डाइट बेमेतरा के साजा में विज्ञान संकाय की कार्यशाला: चार मास्टर ट्रेनर्स विभिन्न विषयों पर दे रहे हैं गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण

डाइट बेमेतरा के साजा में विज्ञान संकाय की कार्यशाला
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विज्ञान विषय पर ब्लुप्रिंट निर्माण कार्यशाला

बेमेतरा जिले के साजा में डाइट बेमेतरा के मार्गदर्शन में विज्ञान संकाय के व्याख्याताओं के लिए विभिन्न विषयों पर विकासखंड स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले का सबसे बड़े शिक्षा संस्थान डाइट बेमेतरा के प्राचार्य जे के घृतलहरे के मार्गदर्शन में आज से विकासखंड स्तर पर विज्ञान संकाय के विभिन्न विषयों पर ब्लुप्रिंट निर्माण, प्रश्न पत्र निर्माण, एवं शिक्षण शास्त्र पर कार्यशाला का आयोजन शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय साजा में प्रारंभ हो गया।

इसमें 4 मास्टर ट्रेनर्स और बीआरजी चंद्रकांत दुबे, रमेश कुमार वर्मा, रमेश कुमार पटेल और हेमेंद्र पंसारी विभिन्न विषयों और कंटेंट व्याख्ताओं को सुंदर-गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। पहले दिन साजा विकासखंड प्रभारी डाइट व्यख्याता थलज कुमार साहू विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने सभी व्याख्याताओं को इस प्रशिक्षण को पूरी तरह गंभीरता पूर्वक लेने के लिए कहा और इस प्रशिक्षण से सीखी हुई बातों को विद्यार्थियों तक ले जाने के लिए प्रेरित किया।

इसके आधार पर होता है ब्लुप्रिंट का निर्माण
कार्यशाला में बीआरजी और व्याख्याता चंद्रकांत दुबे ने ब्लूम टेक्सोनामी के 6 डोमेन का प्रश्न पत्र निर्माण में कैसे प्रयोग करें, को विस्तार से बताया। अमेरिका की शिक्षा मनोवैज्ञानिक बी एस ब्लूम ने 3H के आधार पर (हेड, हर्ट और हैण्ड) शैक्षिक उद्देश्यों का वर्गीकरण किया। जिसे उसी के नाम पर ब्लूम टैक्सोनामी कहा जाता है। इसी के आधार पर ब्लुप्रिंट का निर्माण किया जाता है। इसके बाद ही संतुलित प्रश्न पत्र का निर्माण किया जाता है।


प्रत्येक विद्यालय की होती है अपनी-अपनी अलग संस्कृति
प्रशिक्षण के मुख्य बिंदु विद्यालयीन संस्कृति पर चर्चा करते हुए बीआरजी चंद्रकांत दुबे ने बताया कि, यह विद्यालय का संपूर्ण व्यक्तित्व है। जो यह बताता है कि, छात्र शिक्षक और स्टाफ कर्मचारी कैसे काम करते हैं। तथा एक दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। प्रत्येक विद्यालय की अपनी-अपनी अलग संस्कृति होती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा करते हुए कहा कि, हमारी शिक्षा व्यवस्था को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के लिए विश्व के साथ संबंध में स्थापित करने के लिए ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाया गया है।

सीखने के वातावरण पर भी हुई चर्चा
इसके सभी प्रावधानों को 2030 तक पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। सीखने के वातावरण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, यह वह कुंजी है जो किसी विद्यार्थी की रुचि, जिज्ञासा को जन्म देता है और ज्ञान को सार्थक व स्थायी बनाता है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों को अपने विचारों को रखने की स्वतंत्रता हो, भय मुक्त हो, मूल्यांकन केंद्रित हो, समुदाय केंद्रित हो, एक आदर्श वातावरण मिले, सीखने के लिए मानसिक वातावरण का उपयुक्त होना बहुत आवश्यक है। 'मन चंगा तो कठौती में गंगा'। यदि आपका मन शुद्ध, पवित्र और शांत है, तो आपका हर काम गंगा स्नान जितना ही पवित्र और फलदायी होता है।

अच्छा वातावरण बनाना भी एक कला है- चंद्रकांत दुबे
चंद्रकांत दुबे ने कहा कि, कक्षा में जाकर कहानी, प्रेरक प्रसंग, चुटकुला समस्याओं को जानने का प्रयास करें। बच्चों से मित्रवत व्यवहार करें, गलती को सीखने का अवसर मान ले और हमेशा विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। वातावरण के निर्माण में शिक्षक की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अच्छा वातावरण बनाना भी एक कला है। जैसे मुस्कुरा कर प्रवेश करना, बच्चों को नाम से संबोधित करना, बोलने के लिए प्रेरित करना, हर बच्चे को उनकी क्षमता के आधार पर आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

नशा मुक्ति की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण
नशा मुक्ति पर अपनी बात रखते हुए बीआरजी और व्याख्याता डॉ. प्रियंका वर्मा ने कहा कि, नशा एक सामाजिक बुराई है। यह व्यक्ति के मन, शरीर और समाज को बुरी तरह से प्रभावित करता है। यह व्यक्ति की आत्म नियंत्रण सोचने समझने की क्षमता को भी प्रभावित करती है। विनाश की ओर ले जाती है। ऐसे में नशा मुक्ति की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसके बहुत सारे दुष्परिणाम हमें देखने को मिलते हैं। जैसे शारीरिक स्वास्थ्य, हृदय, फेफड़ा, मस्तिष्क, किडनी आदि को अत्यंत नुकसान पहुंचता है।

ऐसे हो सकते हैं नशा मुक्त
डॉ. प्रियंका ने कहा कि, मानसिक अवसाद जैसे चिंता, गुस्सा, तनाव आदि का शिकार हो जाना, सामाजिक प्रतिष्ठा पुरी तरह नष्ट हो जाती है। आर्थिक स्थिति भी अत्यंत कमजोर हो जाती है। स्वस्थ और बेहतर पारिवारिक माहौल का निर्माण कर हम नशा से मुक्त हो सकते हैं। रोगी को नशा मुक्ति केंद्र में ले जाना चाहिए। उनके मनोरंजन के लिए उचित व्यवस्था करना चाहिए और उनके साथ संवेदनशील व्यवहार करें।

प्रशिक्षार्थियों में ये लोग हुए शामिल
वहीं बीआरजी रमेश कुमार वर्मा, रमेश कुमार पटेल, हेमेंद्र पंसारी ने भी अपने विषयों पर विस्तृत चर्चा की। प्रशिक्षण के प्रथम दिवस में विज्ञान समूह के अंतर्गत चारों विषय के 74 व्याख्याता उपस्थित रहे। जबकि 4 विकासखंड स्रोत समूह डीआरजी गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। प्रशिक्षार्थियों में वंदना साहू, ईश्वर लाल साहू, भोला राम वर्मा, पिंकी कश्यप, राखी ठाकुर, नीलिमा खोब्रागड़े, उपेंद्र कुमार वर्मा, रश्मि साहू, चेतना साहू, रविंद्र बंजारे, पदमनी चंद्राकर, सविता यादव, देवेन्द्र दुबे, जानव्ही तिवारी, भावना वैष्णव, लता स्वर्णकार, रीता शर्मा, मनीषा तिवारी, विनय जोशी शामिल है। पूरे प्रशिक्षण का समन्वय साजा बीआरपी चंद्रकांत वर्मा ने किया औरविशेष सहयोग व्याख्याता अजय कुमार शर्मा, डॉ. प्रियंका वर्मा और विकास मिश्रा ने किया।

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