धान की फसल पर संकट: बस्तर में हल्दी गांठ का कहर, दाने मखमली धूल में हो रहे तब्दील

धान की फसल में बढ़ रहा हल्दी रोग से किसान परेशान
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धान की फसल में बढ़ रहा हल्दी रोग 

बस्तर के कई इलाके से धान की बालियों में 'हल्दी गांठ' नामक रोग पांव पसार रहा है। इससे भयभीत किसान समय से पहले फसल की कटाई करने में लग गए हैं।

अनिल सामंत- जगदलपुर। धान की फसल जब पककर कटाई के लिए तैयार हो रही है, उसी समय किसानों पर एक और संकट टूट पड़ा है। धान की बालियों में इन दिनों 'हल्दी गांठ' नामक रोग तेजी से फैल रहा है, जिससे बालियों पर लगे दाने हरे और पीले मखमली धूल जैसे हो रहे हैं। यह रोग फसल की गुणवत्ता पर सीधा असर डाल रहा है और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान की आशंका बढ़ गई है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह बीमारी एक खेत से दूसरे खेत में बड़ी तेजी से फैलती है। नाइट्रोजन की अधिक मात्रा का उपयोग और नमी की अधिकता इसके फैलने की प्रमुख वजह मानी जा रही है। खेतों में धान की बालियां संक्रमित होते ही दाने खोखले हो जाते हैं और फसल की चमक खत्म हो जाती है।


जल्दबाजी में कटाई करने लगे किसान
इसी डर से किसान अब जल्दबाजी में कटाई कर रहे हैं, ताकि नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सके। लेकिन जल्द कटाई से फसल की गुणवत्ता और भी प्रभावित होने का खतरा है। इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण किसानों को भरपूर उत्पादन की उम्मीद थी,मगर अब यह रोग उनकी मेहनत पर पानी फेरने लगा है। खरीदी केंद्रों पर जब फसल गुणवत्ता जांच में कमजोर निकलती है, तो किसानों को कम दरों पर अनाज बेचना पड़ता है।

दवा छिड़काव कारगर उपाय
पौध रोग विशेषज्ञ श्वेता मंडल ने बताया कि हल्दी गांठ रोग को नियंत्रित करने के लिए प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी का छिड़काव कारगर उपाय है। 400 मिलीलीटर दवा को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से इस रोग को काफी हद तक रोका जा सकता है। यह छिड़काव तब करना चाहिए जब धान में बाली निकलनी शुरू होती है।


किसानों की मांग राहत और जागरूकता अभियान जरूरी
धान की फसल में हल्दी गांठ रोग किसानों की नई मुसीबत बन गया है। फसल पकने के समय इस बीमारी का फैलना उत्पादन और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित कर रहा है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि कृषि विभाग गांव-गांव पहुंचकर जागरूकता अभियान चलाए और सस्ती दरों पर प्रभावी दवाएं उपलब्ध कराए, ताकि मेहनतकश किसान अपनी फसल और उम्मीद दोनों को बचा सकें।

अब सिर्फ सलाह नहीं, चाहिए ठोस कदम
धान की बालियों पर लगी हल्दी गांठ अब केवल एक बीमारी नहीं,बल्कि किसानों की कमर तोड़ने वाली मुसीबत बन चुकी है। जिस समय खेत सुनहरे धानों से लहलहा रहे होते हैं, उसी समय यह रोग चुपके से किसानों की मेहनत को बर्बाद कर देता है। प्रशासन और कृषि विभाग को अब केवल सलाह देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि गांव-गांव जाकर रोग नियंत्रण के लिए अभियान चलाना चाहिए।

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