हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पीड़िता 'उत्कृष्ट गवाह' की श्रेणी में हो तो आरोपी लाभ नहीं ले सकता

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एक अभियुक्त पीड़िता के बयान में मामूली विसंगतियों का लाभ नहीं ले सकता जब चिकित्सा और फोरेंसिक साक्ष्य अभियोजन पक्ष के मामले की पुष्टि करते हैं। खासकर जहां पीड़िता का बयान पूरी तरह से सुसंगत रहा है और विश्वास दिलाता है उसका साक्ष्य 'उत्कृष्ट गवाह' की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने आरोपी की 20 साल के कारावास की सजा बरकरार रखी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व बीडी गुरु की डीबी ने पाक्सो एक्ट के आरोपी युवक को मिली सजा बरकरार रखते हुए उसकी अपील खारिज कर दी।
इस 11 वर्षीय पीड़िता के पिता ने सरायपाली थाने में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी जो दोपहर में अपने घर के सामने खेलती हुई नदारद हुई थी। पुलिस ने पतासाजी करते हुए साँपंधी, थाना सरायपाली, जिला महासमुंद निवासी शनि कुमार चौहान पुत्र जेठूराम चौहान के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस प्रकरण में विशेष न्यायाधीश सरायपाली, जिला महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने 13 मई 2022 को दोषसिद्धि और सजा का आदेश के दिया था।
डॉक्टरी परीक्षण और एफएसएल
रिपोर्ट में पुष्टि कोर्ट ने कहा कि, वर्तमान मामले में, विशेष रूप से पीड़िता की गवाही से, यह स्पष्ट है कि वह शुरू से अंत तक अपने रुख पर अडिग रही है। पीड़िता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अपीलकर्ता उसे जबरन बागोड़ा ले गया, उसे बंधक बनाया और बार-बार यौन उत्पीड़न किया। सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत उसका बयान इन तथ्यों की पुष्टि करता है, जिसमें उसके अपहरण, बंधक बनाने और बार-बार यौन उत्पीड़न का विवरण शामिल है। डाक्टरी परीक्षण और एफएसएल रिपोर्ट ने भी बयान की पुष्टि की।
