25 बरस का छत्तीसगढ़: गरीब-बीमारू-पिछड़ेपन का दंश पीछे छोड़ विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा हो रहा प्रदेश

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
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पुराने ख्यालातों से चलकर नए युग की ओर तेजी से बढ़ता छत्तीसगढ़   

सबको पता था कि, छत्तीसगढ़वासी अमीर धरती पर भी गरीबी का दंश झेल रहे हैं। पृथक राज्य बनते ही यहां के मेहनतकश लोगों के पसीने की खुशबू से राज्य महकता चला गया।

रायपुर। 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ भारत का 26वां राज्य बना, तब यह संसाधनों से भरपूर लेकिन बुनियादी विकास से दूर प्रदेश था। नक्सलवाद का डर, कमजोर सड़कें, बिजली की भारी कमी, सीमित उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाल स्थिति, ये सब नए राज्य के सामने गंभीर चुनौतियाँ थीं।

लेकिन 2003 में डॉ. रमन सिंह की सरकार का आगमन और 2023 के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में नई गति ने इस प्रदेश को ऐसे संरचनात्मक बदलाव दिए, जिसने 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ को पिछड़ेपन से उठाकर एक आधुनिक, सुरक्षित और तेजी से विकसित होते राज्य में बदल दिया।


सड़क और कनेक्टिविटी: कच्ची राहों से 4-6 लेन हाईवे तक
राज्य बनने के समय दूर-दराज के इलाकों में सड़कें बहुत कम थीं और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तो सरकारी पहुँच लगभग नाममात्र थी। रमन सिंह सरकार (2003–18) ने हजारों किलोमीटर ग्रामीण और राज्य सड़कें बनाईं- 1,200 किमी नई रेलवे लाइन विकसित की और पहली बार कई गांवों को मुख्यधारा से जोड़ा। जिसे आगे बढ़ाते हुए विष्णुदेव साय सरकार (2023–अब) ने आदिवासी क्षेत्रों में नई सड़कों को मंज़ूरी दी, औद्योगिक कॉरिडोर की कनेक्टिविटी बढ़ाई और लॉजिस्टिक नेटवर्क को अपग्रेड किया। आज छत्तीसगढ़ मजबूत सड़क नेटवर्क वाले राज्यों में गिना जाता है।


बिजली: लालटेन युग से Power Surplus State तक
2000 में बिजली की भारी कमी थी- गांव अंधेरे में और उद्योग ठप थे। जहां रमन सिंह सरकार ने बड़े पावर प्लांट स्थापित किए, लाखों घरों को बिजली से जोड़ा और छत्तीसगढ़ को Power Surplus राज्य बना दिया। वहीं साय सरकार ने वितरण नेटवर्क अपग्रेड कर ग्रामीण विद्युतीकरण को 100% तक पहुँचाया और उद्योगों को स्थिर बिजली उपलब्ध कराई जिससे आज बिजली ही छत्तीसगढ़ की ताकत है।


शिक्षा: सीमित आधार से आधुनिक और विज्ञान-उन्मुख राज्य तक
2000 में सिर्फ 31,023 प्राथमिक, 6,358 मिडिल और 1,149 हाई स्कूल थे साथ ही मात्र 3 विश्वविद्यालय, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा तक पहुँच लगभग नहीं थी और स्कूलों का ढांचा बहुत कमजोर था।


तकनीकी-मेडिकल-कन्या शिक्षा को प्राथमिकता
2003 में रमन सरकार के आने के बाद शिक्षा को प्राथमिकता दी गई, इस दौरान स्कूलों, कॉलेजों और तकनीकी एवं मेडिकल संस्थानों का विस्तार हुआ। छात्रावास और कन्या शिक्षा को बढ़ावा दिया गया, और मेडिकल कॉलेजों की संख्या केवल 2 से बढ़कर लगभग 10 तक पहुँची। 2005 में भिलाई में Chhattisgarh Swami Vivekanand Technical University और बिलासपुर में Pandit Sundarlal Sharma Open University शुरू हुईं, जो तकनीकी और दूरस्थ शिक्षा के लिए थीं। 2008 में अम्बिकापुर में Sarguja University स्थापित की गई, और 2016 में उसी क्षेत्र में Rajmata Devendra Kumari Singhdeo Government Medical College शुरू हुआ, इन सुधारों ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता को बढ़ाया।


सरकारी स्कूलों का अपग्रेडेशन
विष्णु देव साय सरकार ने छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों के सुधार और अपग्रेडेशन पर जोर दिया। 10,463 स्कूलों का पुनर्गठन (rationalisation) किया गया, ताकि शिक्षक हर स्कूल में मौजूद हों और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके। इसके अलावा, PM-SHRI योजना के तहत 78 स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं जैसे स्मार्ट क्लासरूम, लैब और पुस्तकालय के साथ अपग्रेड किया गया। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और स्कूलों को अधिक सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से उठाए गए। आज राज्य में 56,615 स्कूल, 969 कॉलेज और 29 विश्वविद्यालय हैं। उच्च शिक्षा में नामांकन 19.6% तक बढ़ चुका है।


स्वास्थ्य: संसाधनों की कमी से मजबूत स्वास्थ्य तंत्र तक
राज्य बनने के समय स्वास्थ्य व्यवस्था भी बहुत कमजोर थी। 2000 में छत्तीसगढ़ में केवल 8 जिला अस्पताल, 15 सिविल अस्पताल, 516 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और 3,818 सब-हेल्थ सेंटर (SHC) थे। बेड अनुपात मात्र 30 प्रति 1 लाख आबादी था, और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बेहद सीमित थी।


2 से 10 पहुंची मेडिकल कॉलेजों की संख्या
रमन सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य ढाँचे को मजबूत किया गया। मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2 से बढ़ाकर 10 कर दी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में PHC और SHC की संख्या बढ़ाई गई और 4,421 Health & Wellness Centres बनाए गए। इसके साथ ही मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार हुआ, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता दोनों बेहतर हुई।


अब Primary Health Centres पर जोर
जिसको आगे बढ़ा कर 2023 के बाद विष्णुदेव साय सरकार ने स्वास्थ्य प्रणाली को और आधुनिक बनाया। Sub-Health Centres की संख्या 5,205, Primary Health Centres 792 और Community Health Centres 170 हो गए हैं। साथ ही जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी बढ़ाई गई है। स्वास्थ्य सेवाएँ अब अधिक सुलभ, आधुनिक और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों दोनों में समान रूप से उपलब्ध हैं।


कृषि और किसान: छत्तीसगढ़ में फायदे का धंदा बनी खेती
2000 में सिंचाई की कमी और MSP कम होने के कारण किसान परेशान थे। जिसपर रमन सिंह सरकार ने ब्याज-मुक्त ऋण, विस्तारित सिंचाई, 6,000 यूनिट मुफ्त बिजली और MSP बढ़ाया। और तो साय सरकार ने “कृषक उन्नति योजना” के तहत ₹13,320 करोड़ सीधे किसानों को ट्रांसफर किए, 145 LMT धान खरीदा और MSP ₹3,100 प्रति क्विंटल कर दिया। जिसके कारण छत्तीसगढ़ अब देश का प्रमुख धान उत्पादक राज्य है।


उद्योग और निवेश: ठहराव से औद्योगिक शक्ति तक
2000 में उद्योग कम और रोजगार सीमित थे, रमन सिंह सरकार ने स्टील, सीमेंट, पॉवर और एल्यूमिनियम सेक्टर में बड़े उद्योग स्थापित किए। और साय सरकार ने Single Window Approval System 2.0, State Logistics Policy 2025 और तेज़ मंजूरी प्रक्रिया लागू कर निवेशकों का विश्वास बढ़ाया। आज कोरबा, रायगढ़, भिलाई जैसे क्षेत्र देश के औद्योगिक हब बन चुके हैं।


नक्सल प्रभावित क्षेत्र: भय से विकास की ओर
2000 में नक्सलवाद चरम पर था और सरकारी सेवाओं की पहुँच लगभग नहीं थी। रमन सिंह सरकार ने सड़कों, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों की शुरुआत कर क्षेत्र में विश्वास बनाया। वहीं साय सरकार ने Niyad Nellanaar जैसी योजना के माध्यम से सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएँ सीधे लोगों तक पहुँचाईं। नतीजतन, 2000 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भय और अव्यवस्था थी वहीं 2025 में BJP सरकारों के प्रयासों से इन इलाकों में सुरक्षा बढ़ी, विकास पहुँचा और नक्सल गतिविधियाँ कम हो गई हैं।


मजबूत नींव पर खड़ा होता गया विकास का ढांचा
2000 का छत्तीसगढ़ जहाँ संघर्ष, पिछड़ापन और असुविधाओं से घिरा था, वहीं 2003–2018 के दौरान मजबूत नींव डाली गई और 2023 के बाद के वर्षों में इस नींव पर आधुनिक, तकनीक-आधारित और तीव्र विकास का ढांचा खड़ा हो रहा है।

आज छत्तीसगढ़ बिजली, सड़क, कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और कनेक्टिविटी जैसे लगभग हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। यह बदलाव बताता है कि सही नेतृत्व, स्पष्ट विज़न और जनता के विश्वास से कोई भी प्रदेश अपनी कहानी बदल सकता है। छत्तीसगढ़ अब सिर्फ संसाधनों का राज्य नहीं, बल्कि विकसित, आत्मविश्वासी और भविष्य की ओर बढ़ता हुआ राज्य बन चुका है।

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