फेफड़े को चीरकर दिल में जा धंसी गोल: डिजिटल एक्सरे से ढूंढकर डॉक्टरों ने निकाला

फेफड़े को चीरकर दिल में जा धंसी गोली  : डिजिटल एक्सरे से ढूंढकर डॉक्टरों  ने निकाला
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राजनांदगांव जिले से आंबेडकर अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग भेजे गए मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी कर जान बचाई गई।

रायपुर। महाराष्ट्र बार्डर पर 40 वर्षीय मरीज के फेफड़े को चीरते हुए गोली हृदय में जा धंसी...। गंभीर हालत में राजनांदगांव जिले से आंबेडकर अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग भेजे गए मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी कर जान बचाई गई। हृदय के दाएं वेंट्रिकल में घुसी बुलेट को खोजने के लिए डॉक्टरों को डिजिटल एक्सरे की मदद लेकर काफी मशक्कत करनी पड़ी। मरीज के स्वस्थ होने के बाद उसे शीघ्र ही अस्पताल से डिस्चार्ज करने की तैयारी है। मरीज को कुछ दिन पहले आंबेडकर अस्पताल के ट्रामा एंड इमरजेंसी यूनिट में भर्ती कराया गया था। मरीज जब अस्पताल पहुंचा, तो उसका ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया था।

प्रारंभिक उपचार से मरीज के हीमोडायनेमिक्स में सुधार हुआ। उसके बाद तुरंत सीटी स्कैन के लिए भेजा गया जिससे पता चला कि बुलेट पसलियों में छेद करके फेफड़ों को चीरते हुए हार्ट के दाएं वेंट्रीकल में जा घुसी है। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी। छेद होने के कारण खून चारों तरफ अत्यधिक दबाव बना रहा था, जिसके कारण मरीज का हृदय रक्त को ठीक से पंप नहीं कर पा रहा था। मरीज का ब्लड, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद भी नहीं बढ़ पा रहा था। इस स्थिति में सीटी स्कैन के बाद मरीज के परिजनों को हाई रिस्क एवं डेथ ऑन टेबल कन्सेंट लेकर तुरंत ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया गया। हार्ट लंग मशीन की सहायता से दिल की धड़कन को रोका गया एवं हार्ट के राइट एट्रियम को काटकर ट्राईकस्पीड वाल्व को क्रॉस करके दाएं वेंट्रीकल में धंसी हुई गोली को निकाला गया।

ऑपरेशन में रहा इनका योगदान
सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के साथ इस जटिल ऑपरेशन में कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. संकल्प दीवान, डॉ. बालस्वरूप, परफ्यूशनिस्ट अंकिता और डिगेश्वर, सर्जरी पीजी डॉ. रेशम सिंह, एनेस्थीसिया टेक्निशियन भूपेंद्र, हरीश, नर्सिंग स्टाफ राजेंद्र, चोवा, दुष्यंत, मुनेश, प्रियंका, जागृति, तेजेंद्र, नरेंद्र, शिवा, फिजिशियन असिस्टेंट नूतन, जूनियर डॉ संजय त्रिपाठी, डॉ. ख्याति, डॉ. आयुषी खरे का योगदान रहा।

चार घंटे चला ऑपरेशन, 7 यूनिट ब्लड की जरुरत पड़ी
कार्डियक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि ऑपरेशन टेबल पर बुलेट की सटीक स्थिति का पता लगाना बहुत ही चुनौती पूर्ण था। 8 एमएम की गोली हृदय की मांसपेशी में कहां धंसी हुई है, इसके लिए ट्रांसएसोफेजियल इकोकार्डियोग्राफी के बाद डिजिटल एक्सरे मशीन से कई बार एक्सरे किया गया, तब जाकर हृदय के भीतर धंसी बुलेट की सटीक स्थिति का पता लगाया जा सका। डिजिटल एक्स-रे डिजिटल कैमरा की तरह ब्लूटूथ से तुरंत स्क्रीन में फोटो भेज देता है। ऑपरेशन में 4 घंटे का समय लगा एवं लगभग 7 यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ी।

असंभव को बनाया संभव

  1. रायपुर पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि, ऑपरेशन का सफल होना आपात स्थिति में विभाग की टीम का रैपिड रिस्पांस, तत्परता, एक्यूरेसी एवं सटीकता को दर्शाता है। इस बार भी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल रायपुर के डॉक्टरों की टीम ने मरीज के जीवन को बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है।
  2. रायपुर आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि,संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में भी मरीज की जान बचाने के लिए पूरी ताकत से काम करना, यही विशेषता आंबेडकर अस्पताल को अलग पहचान दिलाती है। डॉक्टरों की टीम ने असंभव लगने वाले केस को संभव कर दिखाया।

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