हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता माना जाएगा पीड़ित

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता माना जाएगा पीड़ित
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File Photo 

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि, धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता के तहत एक 'पीड़ित' की परिभाषा में आता है।

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता के तहत एक 'पीड़ित' की परिभाषा में आता है। कोर्ट ने इसी आधार पर अपीलकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने और नई अपील दायर करने की अनुमति दी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि 60 दिनों के भीतर नई अपील दायर की जाती है तो समय सीमा बाधा नहीं मानी जाएगी। रायपुर की पूनम व्यास ने यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी।

याचिका न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर के 21 दिसंबर 2016 के फैसले के खिलाफ थी जिसमें विपक्षी पार्टी के एक युवक कमल किशोर व्यास को धारा 138 के तहत आरोपों से बरी कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में पूनम व्यास के एडवोकेट विजय चावला ने बताया कि 138 के तहत चेक बाउंस के मामले में शिकायतकर्ता को पीड़ित माना गया है। याचिका में यह भी कहा गया कि, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में फैसला दिया है इसलिए पीडित और शिकायतकर्ता दूसरी पार्टी के बरी हो जाने के खिलाफ अपील करने का हकदार है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने एक नई अपील दायर करने की अनुमति मांगी। यह भी प्रार्थना की गई कि परिसीमा की अवधि को नई अपील पर विचार करने में बाधक नहीं बनना चाहिए क्योंकि लगातार नोटिस के बाद भी प्रतिवादी, कमल किशोर व्यास सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं।

मैरिट आधार पर होगी सुनवाई
सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में स्पष्ट किया कि परिसीमा का मुद्दा अपील को मैरिट के आधार पर सुनने से नहीं रोकेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि तय समय के भीतर संबंधित सत्र न्यायाधीश के समक्ष ऐसी अपील दायर की जाती है, तो वह उस पर निर्णय लेने के दौरान समयसीमा पर जोर नहीं देगा।

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