बच्चे एक भी नहीं शिक्षक दो: चार महीने से कारीमाटी के टीचर बैठकर गुजार रहे समय

File Photo
अंबिकापुर। शासकीय विद्यालयों एवं शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने के बावजूद स्कूलों की स्थिति नहीं सुधरी है। अभी भी कई ऐसे शासकीय स्कूल हैं जहां बच्चों की संख्या नगण्य है लेकिन विभाग ने पढ़ाई की खानापूर्ति के लिए दो-दो शिक्षकों को पदस्थ कर दिया है। शासकीय विद्यालयों की शिक्षा गुणवत्ता सुधारने की दृष्टि से शासन द्वारा कम दर्ज संख्या वाले शासकीय स्कूलों को बंद करने के साथ ही आवश्यकता से अधिक शिक्षकों को अन्यत्र पदस्थ किया गया था। इस युक्तियुक्तकरण के बाद भी ऐसे कई स्कूल हैं जहां पढ़ने वाले बच्चे नहीं हैं इसके बावजूद विभाग ने खानापूर्ति के लिए शिक्षक पदस्थ कर दिए हैं।
सूरजपुर जिलांतर्गत विकासखण्ड भैयाथान के ग्राम पंचायत परसिया के अलग-अलग वार्डों में एक मिडिल स्कूल एवं तीन प्रायमरी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। ग्राम पंचायत के कारीमाटी वार्ड में संचालित प्राथमिक शाला में 10 बच्चे अध्ययन कर रहे थे। शिक्षकों की मनमानी से परेशान अभिभावकों ने कई बार विद्यालय में पदस्थ शिक्षकों को अन्यत्र हटाने एवं दूसरे शिक्षकों को पदस्थ करने की मांग विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी से की लेकिन उन्होंने पूर्व में हुए युक्तियुक्तकरण का हवाला देकर इंकार कर दिया। बीईओ द्वारा मामले में संज्ञान नहीं लेने पर अभिभावकों ने अपने बच्चों की टीसी ले ली तथा उनका नाग गांव में ही संचालित प्रायवेट स्कूल में दर्ज करा दिया। शाला में एक भी बच्चे का नाम दर्ज नहीं होने के बावजूद कागजों में इसका संचालन होता रहा।
पिछले एक सप्ताह से विद्यालय में चार बच्चे पहुंच रहे हैं
विद्यालय में पदस्थ दोनों शिक्षक अपनी सुविधानुसार पहुंचते एवं मध्याह्न भोजन का स्वाद चखकर घर चले जाते। जुलाई से नवम्बर तक कई बार विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी फूलसाय मराबी भी स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे एवं शिक्षकों के साथ मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता का परीक्षण कर वापस चले गए। नवम्बर के अंत तक इसी तरह विद्यार्थी विहीन शाला का संचालन होता रहा। ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ने पर पिछले एक सप्ताह से विद्यालय में चार बच्चे पहुंच रहे हैं। जिन्हें पढ़ाने दोनों शिक्षक कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। विभाग की इस बड़ी लापरवाही का खुलासा होने के बाद विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। ग्रामवासी अधिकारियों की मिलीभगत से शिक्षकों पर मध्याहन भोजन की सामग्री में भी हेराफेरी करने की संभावना जता रहे हैं।
गांव के ही प्रधानपाठक
ग्रामीणों ने बताया कि, प्राथमिक शाला कारीमाटी के प्रधानपाठक लखनलाल यादव गांव के ही निवासी हैं तथा खेती गृहस्थी में व्यस्त होने के कारण शैक्षिक गतिविधियों में रूचि नहीं लेते। जनशिक्षक होने के कारण हाजिरी लगाने के बाद वे गायब हो जाते हैं। सहायक शिक्षक दिलबर सिंह ग्राम सावारावां के निवासी हैं तथा वे भी खानापूर्ति कर घर चले जाते हैं। स्कूल में कक्षा 5वीं में पढ़ने वाले बच्चों को न तो अक्षर का ज्ञान है न ही गिनती-पहाड़ा ही आता है। स्कूल की बदहाल शिक्षण व्यवस्था से अपने बच्चों का भविष्य बिगड़ता देख अभिभावकों ने अपने बच्चों की टीसी ले ली तथा गांव के ही एक निजी स्कूल में उनका एडमिशन करा दिया। इतना सबकुछ होने के बाद भी न तो शिक्षकों पर कोई असर पड़ा न ही अधिकारियों पर और विद्यार्थी विहीन शाला का संचालन चार महीनों तक होता रहा।
शिक्षक बदलने पर पढ़ेंगे बच्चे
ग्राम पंचायत परसिया के सरपंच शिवकुमार आग्रे ने बताया कि, स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की मनमानी से बच्चों का भविष्य खराब हो रहा था इसलिए ग्रामीणों ने आपसी सहमति से अपने बच्चों को हटाया। इसके पूर्व मैंने स्वयं बीईओ से दोनों शिक्षकों को अन्यत्र हटाने की मांग की ताकि शिक्षण व्यवस्था को सुधारा जा सके। बीईओ युक्तियुक्तकरण होने के बाद ऐसी कोई भी कार्रवाई शासन स्तर पर होने का हवाला देते रहे। स्कूल की व्यवस्था नहीं सुधरने पर बच्चों को हटाना पड़ा। चार महीने बाद पिछले एक सप्ताह से स्कूल में दो-चार बच्चे आते-जाते दिख रहे हैं। ग्राम पंचायत के अन्य शासकीय स्कूलों में भी बच्चों की संख्या सामान्य है जबकि प्राइवेट स्कूल में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्कूल के शिक्षकों को हटा दिया जाए तो गांव के बच्चों का नामांकन फिर से करा दिया जाएगा।
