'कोल लेवी' पर हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी: व्हाइट कालर क्राइम देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाता है

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने सिंडिकेट बनाकर कोयला परिवहन पर जबरन अवैध कोल लेवी वसूली के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि व्हाइट कॉलर क्राइम देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाता है और आर्थिक अपराध जानबूझकर व्यक्तिगत लाभ पर नजर रखते हुए समुदाय पर पड़ने वाले परिणामों की परवाह किए बिना किया जाता है।
ध्यान रहे कि, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की शिकायत पर एसीबी ने अपराध पंजीबद्ध कर रायगढ़ के रामगुड़ी पारा निवासी नवनीत तिवारी को जनवरी 2024 को हिरासत में लिया है। उसके खिलाफ 420, 120-बी, 384, 467, धारा 468, 471 और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट, 1988 की धारा 7,7-, 12 के तहत जुर्म दर्ज किया गया है। आरोप है कि तिवारी ने राजनेताओं और कुछ वरिष्ठ राज्य सरकार के अधिकारियों के सक्रिय समर्थन से तत्कालीन भूविज्ञान और खनिकर्म निदेशक को प्रभावित करने में कामयाबी हासिल की और 15 जुलाई 2020 को एक सरकारी आदेश जारी करवाया जो परिवहन परमिट जारी करने की ऑनलाइन प्रणाली को मैनुअल प्रणाली में परिवर्तित करके इस जबरन वसूली प्रणाली का स्रोत बन गया।
आर्थिक अपराधों को गंभीरता से देखना जरूरी
जेल में बंद आरोपी ने मामले की सुनवाई में विलंब होने व उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं होने के आधार पर जमानत आवेदन पेश किया था। जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास की एकलपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है जिससे यह साबित हो कि ट्रायल सिर्फ अभियोजन की वजह से लेट हो रहा है। आवेदक के वकील की ओर से यह भी कहा गया कि आवेदक को अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया है क्योंकि आवेदक के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है।
