अपोलो हॉस्पिटल के 4 डॉक्टरों को बड़ी राहत: इलाज के दौरान मौत के मामले में FIR निरस्त करने का आदेश

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
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साल 2016 में गोल्डी उर्फ गुरवीन सिंह छाबड़ा की इलाज के दौरान अपोलो अस्पताल में मौत हुई थी। इस मामले में 7 साल बाद सरकंडा थाने में FIR दर्ज की गई थी।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपोलो अस्पताल बिलासपुर के चार डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मेडिकल लापरवाही के आरोप में दर्ज एफआईआर, चार्जशीट और सीजेएम कोर्ट में लंबित समस्त कार्रवाई को रद्द कर दिया है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डिविजन बेंच ने कहा कि, डॉक्टरों को बिना ठोस सबूत के आपराधिक रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने साफ किया कि, यदि इलाज के दौरान डॉक्टर ने सामान्य सावधानी और चिकित्सकीय मानकों के अनुरूप उपचार किया है, तो यह लापरवाही नहीं मानी जाएगी।

सात साल बाद सरकंडा थाने में दर्ज हुई थी FIR
दरअसल मामला वर्ष 2016 का है, जब गोल्डी उर्फ गुरवीन सिंह छाबड़ा की इलाज के दौरान अपोलो अस्पताल में मौत हुई थी। मृतक के पिता ने डॉक्टर राजीव लोचन भांजा, डॉ. सुनील केडिया, डॉ. देवेंद्र सिंह और मनोज राय पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। राज्य चिकित्सा मंडल की पांच विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम, जिसमें कार्डियोलॉजिस्ट भी शामिल थे, ने जांच कर स्पष्ट कहा था कि, इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई। इसके बावजूद 7 साल बाद वर्ष 2023 में सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।

यह कानूनी प्रक्रिया का दुदरुपयोग : हाईकोर्ट
कोर्ट ने इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध मामलों जैकब मैथ्यू बनाम स्टेट ऑफ पंजाब और बोलम टेस्ट का हवाला देते हुए कहा कि केवल बेहतर विकल्प उपलब्ध होने या अलग इलाज अपनाने से डॉक्टर की गलती नहीं मानी जा सकती। जब तक गंभीर लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण न हो, तब तक डॉक्टर पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। हाईकोर्ट ने एफआईआर क्रमांक 1342/2023, चार्जशीट 15 अप्रैल 2024 और सीजेएम कोर्ट में लंबित क्रिमिनल केस क्रमांक 2035/2024 को रद्द करने का आदेश दिया।

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