दीपावली पर गौरा-गौरी पूजन की धूम: पारंपरिक नृत्य-गीत के साथ शान से निकली भगवान शिव की बारात

पारंपरिक नृत्य-गीत के साथ शान से निकली भगवान शिव की बारात
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भव्य शोभायात्रा और गौरा-गौरी विसर्जन

परिवार की खुशहाली और सामाजिक समृद्धि की कामना के साथ बलौदा बाजार में दिखा लोकसंस्कृति का रंग, उत्साह के साथ मनाया गया गौरा-गौरी विवाह पर्व।

कुश अग्रवाल - बलौदा बाजार। दीपावली के बाद छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धड़कन माने जाने वाला गौरा-गौरी विवाह पर्व बलौदा बाजार जिले के गांव-गांव में परंपरागत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। ग्रामीणों ने भगवान शिव (गौरा) और माता पार्वती (गौरी) की प्रतिमाओं की स्थापना कर परिवार की खुशहाली, अच्छी फसल और सामाजिक समृद्धि की कामना की।

धार्मिक आस्था और लोक परंपरा का संगम
दीपावली की रात को प्रतिमाओं की स्थापना की रस्म, जिसे स्थानीय बोली में “गौरी-गौरा बैठाना” कहा जाता है, पूरे धार्मिक अनुशासन के साथ संपन्न हुई। इसके बाद गांवों में पारंपरिक गीतों और नृत्यों की गूंज के बीच विवाह की सभी रस्में निभाई गईं।

लोकनृत्य और बारात ने बढ़ाया उत्सव का रंग
रात ढलते ही गौरा-गौरी की बारात निकाली गई, जिसमें महिलाएं रंग-बिरंगी छत्तीसगढ़ी वेशभूषा में नृत्य करती नजर आईं। ढोल, मंजीरा और झांझ की ताल पर थिरकते ग्रामीणों ने पूरे माहौल को उत्सवमय बना दिया।

परंपरागत ‘सोटा प्रहार’ की अनूठी रस्म
त्योहार की विशेष परंपरा ‘सोटा प्रहार’ भी निभाई गई, जिसमें युवक प्रतीकात्मक रूप से चाबुक से प्रहार करते हैं। यह परंपरा साहस, शक्ति और सामुदायिक एकता का प्रतीक मानी जाती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह रस्म सामाजिक बंधन और भाईचारे को मजबूत करने का संदेश देती है।

शोभायात्रा और विसर्जन के साथ हुआ समापन
पूरी रात पूजा, गीत-संगीत और भक्ति में डूबे गांव वाले सुबह तक लीन रहे अंत में गाजे-बाजे और ढोल-ढमाकों के साथ भव्य शोभायात्रा निकालकर गौरा-गौरी की प्रतिमाओं का तालाब में विसर्जन किया गया। विसर्जन के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे और लोक संस्कृति में एकता का संदेश गूंजता रहा।

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