बिहार SIR विवाद: सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस, वोटर लिस्ट में मृतकों के नाम जोड़ने का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR प्रक्रिया पर बहस: आधार और दस्तावेजों को लेकर सिंघवी की आपत्ति
Bihar SIR Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार, 12 अगस्त 2025 को बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर सुनवाई हुई। सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल और चुनाव आयोग के वकील के बीच तीखी बहस हुई। सिब्बल ने मतदाता सूची में मृत लोगों के नाम जोड़ने और जीवित लोगों को गलत तरीके से मृत दिखाने का आरोप लगाया है। जस्टिस सूर्यकांत ने ECI से तथ्यों के साथ तैयार रहने को कहा है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता मनोज झा की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें रखी। उन्होंने मतदाता सूची में बड़ी संख्या विसंगतियां गिनाई। कहा, मृत घोषित लोग जीवित और जीवित लोगों को मृत बताया गया है। इससे पात्र वोटर मतदान के अधिकार से वंचित हो जाएंगे।
कपिल सिब्बल के आरोप और दलीलें
सिब्बल ने कहा कि हर बूथ में यह त्रुटि पाई गई है। बताया कि एक निर्वाचन क्षेत्र में 12 लोग मृत होने के बावजूद जीवित दर्ज और कई जीवित लोग मृत दर्ज। बीएलओ ने कोई कार्रवाई नहीं की, वे क्या कर रहे हैं? फॉर्म 4 और फॉर्म 5 का भी सही इस्तेमाल नहीं हुआ।
सिब्बल ने कहा, आधार और जन्मतिथि जैसे दस्तावेज़ों को बाहर रखा गया। नियम 10 और नियम 12 का पालन नहीं किया गया। अधिवक्ता गोपाल एस ने कहा, 65 लाख मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा, यह तथ्यों और आंकड़ों से तय होगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
इस पर चुनाव आयोग के वकील ने कहा, यह एक मसौदा सूची है। हमने लोगों को सुधार के लिए आवेदन देने का नोटिस दिया है। कुछ खामियाँ तो होंगी ही। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा हमें तथ्य और आंकड़े चाहिए। वोटर लिस्ट में यदि मृत व्यक्ति जीवित दिखाया गया है तो आयोग से स्पष्टीकरण लिया जाएगा।
बिहार SIR को इन्होंने दी चुनौती
बिहार में SIR के बाद चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को मसौदा सूची प्रकाशित की है। 30 सितंबर 2025 तक दावे आपत्तियां बुलाई गई हैं। चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया को राजद, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, राकांपा (शरद पवार), भाकपा, सपा, शिवसेना (उद्धव), झामुमो, भाकपा (माले) के अलावा सामाजिक संगठन पीयूसीएल, एडीआर और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने चुनौती दी है।
