जनजातीय गौरव दिवस: बस्तर से उठी सांस्कृतिक चेतना की गूंज, युनिवर्सिटी में हुई कार्यशाला

जनजातीय गौरव दिवस कार्यशाला
अनिल सामंत - जगदलपुर। शहीद वीरों और जनजातीय नायकों की स्मृति में मनाए जा रहे जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर गुरुवार को शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का विषय था- 'जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत एवं उनके ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान।' इस अवसर पर सांसद महेश कश्यप, कुलपति प्रो. एम.के. श्रीवास्तव, वनवासी विकास समिति के प्रांत संगठन मंत्री रामनाथ कश्यप तथा विवि कार्यपरिषद सदस्य राजीव शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
बस्तर नई सामाजिक दिशा की ओर अग्रसर- कुलपति का संदेश
अपने स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि, 'शहीद वीर नारायण सिंह, भगवान बिरसा मुंडा, टंटया भील, सिदो-कान्हो और रानी दुर्गावती जैसे जनजातीय समाज के वीरों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।' और जनजातीय समाज में समानता और आदर की भावना गहराई से निहित है। बस्तर अब नक्सलवाद की छाया से मुक्त होकर नई सामाजिक दिशा की ओर बढ़ रहा है।

पूर्वजों के चरित्र को जीवन में उतारें- सांसद महेश कश्यप
सांसद महेश कश्यप ने अपने प्रेरक वक्तव्य में कहा 'जनजातीय वीरों ने मुगलों और अंग्रेजों से लड़कर समाज की रक्षा की। आज हमारे समाज को गलत प्रतीकों से जोड़ने की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन हमें अपनी असली पहचान धर्म, साहस और संस्कृति को जीवित रखना होगा।' साथ ही उन्होंने कहा कि जनजातीय परंपराएं हमारी शक्ति हैं और इन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
अरण्यक संस्कृति ही भारत की आत्मा- रामनाथ कश्यप का उद्बोधन
वनवासी विकास समिति के प्रांत संगठन मंत्री रामनाथ कश्यप ने कहा- 'भारत की मूल संस्कृति ‘अरण्यक संस्कृति’ है, जो बाद में ग्राम संस्कृति में विकसित हुई। जनजातीय समाज प्रकृति की पूजा कर कृतज्ञता व्यक्त करता है।' और उन्होंने घोटुल जैसी सामाजिक संस्थाओं को समाज में अनुशासन और संस्कार की पाठशाला बताया तथा युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने इतिहास की गौरवगाथा स्वयं लिखें।
ऐसे आयोजन युवाओं में आत्मविश्वास जगाते हैं- राजीव शर्मा
विवि कार्यपरिषद सदस्य राजीव शर्मा ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस को महाविद्यालयों तक पहुंचाना आवश्यक है। 'इस तरह के आयोजन युवाओं में अपने अतीत, अस्तित्व और संस्कृति के प्रति गर्व की भावना पैदा करते हैं।'
चित्र प्रदर्शनी ने खींचा ध्यान
कार्यक्रम में जनजातीय नायकों की चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसे अतिथियों ने सराहा। डॉ. कुश कुमार नायक ने संचालन किया और डॉ. राजेश लालवानी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम में समाजसेवी यज्ञ सिंह, सुब्रमण्यम राव, महेश राव, उमेश सिंह, प्रकाश ठाकुर, सत्यनारायण, सहित विवि के प्राध्यापक और महाविद्यालय प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का उद्देश्य- जनजातीय चेतना का प्रसार
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. सजीवन कुमार ने बताया कि बस्तर की भूमि जनजातीय चेतना की अनुपम भूमि है। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय पिछले वर्ष से जनजातीय महापुरुषों के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने का अभियान चला रहा है, जो अब राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है।
सांस्कृतिक चेतना का संदेश
कार्यशाला ने बस्तर की धरती पर नई चेतना का संचार किया। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि 'भारत का भविष्य तभी सशक्त होगा, जब उसकी जनजातीय जड़ें और गौरव सुरक्षित रहेंगे।'
