बच्चों ने मां दुर्गा के नौ रूपों का कराया दर्शन: भक्तिमय हुआ रानो स्कूल, प्रस्तुति से छात्राओं ने मोहा मन

बच्चों ने मां दुर्गा के नौ रूपों का कराया दर्शन
बेमेतरा। बेमेतरा जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रानो में बच्चों ने नौ दुर्गा के रूप में शानदार प्रस्तुति दी। बच्चों ने प्रथम दिन माँ शैलपुत्री से लेकर ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कुष्मान्डा, स्कन्द माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी नवमी दिन माँ सिद्धि दात्री तक के सारे रूपों को बहुत ही अच्छे से प्रस्तुत किया। साथ ही साथ अपनी विशेषता भी बताई।
वहीं स्वच्छता पखवाड़ा के अन्तर्गत सभी अपने आसपास को स्वच्छ रखने की अपील की। क्योंकि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन विराजित होता है। स्वस्थ मन से अनवरत कार्य करते हुए हर मंज़िल हासिल की जा सकती है। सभी को नवरात्रि की शुभकामनायें प्रेषित की। इस अवसर पर प्रधान पाठक किशुनराम साहू, अवध राम वर्मा, कनकलता सरसुधे, प्रतीक जैन और समस्त बच्चे उपस्थित रहे थे।

जानिए मां दुर्गा के नौ रूपों के बारें में
शैलपुत्री
शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।
ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी माँ की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
चंद्रघंटा
माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है।
कूष्माण्डा
नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और चंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।
स्कंदमाता
नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

कात्यायनी
कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवीं रूप हैं। कात्यायनी अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमे भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, में भी प्रचलित हैं
कालरात्रि
माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यू-रुद्राणी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है।
महागौरी
महागौरी देवी दुर्गा का आठवाँ और अति शांत स्वरूप हैं, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं. उनका रंग अत्यंत गोरा होता है, जिसकी तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के फूल से की जाती है। वह अपने चार हाथों में अभय मुद्रा, त्रिशूल, डमरू और वर मुद्रा धारण करती हैं, और उनका वाहन वृषभ (बैल) है. नवरात्र के आठवें दिन उनकी पूजा की जाती है, और उनकी पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
माँ सिद्धिदात्री
माँ सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवाँ और अंतिम स्वरूप हैं जो नवदुर्गा का हिस्सा हैं। उनका नाम सिद्धि और दात्री ) से शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है वह देवी जो सभी सिद्धियाँ और पूर्णता प्रदान करती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन उनकी पूजा की जाती है।
