BJP प्रत्याशी सम्राट चौधरी की बायोग्राफी: एक क्लिक में जानिए उम्र, शिक्षा, परिवार, संपत्ति और राजनीतिक सफर

बीजेपी प्रत्याशी सम्राट चौधरी की बायोग्राफी।
BJP Candidate Samrat Choudhary: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख काफी नजदीक आ गई है। सभी पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं। इस बार के चुनाव में बिहार में कई हॉट सीटें हैं, जिन पर मान-सम्मान की लड़ाई है। इनमें से एक सीट मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा की है। इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ आरजेडी के अरुण कुमार और जन सुराज पार्टी के संतोष कुमार सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।
इसके अलावा तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल के सुखदेव यादव भी चुनौती पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी के नेता तारापुर विधानसभा क्षेत्र पर जीत हासिल करने के लिए वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं।
बीजेपी का कहना है कि सम्राट चौधरी जीतते हैं, तो क्षेत्र का भाग्य चमकेगा। अभी वह डिप्टी सीएम हैं, लेकिन आगे चलकर बिहार के मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। बता दें कि सम्राट चौधरी बीजेपी के अनुभवी नेता हैं। उनके राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। आइए जानते हैं सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर...
सम्राट चौधरी की बायोग्राफी
सम्राट चौधरी बीजेपी के दिग्गज नेता हैं। उनका जन्म 16 नवंबर, 1968 को मुंगेर के लखनपुर गांव में हुआ था। सम्राट के पिता का नाम शकुनी चौधरी और माता का नाम पार्वती देवी है। उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास रहा है। उनके पिता शकुनी चौधरी 7 बार विधायक और सांसद रह चुके हैं। वहीं, उनकी माता पार्वती देवी भी तारापुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रही हैं। सम्राट चौधरी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
सम्राट चौधरी ने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी सर्वोच्च योग्यता 'डॉक्टरेट' भी दर्ज है। परिवार की बात करें, तो सम्राट चौधरी की शादी ममता कुमारी से हुई है, जो पेशे से वकील हैं। उनके एक बेटा और एक बेटी है।
राजनीतिक सफर
सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर अनेक विवादों से घिरा हुआ है। उन्होंने साल 1990 में सक्रिय रूप से राजनीति में कदम रखा। सम्राट ने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। मई, 1999 में राबड़ी देवी की सरकार के तहत सम्राट चौधरी को बिहार का कृषि मंत्री बनाया गया। उनके शुरुआती कार्यकाल में उम्र को लेकर विवाद रहा, जिसकी वजह से नवंबर 1999 में उन्हें मंत्री के पद से हटा दिया गया। साल 2000 में वह पहली बार परबत्ता विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।
फिर साल 2010 में दोबारा इसी सीट से विधायक बने। इसके बाद साल 2014 में आरजेडी से अलग हुए गुट जेडीयू में शामिल हो गए। इसी साल जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जेडीयू सरकार में सम्राट को शहरी विकास और आवास मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। फिर 2017-2018 में वह बीजेपी में शामिल हो गए, जिसके बाद उन्हें बिहार बीजेपी का राज्य उपाध्यक्ष बनाया। फिर साल 2020 में सम्राट चौधरी को बिहार विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में चुना गया।
वर्तमान में बिहार के डिप्टी सीएम
साल 2021 में सम्राट चौधरी को बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री बनाया गया। फिर अगस्त 2022 में सम्राट को बिहार विधान परिषद में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया। मार्च, 2023 में वे बीजेपी बिहार राज्य इकाई के अध्यक्ष बनाए गए। जुलाई 2024 तक उन्होंने इसकी जिम्मेदारी संभाली। फिर जनवरी 2024 में सम्राट को बिहार का डिप्टी सीएम बनाया गया। उन्होंने विजय कुमार सिन्हा के साथ बिहार के दो उप-मुख्यमंत्रियों में से एक के रूप में शपथ ली। अपने राजनीतिक सफर में सम्राट चौधरी मे कई बार दल बदले। फिलहाल वे बीजेपी के अनुभवी नेता के रूप में जाने जाते हैं।
सम्राट चौधरी की कुल संपत्ति
चुनावी हलफनामे के अनुसार सम्राट चौधरी के पास चल संपत्ति के रूप में बैंक खातों, नकद राशि, बीमा निवेश, गहने और वाहन हैं। उनके परिवार के पास पास कुल नकद राशि 1,71,550 रुपये है। इसमें खुद सम्राट चौधरी के पास 13,500 रुपये और उनकी पत्नी के पास 35 हजार रुपये हैं। हलफनामे के अनुसार, सम्राट चौधरी के पास करीब 9.30 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। वहीं, उनके परिवार के पास कुल 1,98,62,854 रुपये की चल संपत्ति है। इस तरह कुल मिलाकर सम्राट के पास लगभग 11 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति है। चुनावी हलफनामे में उन्होंने बताया है कि उनके ऊपर कोई बड़ा कर्ज या आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
तारापुर से सीट जीतेंगे सम्राट?
बिहार के मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट पर सभी की निगाहें हैं। बीजेपी ने एनडीए प्रत्याशी के तौर पर सम्राट चौधरी को तारापुर से मैदान में उतारा है। वहीं, आरजेडी के प्रत्याशी अरुण कुमार साह उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष सिंह को तारापुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी ने 1985 से 2005 तक लगातार तारापुर सीट से 6 बार जीत हासिल की थी।
उन्होंने कांग्रेस, समता पार्टी और आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। हालांकि साल 2010 में शकुनी चौधरी को जेडीयू की नीता चौधरी ने मात दे दी। फिर 2015 में तारापुर की विधानसभा सीट पर नीता के पति मेवालाल चौधरी ने भी शकुनी चौधरी को हराया। साल 2020 के चुनाव में जेडीयू के मेवा लाल चौधरी ने इस सीट जीत हासिल की थी। हालांकि 2021 में मेवा लाल चौधरी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ, जिसमें जेडीयू के राजीव कुमार सिंह ने आरजेडी के अरुण कुमार को 3,852 वोटों से हराया।
अब इस सीट सम्राट चौधरी अपनी विरासत को सुरक्षित करने के लिए मैदान में उतरे हैं। तारापुर विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा समुदाय का प्रभाव सबसे ज्यादा है। यह राज्य में ओबीसी का दूसरा सबसे बड़ा वर्ग है। इसके अलावा यादव, दलित, मुस्लिम और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हालांकि राजनीतिक इतिहास की बात करें, तो कुशवाहा खानदान की इस सीट पर मजबूत पकड़ रही है।
