दूरस्थ गांव बना डिजिटल इंडिया का मिसाल: अटल डिजिटल सुविधा केंद्र में बने रहे दस्तावेज, ग्रामीणों को हो रही सहूलियत

ग्राम मराईगुड़ा वन का अटल डिजिटल सुविधा केंद्र
लीलाधर राठी- सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के दूरस्थ ग्राम मराईगुड़ा वन ने विकास की नई कहानी लिखी है। कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के नेतृत्व और सकारात्मक पहल से यहाँ हाल ही में अटल डिजिटल सुविधा केंद्र (एडीएसके) की शुरुआत हुई है। जिसने न सिर्फ पंचायत बल्कि आसपास के गाँवों को भी नई पहचान दी है।
सरपंच कुमारी स्वप्ना कोरसा ने बताया कि, पहले ग्रामीणों को आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र, पेंशन, बैंकिंग या आयुष्मान कार्ड जैसी मूलभूत शासकीय सेवाओं के लिए कोंटा, दोरनापाल या जिला मुख्यालय सुकमा तक 150 किमी की यात्रा करनी पड़ती थी। इसमें उनका 1 से 2 दिन का समय और 500-600 रुपये तक का खर्च आता था। खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। गांव में अटल डिजिटल सुविधा केंद्र स्थापित होने से ग्रामीणों को बहुत सहूलियत हो रही है।

कामों के लिए जाना पड़ता था गांव से बाहर
ग्रामीणों के समय और धन की बचत, अब छोटे-छोटे कामों के लिए दूर नहीं जाना पड़ता। ग्रामीण डिजिटल सशक्तिकरण, ग्रामीण ऑनलाइन आवेदन और डिजिटल पेमेंट से परिचित हो रहे हैं। केंद्र स्थापित होने से पारदर्शिता और भरोसा बढ़ा और बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई। ग्रामीणों को रोज़गार के अवसर, स्थानीय युवाओं को केंद्र पर प्रशिक्षण और रोजगार मिला। महिलाओं की सुविधा, पेंशन और जननी सुरक्षा योजना जैसी सेवाएँ घर के पास मिल रही हैं।
डिजिटल मजबूती का हो रहा विस्तार
यह केंद्र न केवल पंचायत स्तर पर बल्कि आसपास की कई पंचायतों के लिए भी प्रेरणा बन गया है। शासन की यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता, डिजिटल इंडिया मिशन की मजबूती और विकास की मुख्यधारा से जुड़ाव का सशक्त उदाहरण है। केंद्र के माध्यम से अब तक 1 करोड़ रुपये से अधिक का डिजिटल ट्रांजेक्शन हो चुका है।
