25 बरस का छत्तीसगढ़: 1 नवंबर को ही मिला था सूबे को अपना हाईकोर्ट, वकीलों के साथ आम जनता ने किया था लंबा संघर्ष

25 बरस का छत्तीसगढ़ : 1 नवंबर को ही मिला था सूबे को अपना हाईकोर्ट, वकीलों के साथ आम जनता ने किया था लंबा संघर्ष
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हाईकोर्ट

1 नवंबर को राज्य अपने 25 वर्ष पूरे कर रहा है। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में राज्योत्सव का आयोजन होगा, जिसमें PM नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य अपने 25 वर्ष पूरे कर रहा है। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में राज्योत्सव का आयोजन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। लेकिन यह दिन सिर्फ राज्य के गठन की याद नहीं दिलाता, बल्कि न्याय व्यवस्था की नींव रखने वाले ऐतिहासिक पल का भी प्रतीक है।

इसी दिन यानी 1 नवंबर को बिलासपुर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सौगात मिली थी। तब से बिलासपुर को न्यायधानी के नाम से जाना जाने लगा। सबसे पहले स्थित नार्मल स्कूल के बिल्डिंग में हाईकोर्ट की शुरुआत हुई। फिर इसे वहां से स्थानांतरित कर बोदरी में बसाया गया। आज छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट एशिया का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा और सबसे सुन्दर हाईकोर्ट है।

अधिवक्ताओं ने वर्षों तक किया संघर्ष
आपको बता दें कि, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना के लिए बिलासपुर के अधिवक्ताओं ने वर्षों तक संघर्ष किया था। रिटायर्ड जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि इस हाईकोर्ट के गठन के पीछे सिर्फ वकीलों का नहीं, बल्कि आम जनता का भी संघर्ष जुड़ा था। उन्होंने कहा कि राज्य विभाजन से पहले छत्तीसगढ़ के लोगों को न्याय के लिए मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट तक जाना पड़ता था, जिससे आम नागरिकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

पिछले 24 वर्षों में हाईकोर्ट ने हासिल किये कई मुकाम
बिलासपुर में हाईकोर्ट की स्थापना के बाद न्याय की पहुंच आम लोगों तक आसान हुई, लेकिन त्वरित न्याय की दिशा में अभी भी कई सुधारों की जरूरत है। जस्टिस मिश्रा के अनुसार, पिछले 24 वर्षों में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने न्यायिक व्यवस्था में कई अहम मुकाम हासिल किए हैं। अब चुनौती है कि तकनीक और पारदर्शिता के साथ न्याय प्रक्रिया को और तेज व भरोसेमंद बनाया जाए।

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