बस्तर में विकास की नई सुबह: 52,000 करोड़ के चल रहे प्रोजेक्ट्स- निवेश योजनाओं से विकास और विश्वास की बहाली

सुशासन सरकार ने बदली बस्तर की तस्वीर, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा हर क्षेत्र में हो रहा है ऐतिहासिक काम
रायपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर जो दशकों तक सशस्त्र संघर्ष, दूरदराज़ी और अविकसितता के लिए जाना जाता था। अब तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। हाल के वर्षों में वहाँ की तस्वीर बदल रही है। सड़कों, रेल- परियोजनाओं और बहु-क्षेत्रीय विकास योजनाओं के माध्यम से निवेश आकृष्ट हो रहे हैं, स्थानीय अर्थव्यवस्था में भरोसा लौट रहा है। नीचे प्रस्तुत यह विस्तृत निबंध तथ्य- आधारित आँकड़ों के साथ बस्तर के परिवर्तन, उसके कारण, प्रभाव और आगे की चुनौतियों का समेकित विश्लेषण है।
पिछले 3- 4 दशकों में बस्तर क्षेत्र नक्सल-प्रभावित रहा है। सुरक्षा चुनौतियों के कारण निजी निवेश और बुनियादी ढांचे का विकास अवरुद्ध रहा। परंतु हाल के वर्षों में केंद्र तथा राज्य की नीतियाँ- सुरक्षा, विकास और समेकित लोक-कल्याण कार्यक्रमों का संयोजन और सक्रिय निवेश-प्रोत्साहन बैठकों ने माहौल बदलने की दिशा में काम किया है। इसके साथ ही स्थानीय और समुदाय-आधारित पर्यटन तथा कृषि- उद्यमों ने भी धीमे- धीमे गति पकड़ी है। रिपोर्टें बताती हैं कि अब नक्सल-प्रभाव वाले जिलों की संख्या घट रही है और राज्य ने बड़े पैमाने पर विकास योजनाएँ जारी की हैं।

52,000 करोड़ का समेकित विकास पैकेज
सरकार ने बस्तर और आसपास के नक्सल-प्रभावित इलाकों के लिये लगभग 52,000 करोड़ के विकास व निवेश पैकेज की रूपरेखा घोषित की है, जिसमें सड़क, रेल, स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि और औद्योगिक क्लस्टर शामिल हैं। यह घोषणाएँ (सितंबर 2025 की रिपोर्टों के अनुसार) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को तेज़ी से बढ़ाने पर केन्द्रित हैं।

967 करोड़ के आए निवेश प्रस्ताव
हालिया ‘Investor Connect’/निवेशक बैठक में 33 निवेश प्रस्तावों के रूप में लगभग ₹967 करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए, जिनसे ~2,100 प्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न होने का अनुमान बताया गया। ये परियोजनाएँ स्वास्थ्य, पर्यटन, खाद्य-प्रसंस्करण, गोदाम, होटल और स्थानीय उद्योगों पर केन्द्रित हैं।

सड़क और रेल कनेक्टिविटी पर जोर
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर मार्ग व रेल परियोजनाएँ तेज़ हैं। उदाहरण के लिए Raoghat–Jagdalpur रेल लाइन एवं अन्य रेल-डबलिंग योजनाएँ (कई हज़ार करोड़ के रेल निवेश), तथा लगभग 387 किमी उच्च गति/पक्की सड़कों के प्रस्ताव जो जिलों को जोड़ने का काम करेंगी। ऐसी कनेक्टिविटी न सिर्फ व्यापार व पर्यटन बढ़ाएगी। बल्कि आपूर्ति श्रृंखलाओं और आपातकालीन सेवाओं की पहुँच भी बढ़ाएगी। ग्रामीण सड़क विकास जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के तहत व्यापक मार्ग-संशोधन हुआ है। (PMGSY आँकड़ों के अनुसार) पूरे देश में हजारों किमी सड़कें तैयार/स्वीकृत हुईं, जिससे दूरदराज क्षेत्रों की पहुँच में सुधार आया। बस्तर जैसे जिलों को भी इन लाभों से जोड़ा जा रहा है।

7500 करोड़ की सड़क और रेल परियोजनाओं पर निवेश
बजरी/कच्चे माल का परिवहन सस्ता और तेज़ होगा। स्थानीय कृषि उत्पादों (जैसे ताजे फल, फसल, हस्तशिल्प) के बाज़ार तक पहुँच में सुधार होगा। स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच आसान होगी। 2,300 करोड़ से अधिक रोड परियोजनाएँ और 5,200 करोड़ के रेल-निवेश के प्रस्ताव क्षेत्र की रिपोर्टों में उद्धृत हैं। यह माल-पहुँच तथा पैसेंजर- आवागमन दोनों के लिये बड़ा कदम है।

पर्यटन और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था
बस्तर का इको-टूरिज़्म, आदिवासी कला- संस्कृति और वाइल्डलाइफ़ पर्यटन स्थानीय समुदायों के लिये आय के स्रोत बन सकते हैं। स्थानीय-समुदाय केंद्रित मॉडल (होमस्टे, गाइडिंग, हस्तशिल्प) के मदद से आय सीधे समुदाय तक जाएगी। निवेश प्रस्तावों में होटल, पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर और कम्युनिटी-टूरिज़्म प्रोजेक्ट शामिल रहे हैं, जिससे वर्षानु वर्ष पर्यटक-आकर्षण बढ़ने की संभावना है।

स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार परियोजनाएँ
निवेश प्रस्तावों में अस्पताल, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र और उच्च शिक्षा के छोटे क्लस्टर शामिल हैं। ये स्थानीय मानव पूँजी को सशक्त कर रोजगार योग्य बनाएंगे और पलायन कम कर सकते हैं। 2,100 के रोजगार-प्रभाव का अनुमान इसी पर केंद्रित है। हालिया सरकारी आँकड़े बताते हैं कि जो जिलों में नक्सल-प्रभाव घट रहे हैं, वहाँ सुरक्षा माहौल सुधर रहा है। केंद्र और राज्य की ऑपरेशनल तथा विकासात्मक रणनीतियों के संयोजन से ‘सबका विकास’ का संदेश पहुँचा कर हिंसा घटाने की कोशिश जारी है। (2025 की ताज़ा रिपोर्टों में प्रभावित जिलों की संख्या घटने की ओर संकेत मिलता है)।

स्थानीय समुदाय का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ
परियोजनाओं से निर्माण और ऑपरेशन चरण में स्थानीय श्रम की माँग बढ़ेगी। उदाहरण: सड़क निर्माण, होटल कर्मी, स्वास्थ्य सेवाएँ, गोडाउन/लॉजिस्टिक्स। (Investor Connect- 2,100 नौकरियाँ अनुमानित)।
- आय में विविधता : पारंपरिक कृषि-निर्भरता के अलावा फ़ूड-प्रोसेसिंग, हैंडिक्राफ्ट एक्सपोर्ट और पर्यटन-आधारित व्यवसाय आय के नए स्रोत बनेंगे।
- स्मॉल-स्केल एंटरप्रेन्योरशिप : बेहतर बाजार पहुँच से छोटे किसान और कारीगर सीधे व्यापारी/होटल/पर्यटन संचालक से जुड़ सकेंगे। बीच वाले दलों की भूमिका घटेगी।
- सामाजिक इन्फ्रा : बेहतर स्वास्थ्य केंद्र, शैक्षिक संस्थान और सड़कों से परिचर्या (ambulance, school bus) में व्यवस्था बेहतर होगी। जो मानव विकास सूचकांकों पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है।

नक्सल संघर्ष के बाद विकास के रास्ते पर आ रहा बस्तर
बस्तर का हालिया ट्रेंड सुरक्षा में सुधार व बड़े पैमाने पर अधोसंरचना परियोजनाओं के चलते यह संकेत देता है कि कोई क्षेत्र संघर्ष के बाद गति से विकास के रास्ते पर आ सकता है। बशर्ते विकास योजनाएँ समावेशी, पारिस्थितिक और स्थानीय-हितैषी हों। 52,000 करोड़ के समेकित प्रोजेक्ट और हाल के 967 करोड़ के निवेश-प्रस्ताव (अनुमानित- 2,100 नौकरियाँ) यह दर्शाते हैं कि निवेशकों का रुझान लौट रहा है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि यह अवसर तभी स्थायी होगा जब स्थानीय समुदायों का अधिकार सुरक्षित रहे। पर्यावरण की रक्षा हो और कौशल/बाजार तक पहुँच सुनिश्चित हो।
