प्रायमरी के बच्चों का अनूठा हिंदी प्रेम: बोले- हमारी आन-बान-शान, अभिलाषा और हमारी शान है हिंदी

प्रायमरी के बच्चों का अनूठा हिंदी प्रेम
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शाला में उपस्थित छात्र

बेमेतरा के प्राथमिक शाला खपरी धोबी में दिवस बड़े उत्साह से मनाया गया। बच्चों ने मेहंदी डिज़ाइन और चित्रों के माध्यम से हिंदी भाषा की महिमा को प्रदर्शित किया।

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में प्राथमिक शाला खपरी धोबी विकासखंड साजा में हिंदी दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरणादायक पंक्तियों और हिंदी भाषा की महिमा के वंदन के साथ हुई। विद्यालय प्रांगण में बच्चों और शिक्षकों ने मिलकर हिंदी भाषा के महत्त्व को उजागर किया।

इस अवसर पर बालिकाओं ने अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते हुए हाथों में सुंदर-सुंदर डिज़ाइन बनाई। किसी ने भारत माता की बिंदी में 'हिंदी'अंकित की, तो किसी ने भारत का चित्र बनाकर 'हिंदी दिवस' लिखा। कार्यक्रम के दौरान सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एक-एक कर के मंच पर आकर हिंदी भाषा की समृद्धि और महत्त्व पर अपने विचार व्यक्त किया। बच्चों को भी मंच पर बोलने का अवसर दिया गया, जिससे उनमें आत्मविश्वास का संचार हुआ।

आज विदेशी भी हिंदी सिखने को उत्सुक हैं- प्रधान पाठक धनेश
प्रधान पाठक धनेश रजक ने अपने संबोधन में कहा कि, हिंदी हमारी राष्टभाषा ही नहीं, बल्कि भारत माता की आत्मा भी है। हमें इसका सम्मान करते हुए इसके प्रचार-प्रसार में सक्रीय भूमिका निभानी चाहिए। यह अपनेपन की भाषा है, जो दुःख-सुख की भावनाओं को सहजता से व्यक्त करती है। आज विदेशी भी हिंदी सिखने को उत्सुक हैं, इसलिए हमें जहां भी जाएं, अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए।

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
उन्होंने हिंदी दिवस का इतिहास बताते हुए बच्चों को जानकारी दी कि, पहला हिंदी दिवस साल 1953 में मनाया गया था। यह दिन हमें हिंदी के महत्त्व और इसके संरक्षण की याद दिलाता है। कार्यक्रम में शिक्षकों में थुकल राम तारम, विजय लक्ष्मी रावत, चंद्र शेखर कश्यप सहित समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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