बस्तर ओलंपिक 2025: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे शुभारंभ, 3500 खिलाड़ी संभागीय मुकाबलों में लेंगे भाग

जगदलपुर में बस्तर ओलंपिक 2025 उद्घाटन कार्यक्रम
अनिल सांमत - जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले में गुरुवार को इंदिरा स्टेडियम से बस्तर ओलंपिक 2025 का भव्य आगाज़ होगा। एक ऐसा आयोजन जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय उद्घाटन करेंगे, जबकि संभाग के सातों जिलों और विशेष “नुआ बाट” टीम सहित 8 टीमें इतिहास रचने उतरेंगी।
तीन दिनों तक चलने वाले इस महाआयोजन में 3500 खिलाड़ी 11 विधाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। 276 विजेताओं के अलावा ओवरऑल चौंपियनशिप और प्रत्येक जिले के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को भी सम्मानित किया जाएगा। इस उद्धघाटन समारोह में आज देश की ओलंपिक बॉक्सर और ब्रांच मेडल विजेता मेरीकॉम पहुंचेंगी।
समापन समारोह में गृहमंत्री अमित शाह होंगे शमिल
बस्तर संभागायुक्त डोमन सिंह ने बताया कि, पिछले वर्ष 1.65 लाख पंजीयन थे, जो इस बार दोगुने से भी अधिक बढ़कर 3 लाख 91 हजार पर पहुंच गए हैं। बस्तर की नई खेल चेतना का मजबूत संकेत। कलेक्टर हरीश एस ने कहा कि, इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम, सिटी ग्राउंड, क्रीड़ा परिसर धरमपुरा और पंडरीपानी हॉकी मैदान पर मुकाबले होंगे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले प्रतिभागियों और आत्मसमर्पित कैडर्स को भी एक विशेष टीम के रूप में शामिल किया गया है, जो इस आयोजन को सामाजिक एकता की नई मिसाल बनाता है। वहीं बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में देश के गृहमंत्री अमित शाह सम्मलित होंगे। 13 दिसम्बर को समापन होगा। प्रेसवार्ता में बस्तर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा उपस्थित थे।
'नुआ बाट' टीम और दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए विशेष आयोजन
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि, 'नुआ बाट' टीम में 761 खिलाड़ी शामिल हैं। नक्सली घटनाओं में दिव्यांग हो चुके खिलाड़ियों के लिए अलग से व्हीलचेयर रेस भी कराई जाएगी, जिससे खेल आयोजन केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और पुनर्वास का आयाम भी बन रहा है। बस्तर ओलंपिक का समापन शनिवार को होगा, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विजेताओं को पुरस्कृत करेंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे, जबकि विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह विशिष्ट अतिथि होंगे।

बस्तर ओलंपिक जनजातीय खेलों से अंतरराष्ट्रीय संभावनाओं तक
बस्तर ओलंपिक की अवधारणा केवल प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं है। यह जनजातीय खेल, ग्रामीण प्रतिभा ,स्थानीय संस्कृति और सामाजिक एकजुटता को राष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठित करने का प्रयास है। आयोजकों का लक्ष्य है कि तीरंदाज़ी, हॉकी, एथलेटिक्स और परंपरागत खेलों में उभरने वाली प्रतिभाओं को राष्ट्रीय शिविरों तक पहुँचाया जाए। नक्सल प्रभावित इलाकों के युवाओं का मुख्यधारा से जुड़ना, दिव्यांग प्रतिभागियों को समान अवसर मिलना और विशाल पंजीयन संख्या बस्तर की उस ‘खेल क्रांति’ की ओर संकेत करती है, जो आने वाले वर्षों में दक्षिण भारत के सबसे बड़े ग्रामीण खेल मॉडल के रूप में उभर सकती है।
