग आगबबूला हो उठे। थाने के बाहर विरोध के स्वर गूंजने लगे, और आखिरकार दबाव बढ़ा तो पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा।

रविवार को भाजपा का बड़ा सम्मेलन देवभोग में आयोजित था। मंच पर प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, और राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त चंदूलाल साहू समेत कई बड़े चेहरे मौजूद थे। लेकिन आयोजन शुरू होने से पहले ही पार्टी के भीतर का संगठनिक भूचाल चर्चा का विषय बन गया। सूत्र बताते हैं कि, चमार सिंह पात्र सम्मेलन के मंच से जिला संगठन में हुई नियुक्तियों की विसंगतियों को खुलकर उठाने की तैयारी में थे।

माली समाज के प्रमुख पहुंचे थाने
कहा जा रहा है कि, उनकी इस मंशा की भनक कुछ नेताओं को पहले ही लग गई थी। इसी के चलते पुलिस को सक्रिय कर, उन्हें कार्यक्रम से पहले ही थाने में बैठा लिया गया। समाज में उबाल नेता को रोका, अब हम चुप नहीं रहेंगे घटना की खबर फैलते ही पंडरा माली समाज के प्रमुख थाने पहुंचे। समाज जनों ने इसे अनुचित और अपमानजनक बताते हुए विरोध जताया। थाने के बाहर दर्जनों लोग जुट गए। आखिरकार विरोध बढ़ता देख पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा, और शाम तक मामला शांत हुआ।

चमार सिंह ने कहा- क्या गुनाह किया मैंने
थाने से लौटने के बाद चमार सिंह पात्र ने पत्रकारों से कहा- मैंने क्या गुनाह किया, मेरा कसूर बस इतना है कि संगठन की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी को अपने ही नेताओं के सामने रखना चाहता था। पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन में जगह न देना और आवाज उठाने पर पुलिस कस्टडी में भेज देना क्या यही अनुशासन है।


भाजपा संगठन में गहराता असंतोष
गरियाबंद जिला कार्यकारिणी के गठन के बाद से भाजपा संगठन में असंतोष की चिंगारी लगातार भड़क रही है। पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है। मैनपुर, देवभोग, अमलीपदर और गोहरापदर क्षेत्र के कई कार्यकर्ता संगठन से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पहले ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को शिकायतें भेज चुके हैं। कई दौर की समझाइश के बावजूद मतभेद मिटने के बजाय और गहराते जा रहे हैं।

भाजपा के भीतर की फुसफुसाहट तेज
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, चमार सिंह पात्र की नजरबंदी ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी के भीतर सब कुछ उतना “अनुशासित” नहीं चल रहा, जितना मंचों पर दिखाया जा रहा है। घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि क्या संगठन में दबे स्वर अब खुलकर बगावत में बदलेंगे? क्या समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी से पार्टी को अंदरूनी झटका लगेगा, इन सवालों के जवाब तो वक्त देगा।


पार्टी में नेताओं के बीच बढ़ी दरार
भाजपा संगठन में अब अंदर चल रही भीतरी खींचतान खुलकर सामने आ गई है। कल तक भाजपा की छवि अनुशासन और एकजुटता की मानी जाती थी लेकिन जब से नए संगठन की नियुक्ती हुई है हालत बदल गए है। पार्टी में नेताओं के बीच दरार इतनी बढ़ चुकी है कि आवाज उठाने वालों को अब थाने की कुर्सी दिखाकर चुप कराने की कोशिश की जा रही है।

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