बस्तर में औद्योगिक युग की नई शुरुआत: खनिज, पर्यटन और एडवेंचर में बन रहा निवेश का हब

बस्तर अपार पर्यटन संभावनाओं से भरा है। नई उद्योग नीति ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया
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बस्तर को विकास और रोजगार का नया केंद्र बनाएगी राज्य सरकार

केंद्र और राज्य सरकार की औद्योगिक नीतियों, निवेश प्रोत्साहन योजनाओं और बेहतर कनेक्टिविटी के कारण बस्तर निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र लंबे समय तक अपनी सांस्कृतिक धरोहर, घने वनों और खनिज संपदा के लिए पहचाना जाता रहा है। अब यही इलाका एक नए औद्योगिक युग की ओर कदम बढ़ा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की औद्योगिक नीतियों, निवेश प्रोत्साहन योजनाओं और बेहतर कनेक्टिविटी के कारण बस्तर निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। यह बदलाव न केवल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। बल्कि, रोजगार, बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास के नए द्वार भी खोलेगा।


खनिज आधारित उद्योगों की अपार संभावनाएँ
बस्तर भारत के सबसे खनिज संपन्न इलाकों में से एक है। यहां आयरन ओर, बॉक्साइट, चूना पत्थर और डोलोमाइट जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। यही कारण है कि स्टील, एल्युमिनियम और सीमेंट जैसे खनिज आधारित उद्योग यहां तेजी से स्थापित हो रहे हैं। NMDC स्टील प्लांट और कई निजी कंपनियों की परियोजनाएं क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों को गति दे रही हैं।


कृषि और वन आधारित उद्योग
खनिज के अलावा, बस्तर में कृषि और वनोपज पर आधारित उद्योगों की भी बड़ी संभावनाएं हैं। तेंदूपत्ता, इमली, महुआ और लाख जैसे उत्पाद यहां की पहचान हैं। अब इन्हें वैल्यू-एडिशन से जोड़ने की कोशिश हो रही है। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ, हर्बल उत्पाद और हैंडीक्राफ्ट उद्योग बस्तर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ सकते हैं। इससे आदिवासी समुदाय को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ मिलेगा।


पर्यटन और एडवेंचर इंडस्ट्री, रोजगार के नए स्रोत
बस्तर केवल संस्कृति और झरनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एडवेंचर टूरिज्म का भी नया केंद्र बन रहा है।

  • बैम्बू राफ्टिंग : इंद्रावती नदी और उसके आसपास स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करके बैम्बू राफ्टिंग शुरू की गई है। इससे पर्यटकों को नया अनुभव मिलता है और युवाओं को स्थायी रोजगार।
  • ट्रैकिंग और जंगल सफारी : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और बारसूर जैसे इलाकों में जंगल सफारी, ट्रैकिंग और बर्ड वॉचिंग गतिविधियाँ तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
  • होम-स्टे और इको-टूरिज्म : ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में पर्यटकों के लिए होम-स्टे मॉडल ने स्थानीय परिवारों को सीधा आय का साधन दिया है।

पर्यटन विभाग की रिपोर्टों के अनुसार, इन एडवेंचर गतिविधियों से बस्तर में हर साल हजारों युवाओं को रोजगार मिल रहा है। अनुमान है कि आने वाले समय में केवल बैम्बू राफ्टिंग और जंगल सफारी जैसी गतिविधियों से 5,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हो सकते हैं।


सरकार की नीतियां और निवेश आकर्षण
राज्य सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। सस्ती भूमि उपलब्धता, टैक्स में रियायतें और आसान अनुमति प्रक्रिया से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। इसके अलावा, 'ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस' की दिशा में तेज़ी से कदम उठाए जा रहे हैं। रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी बेहतर होने से अब उद्योगपतियों और पर्यटकों के लिए बस्तर पहुँचना आसान हो गया है।


रोजगार और सामाजिक बदलाव

  • बस्तर में नए उद्योगों और पर्यटन के बढ़ते दायरे से सबसे बड़ा लाभ स्थानीय युवाओं को मिल रहा है।
  • खनिज और विनिर्माण उद्योग से प्रत्यक्ष रूप से लाखों रोजगार सृजित हो रहे हैं।
  • पर्यटन, बैम्बू राफ्टिंग, होम-स्टे और हस्तशिल्प से हजारों अप्रत्यक्ष रोजगार जुड़ रहे हैं।
  • महिलाएं गाइड, कैफ़े, हैंडीक्राफ्ट और होम-स्टे मैनेजमेंट में शामिल होकर आत्मनिर्भर हो रही हैं।

भविष्य की संभावनाएँ
आने वाले वर्षों में बस्तर केवल खनिज आधारित उद्योगों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आईटी, पर्यटन और सेवा क्षेत्र में भी विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। ग्रीन इंडस्ट्रीज, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं और एडवेंचर टूरिज्म मिलकर बस्तर को पर्यावरणीय और आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगे।


बस्तर बन रहा पर्यटन, संस्कृति और एडवेंचर गतिविधियों का संगम
बस्तर का नया औद्योगिक युग केवल खदानों और कारखानों की कहानी नहीं है, बल्कि यह पर्यटन, संस्कृति और एडवेंचर गतिविधियों का संगम बन रहा है। उद्योग और बैम्बू राफ्टिंग जैसे रोमांचक पर्यटन मॉडल मिलकर स्थानीय युवाओं और महिलाओं को रोज़गार एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। आने वाले वर्षों में बस्तर देश का औद्योगिक ही नहीं, बल्कि एडवेंचर और इको-टूरिज्म हब भी बनकर उभरेगा।

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