बस्तर के युवा लिखेंगे नया इतिहास: राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन में शामिल होंगे शहीद महेंद्र कर्मा विवि के विद्यार्थी

शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी
अनिल सामंत- जगदलपुर। बस्तर के इतिहास में पहली बार शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी देश के सबसे बड़े वैज्ञानिक आयोजन 'भारतीय विज्ञान सम्मेलन' में भाग लेने जा रहे हैं। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में तिरुपति में होने वाले इस सम्मेलन में विश्वविद्यालय के स्नातक, स्नातकोत्तर व शोधार्थी प्रतिनिधित्व करेंगे।
इसी कड़ी में मंगलवार को विश्वविद्यालय में लोक विज्ञान अध्ययन केंद्र की स्थापना संबंधी संकल्पना पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. एमके श्रीवास्तव, विज्ञान भारती मध्य क्षेत्र के संगठन मंत्री विवस्वान, महासचिव वरा प्रसाद कोला की उपस्थिति में विद्यार्थियों को सम्मेलन की विस्तृत जानकारी दी गई।
मुख्य वक्ता प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि, आधुनिक और भारतीय ज्ञान परंपरा को साथ लेकर चलना आवश्यक है। उन्होंने कहा- जब युवा होलिस्टिक दृष्टिकोण से विभिन्न विषयों का मूलज्ञान प्राप्त करते हैं, तो वे हर समस्या का समाधान अधिक सटीकता से कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि यूजीसी ने भी अब जीई (जनरल एजुकेशन) के माध्यम से इसी समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है। प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े कई विषयों पर शोध कीआवश्यकता है, ताकि पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिकआधार दिया जा सके।

स्वदेशी विज्ञान जीवन का हिस्सा बने : विवस्वान
विज्ञान भारती के संगठन मंत्री विवस्वान ने युवाओं से कहा कि, वे संवाद और शोध के माध्यम से स्वदेशी ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि बस्तर के स्थानीय विज्ञान और परंपरागत तकनीक को एकेडमिक रूप में अभिव्यक्त करना समय की मांग है।
हमारा ज्ञान पिछड़ा नहीं, उसे पुनर्स्थापित करने की जरूरत : वरा प्रसाद
महासचिव वरा प्रसाद कोला ने कहा कि विज्ञान किसी भी देश की प्रगति की रीढ़ है। हमारा स्वदेशी ज्ञान कभी पिछड़ा नहीं था, बस उसे आधुनिक रूप में पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान सम्मेलन का उद्देश्य ही यही है स्थानीय वैज्ञानिक ज्ञान को राष्ट्रीय मंच देना। कार्यक्रम का संचालन डॉ कुश कुमार नायक ने किया।
भारतीय विज्ञान सम्मेलन 7वां संस्करण
स्थान: तिरुपति (आंध्र प्रदेश)। आयोजन विज्ञान भारती व भारतीय विज्ञान परिषद। विशेष पहली बार बस्तर के विश्वविद्यालयी विद्यार्थी होंगे सहभागी। मुख्य उद्देश्य स्वदेशी और आधुनिक विज्ञान के समन्वय को बढ़ावा देना। कुलपति का संदेश विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं, जीवन दर्शन से जुड़ा है।
