Bihar Chunav 2025: कौन बनेगा बिहार का सरताज? एग्जिट पोल ने दिखाई NDA को बढ़त, अब निगाहें फाइनल रिजल्ट पर

कौन बनेगा बिहार का सरताज? एग्जिट पोल ने दिखाई NDA को बढ़त, अब निगाहें फाइनल रिजल्ट पर
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इस बार के विधानसभा चुनाव में विभिन्न सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल के नतीजे ज्यादातर NDA के पक्ष में दिख रहे हैं।

बिहार चुनाव 2025: इस बार गठबंधन में बड़े बदलाव हुए हैं, जैसे NDA में चिराग पासवान की वापसी और महागठबंधन में VIP की एंट्री। महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड भागीदारी ने नतीजों को प्रभावित किया है।

पटना डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी समाप्त हो चुकी है और मतदान के बाद अब सबकी निगाहें फाइनल रिजल्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी।

2020 के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल के अनुमानों के विपरीत परिणाम आए थे, जिसने नतीजों की अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। इस बार के एग्जिट पोल के रुझानों को 2020 के वास्तविक आंकड़ों के साथ समझना दिलचस्प है।

एग्जिट पोल 2025 - NDA को स्पष्ट बहुमत का अनुमान

इस बार के विधानसभा चुनाव में विभिन्न सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल के नतीजे ज्यादातर NDA के पक्ष में दिख रहे हैं। अधिकांश एग्जिट पोल NDA को बहुमत के आंकड़े 122 से काफी आगे बता रहे हैं, जो नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन की वापसी का संकेत दे रहा है। प्रमुख एग्जिट पोल में NDA को 130 से 160 सीटें तक मिलने का अनुमान लगाया गया है।

वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 73 से 110 सीटों के बीच सिमटते हुए दिखाया गया है। कुछ एग्जिट पोल में जन सुराज जैसे अन्य दलों का प्रभाव सीमित रहने का अनुमान है।

2020 का उलटफेर और सीटों का अंतर

2025 के एग्जिट पोल को देखते हुए, 2020 के विधानसभा चुनाव के परिणाम याद रखना महत्वपूर्ण है। 2020 में कई प्रतिष्ठित एग्जिट पोल ने महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत या कम से कम सबसे बड़ा दल बनने का अनुमान लगाया था, लेकिन अंतिम नतीजे इसके विपरीत रहे।

2020 में एग्जिट पोल ने NDA को लगभग 110 से 120 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, जबकि वास्तविक नतीजों में NDA को 125 सीटें मिली थीं। वहीं, महागठबंधन के लिए एग्जिट पोल का औसत अनुमान 120 से 140 सीटों के बीच था, लेकिन उसे केवल 110 सीटें मिली थीं।

वैसे बिहार का चुनावी गणित अक्सर एग्जिट पोल के अनुमानों को चुनौती देता है, जहां जातिगत समीकरण, जमीनी स्तर की लहर और वोट शेयर का मामूली अंतर भी बड़ा बदलाव ला सकता है।

गठबंधन में बदलाव - नई साझेदारियां

इस बार के चुनाव में दोनों प्रमुख गठबंधनों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। इस बार के महागठबंधन में मुकेश साहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी को भी सीटें मिली हैं, दूसरी ओर, NDA के लिए सबसे बड़ा बदलाव चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की वापसी है।

2020 में चिराग पासवान की पार्टी JDU के खिलाफ चुनाव लड़ी थी, जिससे जेडीयू को नुकसान हुआ था। इस बार चिराग पासवान का NDA में शामिल होना गठबंधन की एकजुटता और सीटों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव महत्वपूर्ण है।

2020 के चुनावी आंकड़े और सबसे बड़ा दल

2020 के विधानसभा चुनाव में, भले ही NDA को बहुमत (125 सीट) मिला और उसने सरकार बनाई, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल 75 सीटों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। NDA गठबंधन के भीतर भारतीय जनता पार्टी ने 74 सीटें (19.46% वोट शेयर) जीती थीं, जबकि जेडीयू को 43 सीटें (15.39% वोट शेयर) मिली थीं।

इसके अलावा, विकासशील इंसान पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भी 4-4 सीटें जीती थीं। दूसरी ओर, महागठबंधन में RJD (75 सीटें, 23.11% वोट शेयर) के अलावा कांग्रेस को 19 सीटें और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन को 12 सीटें मिली थीं।

इस बार बदला हुआ गणित - BJP और JDU की सीटों पर असर

2025 के एग्जिट पोल में 2020 की तुलना में बीजेपी और जेडीयू की सीटों में बड़ा बदलाव आने का अनुमान है। भारतीय जनता पार्टी ने 2020 में 74 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार कई एग्जिट पोल में पार्टी के 63 से 70 सीटों के बीच रहने का अनुमान है, जो नुकसान का संकेत है। इसके विपरीत, जेडीयू ने 2020 में 43 सीटें जीती थीं, लेकिन कुछ एग्जिट पोल में इस बार इसे 55 से 62 सीटें तक मिलने की संभावना जताई गई है, जो जेडीयू को फायदा दिखा रहा है। यदि यह रुझान नतीजों में बदलता है, तो यह गठबंधन के भीतर जेडीयू की स्थिति को मजबूत कर सकता है।

महिला मतदाता- गेम चेंजर की भूमिका

2025 के विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं ने रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी दर्ज की है, जो चुनावों का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। दोनों चरणों को मिलाकर कुल मतदान प्रतिशत लगभग 66.91% रहा, जो 1951 के बाद से राज्य में दर्ज किया गया सर्वाधिक मतदान है। महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत लगभग 71% रहा, जो पुरुष मतदाताओं से काफी अधिक है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, विशेष रूप से महिलाओं से जुड़ी योजनाओं, का प्रभाव इस रिकॉर्ड-तोड़ मतदान में दिख सकता है।

वोट शेयर का खेल - बिहार की राजनीति का नियम

बिहार की राजनीति में अक्सर 'सबसे बड़ा दल' नहीं, बल्कि 'सबसे सही गठबंधन' जीतता है। 2020 में RJD का वोट शेयर (23.11%) सबसे अधिक था, फिर भी NDA ने सीटों के बंटवारे और अन्य दलों के साथ गठबंधन के कारण सरकार बनाई। यह तथ्य यह स्थापित करता है कि बिहार में गठबंधन की केमिस्ट्री व्यक्तिगत दल के वोट शेयर से अधिक महत्वपूर्ण है।

जातीय समीकरण और वोट प्रतिशत

एग्जिट पोल के अनुमानों में विभिन्न जातीय समूहों के मतदान के रुझान भी सामने आए हैं, जो बिहार के जटिल जातीय समीकरणों को दर्शाते हैं। सर्वे के अनुसार, सवर्णों (ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार), ओबीसी और एसटी के एक बड़े हिस्से ने NDA को वोट दिया है।

दूसरी तरफ, यादवों और मुस्लिमों का वोट प्रतिशत भारी संख्या में महागठबंधन के पक्ष में जाने का अनुमान है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि बिहार में जातिगत विभाजन अभी भी चुनावी परिणामों पर गहरा असर डालता है।

एग्जिट पोल के रुझान भले ही एक दिशा दिखा रहे हों, लेकिन 2020 के नतीजों ने यह साबित कर दिया था कि अंतिम परिणाम पूरी तरह से अलग हो सकते हैं। सभी राजनीतिक दल और जनता अब मतगणना के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो यह स्पष्ट करेगा कि बिहार में अगले पांच साल के लिए किसकी सरकार बनेगी।

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