65 साल बाद फिर सजी बारात: हल्दी और संगीत की रस्मों के साथ बुजुर्ग दंपत्ति ने दोबारा रचाई शादी

हल्दी और संगीत की रस्मों के साथ बुजुर्ग दंपत्ति ने दोबारा रचाई शादी
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65वीं शादी की सालगिरह पर नाचते बुजुर्ग दंपत्ति

82 वर्षीय बलदेव प्रसाद सोनी और 77 वर्षीय बेचनी देवी ने 65वीं शादी की सालगिरह पर हल्दी, बारात और संगीत की रस्मों के साथ फिर से रचाई शादी।

संतोष कश्यप - अम्बिकापुर। शहर में सोमवार को एक अनोखा और भावनाओं से भरा नजारा देखने को मिला, जब 82 वर्षीय दूल्हे बलदेव प्रसाद सोनी और 77 वर्षीय दुल्हन बेचनी देवी ने अपने 65वें वैवाहिक वर्षगांठ को शादी की रस्मों के साथ फिर से मनाया। हल्दी, संगीत, बारात और वरमाला की रस्मों ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने जमकर नृत्य किया।

बलदेव प्रसाद पारंपरिक पोशाक में दूल्हा बने तो बेचनी देवी ने मुस्कुराते हुए फिर से शादी के सात फेरे की यादें ताजा कर दीं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि यह आयोजन नई पीढ़ी को रिश्तों और संस्कारों की अहमियत से परिचित कराने के उद्देश्य से किया गया था।

चारों संतानों ने मिलकर किया सपना पूरा
बलदेव प्रसाद सोनी ब्रम्हरोड निवासी हैं, उनके दो बेटे- दिनेश और विनोद, और दो बेटियां- मंजू और अंजू हैं। परिवार ने बताया कि उनके माता-पिता अक्सर कहते थे कि उनकी शादी कम उम्र में और सीमित साधनों में हुई थी, जिससे उनकी कई इच्छाएँ अधूरी रह गईं। इस बार बेटों और बेटियों ने ठान लिया कि वे अपने माता-पिता की अधूरी शादी की ख्वाहिशें पूरी करेंगे।

घर से हल्दी, मंडप और बारात की रस्मों के साथ बारात निकाली गई और एक बड़े होटल में वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। बहुएं बसंती और उर्मिला, तथा दामाद शिवशंकर और अशोक ने भी पूरे दिल से सहयोग किया।

परपोता बना परदादा का सारथी
आयोजन की सबसे भावनात्मक झलक वह रही जब दंपत्ति के 18 वर्षीय परपोते तनिष्क सर्राफ ने सारथी बनकर अपनी गाड़ी में परदादा-दूल्हा और परदादी-दुल्हन को विवाह स्थल तक पहुँचाया। परिवार और स्थानीय लोगों के लिए यह पल समर्पण और प्रेम की जीती-जागती मिसाल बन गया।

ये शादी नहीं, प्रेम और समर्पण की मिसाल है
स्थानीय लोगों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक सालगिरह नहीं, बल्कि विवाह के असली अर्थ- साथ निभाने के संकल्प की पुनः याद दिलाने वाला क्षण था।

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