शक्कर में महंगाई की कड़वाहट: पहली बार चिल्हर में दाम 48 रुपए

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रायपुर। भारत शक्कर के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। यही कारण है कि आमतौर पर शक्कर यानी चीनी के दाम थोक में 34 रुपए और चिल्हर में 38 रुपए के आसपास रहते हैं, लेकिन बीते एक साल से इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। अब तो जहां अच्छी क्वालिटी की शक्कर थोक में 44 से 45 रुपए किलो हो गई है, वहीं चिल्हर में इसके दाम 48 रुपए हो गए हैं। लंबे समय से शक्कर का समर्थन मूल्य भी बढ़ाने की मांग हो रही है। समर्थन मूल्य बढ़ने के बाद दाम और बढ़ेंगे। 2019 से समर्थन मूल्य 31 रुपए ही है।
शक्कर एक ऐसी चीज है जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चलता। शक्कर का उपयोग हर घर में आमतौर पर चाय और काफी बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसी के साथ घर में बनने वाले मीठे व्यंजनों में इसका उपयोग किया जाता है। शक्कर की कीमत लंबे समय से खुले बाजार में थोक में 32 से 34 रुपए और चिल्हर में 36 से 38 रुपए रही है, लेकिन अब इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
समर्थन मूल्य भी बढ़ने की संभावना
लंबे समय से देश भर के शक्कर उत्पादकों के साथ ही किसान भी शक्कर का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। शक्कर उत्पादकों के मुताबिक उत्पादन का खर्च लगातार बढ़ रहा है, लेकिन समर्थन मूल्य में छह साल से कोई इजाफा नहीं हो सका है। शक्कर का समर्थन मूल्य बढ़ने से ही शक्कर कारखानों में किसानों के गन्ने का जो भुगतान बचा है, वह मिल सकेगा। जानकारों के मुताबिक 2019 से शक्कर का समर्थन 31 रुपए है। इसको बढ़ाने के संकेत केंद्र सरकार से भी मिले हैं। समर्थन मूल्य में इजाफा होने के बाद संभावना है कि शक्कर के दाम में और इजाफा हो सकता है।
पहली बार दाम इतने ज्यादा
कारोबारियों के मुताबिक शक्कर के दाम पहली बार इतने ज्यादा हुए हैं। राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश के बाजार में इस समय थोक में शक्कर के दाम अलग-अलग क्वालिटी के हिसाब से 42 से 45 रुपए तक है। इसमें सबसे अच्छी क्वालिटी की शक्कर के दाम थोक में 45 रुपए हैं। यह शक्कर चिल्हर में 48 रुपए मिल रही है। चिल्हर कारोबारियों का कहना है कि उनको दुकान तक पहुंचकर शक्कर 46 रुपए की पड़ जाती है। ऐसे में दो रुपए का मुनाफा लेना तो हक बनता है, इसलिए यह अब चिल्हर में 48 रुपए किलो बिक रही है। कुछ कम क्वालिटी वाली शक्कर चिल्हर में 45 रुपए में मिल जा रही है, लेकिन ऐसी शक्कर आमतौर पर ज्यादातर कारोबारी नहीं रखते हैं। इसका उपयोग घरों में कम ही होता है।
