BJP प्रत्याशी रामकृपाल यादव की बायोग्राफी: एक क्लिक में जानिए उम्र, शिक्षा, परिवार, संपत्ति और राजनीतिक सफर

Ramkripal Yadav Biography
Ramkripal Yadav Biography: पटना जिले की दानापुर विधानसभा सीट सिर्फ राजधानी के दरवाज़े पर बसा इलाका नहीं, बल्कि बिहार की सियासत की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
यहां शहरी और ग्रामीण जनसंख्या का मिश्रण देखने को मिलता है। यादव, भूमिहार, कुशवाहा और ब्राह्मण समुदायों का प्रभाव यहां काफी गहरा है।
बाढ़, सड़कों की समस्या और बेरोजगारी यहां के मतदाताओं के प्रमुख मुद्दे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 6 नवंबर को इस सीट पर मुकाबला होगा, जहां भाजपा ने एक बार फिर अपने अनुभवी नेता रामकृपाल यादव पर भरोसा जताया है।

कौन हैं रामकृपाल यादव?
67 वर्षीय रामकृपाल यादव भाजपा के वरिष्ठ नेता और पटना की राजनीति का जाना-पहचाना चेहरा हैं।
वे पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बड़े नेता रहे, लेकिन 2014 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी और बिहार के प्रभावशाली यादव चेहरों में से एक माने जाते हैं।

उन्होंने 2014 में पटना की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया था।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रामकृपाल यादव का जन्म 12 अक्टूबर 1957 को पटना जिले के बेलछी गांव में हुआ था। वे एक साधारण किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से बी.ए. (ऑनर्स) और एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की।
छात्र जीवन में ही वे सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ गए थे। उनकी मेहनत, जमीनी जुड़ाव और लोगों के बीच सक्रियता ने उन्हें धीरे-धीरे एक लोकप्रिय नेता बना दिया।

परिवार और जाति
रामकृपाल यादव यादव जाति (OBC) से आते हैं, जो बिहार की राजनीति में अहम भूमिका रखती है।
उनकी पत्नी श्रीमती किरण देवी हैं और उनके तीन बच्चे हैं — दो बेटे और एक बेटी।
उनका परिवार सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर सक्रिय रहता है।
संपत्ति और पारदर्शिता
चुनावी हलफनामे के अनुसार, रामकृपाल यादव की कुल संपत्ति लगभग ₹3.2 करोड़ रुपये है। इसमें बैंक जमा, जमीन और आवासीय संपत्ति शामिल है। उन पर कोई गंभीर आपराधिक मामला लंबित नहीं है।

राजनीतिक सफर: लालू के साथ से मोदी की टीम तक
रामकृपाल यादव का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है।
- उन्होंने राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से की थी और लंबे समय तक लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी रहे।
- 2000 से 2014 तक वे राज्यसभा और लोकसभा सांसद दोनों रह चुके हैं।
- 2014 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और उसी साल पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से भारी मतों से जीत हासिल की।
- नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें राज्य मंत्री (ग्रामीण विकास विभाग) के रूप में जिम्मेदारी दी गई थी।
- अब 2025 के विधानसभा चुनाव में वे दानापुर से मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला राजद उम्मीदवार ऋतलाल यादव से माना जा रहा है।
2025 का चुनाव
तीसरी बार बड़े चुनावी मैदान में उतर रहे रामकृपाल यादव का कहना है कि अब वक्त है कि राजनीति वादों से नहीं, काम से तय हो। उनका पूरा फोकस विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर है। भाजपा संगठन को भी उम्मीद है कि उनका अनुभव और जनता से सीधा जुड़ाव उन्हें जीत की ओर ले जाएगा।

बहरहाल, रामकृपाल यादव की कहानी बिहार की राजनीति में अनुभव, संघर्ष और जनसेवा की मिसाल है। वे यह साबित करते हैं कि राजनीति सिर्फ सत्ता का साधन नहीं, बल्कि जनकल्याण की जिम्मेदारी भी है। दानापुर की जनता के बीच उनका जुड़ाव और साख 2025 के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। उनकी यात्रा बताती है कि बिहार की नई राजनीति अब सेवा, सादगी और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।
