Bihar Chunav 2025: तेजस्वी की बुझती लालटेन में लौटी लौ, जानिए लालू परिवार की पारंपरिक सीट राघोपुर का इतिहास

तेजस्वी की बुझती लालटेन में लौटी लौ, जानिए लालू परिवार की पारंपरिक सीट राघोपुर का इतिहास
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राघोपुर विधानसभा सीट वैशाली जिले में आती है और इसे बिहार की हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक माना जाता है।

महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव राघोपुर सीट पर BJP के सतीश कुमार से कड़े मुकाबले में हैं।

पटना डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और पूरे चुनाव में सबके निगाहों में रहने वाले तेजस्वी प्रसाद यादव अपनी प्रतिष्ठित राघोपुर सीट पर पीछे चल रहे हैं। महागठबंधन, जो इस चुनाव में सत्ता में वापसी की राह देख रहा था, वह चुनाव में हुई बंपर वोटिंग से बिहार के पूर्व के इतिहास को जोड़ रहा था कि जब-जब 60% के ऊपर बंपर वोटिंग हुई है, तब-तब राष्ट्रीय जनता दल की वापसी हुई है। हालांकि, मतगणना के शुरुआती रुझानों और फिर अंतिम चरणों तक की गिनती से यह स्पष्ट हो रहा है कि जनता ने NDA गठबंधन को बंपर वोट देकर ऐतिहासिक जीत की ओर आगे बढ़ा दिया है।

इस निर्णायक मोड़ पर, विपक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की अपनी सीट भी खतरे में है, जहां उन्हें भारतीय जनता पार्टी के सतीश कुमार से कड़ी चुनौती मिल रही है।

2010 का ऐतिहासिक उलटफेर - जब सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराया

राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनावी मैदान में खड़े सतीश कुमार ने पहली बार 2010 में ही लालू परिवार को सबसे बड़ी शिकस्त दी थी, जब उन्होंने तेजस्वी की मां और तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 13,006 वोटों के भारी अंतर से हराया था। यह जीत राघोपुर के चुनावी इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई, क्योंकि यह सीट दशकों से लालू परिवार का अभेद्य दुर्ग मानी जाती थी।

उस समय, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन (JDU और BJP) के पक्ष में एंटी-इनकम्बेंसी नहीं बल्कि प्रो-इनकम्बेंसी थी। नीतीश कुमार ने अपने पहले कार्यकाल में कानून-व्यवस्था में सुधार और विकास कार्यों पर जोर दिया था, जिससे बिहार की जनता में एक नई राजनीतिक सूझबूझ और परिपक्वता दिखाई दी थी।

इस चुनाव में NDA गठबंधन ने 243 में से 206 सीटों पर रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की थी, जो मंडल दौर के बाद किसी गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री के लिए एक ऐतिहासिक सफलता थी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि 2010 के चुनावों में जनता ने केवल पारिवारिक राजनीति के ग्लैमर को खारिज कर दिया था और विकास तथा सुशासन के एजेंडे को प्राथमिकता दी थी। सतीश कुमार की जीत इसी "बदलाव की लहर" का नतीजा थी जिसने लालू परिवार के गढ़ में सेंध लगाई थी।

राघोपुर सीट का चुनावी इतिहास

राघोपुर विधानसभा सीट वैशाली जिले के अंतर्गत आती है और इसे बिहार की सबसे हाई-प्रोफाइल और अत्यधिक सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है, क्योंकि यह सीट लंबे समय से लालू प्रसाद यादव के परिवार का गढ़ रही है। इस सीट पर सबसे पहले 1995 में लालू प्रसाद यादव ने जीत हासिल की थी।

इसके बाद उनकी पत्नी, राबड़ी देवी ने इस सीट से लगातार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। राबड़ी देवी इस सीट से तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं। 2015 के विधानसभा चुनाव में, लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस सीट से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और जीत हासिल की।

सतीश कुमार यादव का राजनीतिक सफर

सतीश कुमार यादव मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक नेता हैं, जिनका राजनीतिक करियर लालू परिवार को चुनौती देने के लिए जाना जाता है। सतीश कुमार को पहली बड़ी पहचान तब मिली जब उन्होंने 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर राघोपुर सीट से चुनाव लड़ा। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के खिलाफ इस सीट पर सबसे प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे।

2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में, सतीश कुमार ने BJP उम्मीदवार के रूप में RJD के तेजस्वी प्रसाद यादव को कड़ी टक्कर दी।

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