बिलासपुर रेल हादसा: जाँच रिपोर्ट में बड़े खुलासे, अनट्रेंड हाथों में थमा दी थी मेमू की कमान

बिलासपुर रेल हादसा : जाँच रिपोर्ट में बड़े खुलासे, अनट्रेंड हाथों में थमा दी थी मेमू की कमान
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बिलासपुर रेल हादसा

लालखदान में रेल हादसे की जांच करने वाले सीआरएस ने पूरी गलती रेल प्रशासन की बताई है, जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हुआ है।

बिलासपुर। लालखदान में रेल हादसे की जांच करने वाले सीआरएस ने पूरी गलती रेल प्रशासन की बताई है, जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हुआ है। सीआरएस की प्रारंभिक रिपोर्ट में अप्रशिक्षित चालक के हाथों में मेमू की कमान के कारण 12 यात्रियों की मौत का भी उल्लेख किया गया है। इसकी वजह से संबंधित विभाग के अधिकारियों पर भी कभी भी कार्रवाई की गाज गिर सकती है। एक माह पहले चार नवंबर को कोरबा-बिलासपुर लोकल मेमू अप लाइन पर खड़ी कोयला लोड मालगाड़ी से टकरा गई थी। इसके कारण 12 यात्रियों की मौत हो गई थी और 20 से अधिक यात्री घायल हो गए थे।

इस हादसे के कारण रेलवे को भी करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था। मामले की जांच करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन दक्षिण पूर्व सर्किल - कोलकाता के रेल सुरक्षा आयुक्त बीके मिश्रा ने रेल हादसे की जांच की शुरु की थी। इस दौरान उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर निरीक्षण करते हुए तीन दिन तक इलेट्रिकल ओपी, इलेक्ट्रकल, एसएंडटी, मैकेनिकल, सीएंडडब्लू सहित अन्य विभाग के अफसरों व कर्मचारियों से पूछताछ की।

लोकल ट्रेन के हादसे की पूरी गलती रेल प्रशासन की
वहीं, 20 दिन के बाद सीआरएस श्री मिश्रा ने मामले की मुख्य अभियुक्त मेमू की असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज से केन्द्रीय रेलवे हॉस्पिटल में जाकर घटना के संबंध में दो घंटे तक चर्चा की थी। सोमवार की रात रेल सुरक्षा आयुक्त श्री मिश्रा ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट एसईसीआर जोन मुख्यालय और डिवीजन को भेज दी है। इस रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि लोकल ट्रेन के हादसे की पूरी गलती रेल प्रशासन की है। विभाग ने चालक को साइको टेस्ट में पास नहीं होने के बाद भी यात्री ट्रेन को चलाने की जिम्मेदारी सौंप दी। अगर यात्री ट्रेन की कमान किसी को देना था तो उसे सायकोलोजिकल टेस्ट पास चालक को दिया जाना था। रेल प्रशासन की गलती के कारण यह हादसा हुआ है, जिसे सुधार करने की आवश्यकता है।

जांच में दिए गए सुझाव
रेल सेफ्टी आयुक्त ने रेल प्रशासन के अलावा चालक को जिम्मेदार ठहराया है। आगामी दिनों में इस तरह की कोई घटना न हो सके, इसके लिए विशेष सुझाव भी रेल प्रशासन के अफसरों को दिया है, जिसमें ट्रेन परिचालन सुगम बनाने तथा अन्य उपकरणों द्वारा दर्ज किए गए इवेंट्स से मिलान करने के लिए सभी मानिटरिंग और रिकार्डिंग उपकरणों की घड़ियों को जीपीएस समय से स्वतः समन्वित होना चाहिए। इसमें ओएचई के लिए एससीएडीए सिस्टम, टीसीएमएस और बीबी आर यानि ब्लैक बॉक्स रिकार्डर मेमू ट्रेन में और लोकोमोटिव व मोटर कोच में ड्राइविंग मोटरों में स्पीडोमीटर शामिल हैं।

संचार प्रणाली बेहतर करने की जरूरत

  1. रेलवे को जांच करनी चाहिए कि क्या आरडीएसओ निर्देश के अनुसार सीसीटीवी सिस्टम का पालन रैक में किया गया था, जैसा कि ट्रेन संख्या 68733 में हैं। ऐसे सीसीटीवी सिस्टम को विश्वसनीय बनाने के लिए सुधार की आवश्यकता है।
  2. रेलवे को सलाह दी गई है कि वीडियो सर्विलांस सिस्टम प्रदान की जाए। मेमू में उन्नत सहायक चेतावनी प्रणाली का परीक्षण पूरा हो चुका है। यह प्रणाली एसईसीआर में लगाई जानी चाहिए ताकि लोको पायलट द्वारा सिग्नल मिस की घटना को कम किया जा सके।
  3. डीजल पावर कंट्रोल को सूचित न किए जाने के कारण हूटर बजने में सात मिनट की अनावश्यक देरी हुई। संचार प्रणाली की समीक्षा कर सुधार किया जाना चाहिए।
  4. सहायक लोको पायलट के लिए आवश्यक रक्त परीक्षण लिपिड प्रोफाइल, शुगर आदि में संशोधन के कारण कुछ कमियां आई हैं। रेलवे को इन निर्देशों की समीक्षा कर पुरानी व्यवस्था बहाल करना चाहिए।
  5. जीआर 3,07 व 3.08 में डबल यलो का अर्थ है कि आगे प्रतिबंधित गति पर जाने और अगले सिग्नल पर रुकने की तैयारी, लेकिन एसईसीआर में इसके लिए विशेष निर्देश लागू नहीं है। एसपीएडी जांच समिति की सिफारिश पर रेलवे को इसे लागू करना चाहिए।
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