पहले ही दिन छा गई बस्तर की ‘माटी’: थिएटरों में उमड़ी दर्शकों की भीड़, स्थानीय कलाकारों की धमाकेदार एंट्री

थिएटरों में उमड़ी दर्शकों की भीड़, स्थानीय कलाकारों की धमाकेदार एंट्री
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फिल्म 'माटी' ने मचाई धूम

14 नवंबर को रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘माटी’ ने पहले ही दिन दर्शकों का दिल जीत लिया, स्थानीय कलाकारों की यह पहली फिल्म बस्तर की आत्मा, संघर्ष और संवेदनाओं को बड़े पर्दे पर जीवंत करती है।

अनिल सामंत - जगदलपुर। बस्तर की धरती पर बनी फ़िल्म ‘माटी’ 14 नवंबर को रिलीज़ होते ही पहले ही शो से दर्शकों का उमड़ा सैलाब देख रही है। महिलाओं, युवतियों और युवाओं का उत्साह ऐसा कि थिएटरों में सुबह से भीड़ टूट पड़ी। स्थानीय कलाकारों की पहली ही फिल्म में मिली यह सफलता बस्तर की प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच पर नई पहचान देती है।

माटी बस्तर की आत्मा की आवाज़ है- निर्माता
फ़िल्म के लेखक, निर्माता और समाजसेवी संपत झा ने कहा कि, 'बस्तर सिर्फ संघर्षों की नहीं, हिम्मत, उम्मीद और संवेदनाओं की धरती है और ‘माटी’ उसी आत्मा की आवाज़ है।' वे बताते हैं कि वर्षों की हिंसा ने अनगिनत कलाकारों और सपने देखने वालों की आवाज़ दबा दी थी, पहली बार ‘माटी’ उन अनकही कहानियों को बड़े पर्दे पर परिभाषित करती है।

संपत झा ने बताया कि, 'हमने बस्तर के उन सैकड़ों लोगों को जोड़ा जो बदलाव के लिए तैयार थे। धमकियाँ मिलीं, साथी बलिदान हुए, पर उनकी गाथाएँ कहीं दर्ज नहीं थीं ‘माटी’ उन्हीं के सपनों की गूंज है। हमने बस्तर को कैमरे में नहीं, दिल में कैद किया है।'


पहली स्क्रीनिंग में ही मिला भारी समर्थन
फिल्म को पहले ही दिन से महिलाओं, युवतियों और स्थानीय कलाकारों द्वारा ज़बरदस्त समर्थन मिला है, स्थानीय कलाकारों की सादगी, प्रस्तुति और अभिनय ने दर्शकों के दिल को गहराई से छुआ। ‘माटी’ साबित करती है कि बस्तर सिर्फ कहानी नहीं, एक संवेदना है और संवेदना जब पर्दे पर उतरती है तो जादू रच देती है।

बस्तर की प्रतिभा का बड़ा मंच
यह फिल्म पहली बार बस्तर की नैसर्गिक प्रतिभा, ऊर्जा और अभिनय को बड़े पर्दे पर इतने दमदार तरीके से सामने लाती है। थिएटरों में पहले ही दिन उमड़ी भीड़ बताती है कि बस्तर अपनी नई पीढ़ी के कलाकारों के साथ मजबूती से खड़ा है और उनके सपनों को उड़ान देने को तैयार है।


दर्शकों ने दिया 10 में से 10 अंक
बस्तर जिला पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेश रावल ने कहा 'लोकेशन, संगीत और कलाकारों का अभिनय लाजवाब। स्थानीय कलाकारों से साधारण अभिनय की उम्मीद थी, लेकिन सभी मंझे हुए कलाकार लगे, मैं फिल्म को 10 में से 10 अंक देता हूं। फिल्म शांति और प्रेम का संदेश देती है, यही जीवन का सार है।'

शिक्षिका प्रेरणा लुंक्कड़ ने कहा 'पहली बार छत्तीसगढ़ी फिल्म देखी, और वो भी उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर, फिल्मांकन और कहानी प्रस्तुति शानदार थी, नक्सल समस्या को बेहद संतुलित और प्रभावी ढंग से दिखाया गया, और स्थानीय कलाकारों ने दिल जीत लिया।'

बस्तर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष शिवप्रकाश सीजी ने कहा 'बस्तर के कलाकारों ने कर दिखाया, नक्सल विषय पर फिल्में तो बहुत बनीं लेकिन बस्तर के लोग खुद इतनी शानदार फिल्म बनाएँगे यह आश्चर्यजनक है। यह फिल्म बॉलीवुड और छालीवुड की टक्कर की है।'

‘माटी’- बस्तर की आत्मा की पुकार
पहली ही फिल्म में स्थानीय कलाकारों की यह उपलब्धि संकेत देती है कि आने वाला समय बस्तर को फिल्म जगत के नए केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है। ‘माटी’ सिर्फ एक फिल्म नहीं यह बस्तर के सपनों, संघर्षों और स्वाभिमान का जीवंत दस्तावेज है।

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