वोटर लिस्ट विवाद: बिहार के बाद बंगाल-UP में भी स्क्रीनिंग, ECI ने बताया क्यों जरूरी है प्रक्रिया?

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बिहार में मतदाता सूची स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू। अब बंगाल-यूपी की बारी।  

मतदाता सूची की स्क्रीनिंग को लेकर विपक्ष ने बिहार बंद कराया, सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई। चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को संविधानिक बताया।

Bihar Voter List Screening : बिहार में वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर सियासत गर्म है। बुधवार, 9 जुलाई को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इसी बीच चुनाव आयोग (ECI) ने सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए इसे जरूरी कदम बताया है।

चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार के बाद वोटर लिस्ट स्क्रीनिंग की प्रक्रिया यूपी बंगाल जैसे अन्य राज्यों में भी अपनाई जाएगी। वहीं विपक्ष इसे गरीबों से मताधिकार छीनने की साजिश मान रहा है।

क्या है SIR और क्यों हो रहा विरोध?

  • भारतीय चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में SIR की शुरुआत की थी। इसका मकसद मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाना और पात्र नागरिकों को सूची में शामिल करना बताया गया। इसके लिए घर-घर जाकर फॉर्म बांटे गए और अब नागरिकों से पहचान और नागरिकता के जुड़े दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। लेकिन यहीं से विवाद शुरू हो गया है।
  • विपक्षी दलों और संगठनों का तर्क है कि नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का नहीं, केंद्र सरकार का काम है। आयोग ने आधार, राशन कार्ड जैसे आम दस्तावेजों को अमान्य कर दिया है। गरीब और प्रवासी मजदूर इस प्रक्रिया से बाहर किए जाने का डर है। कम समयसीमा और पूर्व परामर्श का अभाव लोकतंत्र के लिए घातक है।

चुनाव आयोग की सफाई: देशव्यापी प्रक्रिया है

  • बढ़ते विरोध के बीच ECI ने X (पूर्व ट्विटर) पर अनुच्छेद 326 की व्याख्या साझा की। जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया गया है।
  • आयोग ने स्पष्ट किया कि SIR सिर्फ बिहार नहीं, बल्कि देशभर में लागू होगी। बिहार के बाद असम, बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुदुचेरी में यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इन राज्यों में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
  • चुनाव आयोग ने बताया कि 2029 लोकसभा चुनाव से पहले सभी राज्यों में SIR प्रक्रिया अपनाई जाएगी। किसी भारतीय नागरिक का नाम नहीं हटाया जाएगा। वोटर लिस्ट से सिर्फ गैर-भारतीय या अयोग्य मतदाताओं को हटाया जा रहा है।
  • आयोग ने यह भी लिखा, SIR में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जो लोग अफवाह फैला रहे हैं, वे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: ADR और विपक्ष की याचिका

  • एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और योगेंद्र यादव सहित कई विपक्षी कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दाखिल की है। याचिका में SIR को स्वेच्छाचारी और असंवैधानिक बताया गया। साथ ही कहा गया कि नागरिकों पर भार डालकर पहचान सिद्ध करना अनुचित है। करोड़ों गरीब और प्रवासी मतदाता इससे प्रभावित होंगे।
  • आधार, राशन कार्ड को अस्वीकार करना वास्तविकता से परे है। यह समानता, लोकतंत्र और मताधिकार के खिलाफ है। 10 जुलाई 2025 को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तय हुई है।

आंकड़े क्या कहते हैं?

  • बिहार में 7.90 करोड़ फॉर्म छपवाए गए
  • 8 जुलाई तक 7.7 करोड़ फॉर्म वितरित
  • 3.70 करोड़ फॉर्म जमा हुए (46.95%)
  • इनमें से 18.16% फॉर्म ऑनलाइन भरे गए
  • अंतिम तिथि: 25 जुलाई 2025

बिहार बंद, पटन में विरोध-प्रदर्शन
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की अगुआई में 9 जुलाई को इसके लिए खिलाफ ‘बिहार बंद’ हुआ। INDIA गठबंधन के नेताओं ने पटना समेत कई शहरों में नारेबाजी करते हुए विरोध जताया। कुछ जगह चक्काजाम भी किए गए।

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