Nitish Kumar Cabinet: नीतीश सरकार में 9 मंत्री पद खाली, JDU को नए विधायकों का इंतजार

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बिहार में नीतीश कुमार कैबिनेट में अभी 9 और मंत्रियों के लिए जगह खाली है। JDU ‘अतिथि’ विधायकों के आने का इंतजार कर रही है, जबकि BJP और JDU के कोटे के हिसाब से नए विभागों का वितरण तय होगा।

Nitish Kumar Cabinet: बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के बाद भले ही 26 मंत्रियों को शपथ दिलाई जा चुकी है, लेकिन कैबिनेट में अभी भी विस्तार की पूरी संभावना बनी हुई है। संवैधानिक प्रावधान के अनुसार बिहार में अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में कुल 9 पद अब भी खाली हैं, जिनपर सभी दलों की निगाहें टिकी हैं।

कब होगा पहला कैबिनेट विस्तार?

एनडीए नेतृत्व की ओर से कैबिनेट विस्तार की कोई आधिकारिक तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन मंत्री पद से वंचित रहे विधायक इन नौ जगहों को लेकर पूरी तरह उम्मीद में हैं।

वर्तमान में एनडीए के पास कुल 202 विधायक हैं, जिनमें से 22 को मंत्री पद मिला, जबकि 4 सदस्य विधान परिषद से हैं। रालोमो के नेता दीपक प्रकाश अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, जिन्हें एमएलसी बनाया जाएगा।

पुराने मंत्रियों पर चली 'कैंची'

इस बार भाजपा ने अपने 7 पुराने मंत्रियों को फिर से मौका नहीं दिया। वहीं जदयू ने कोई नया चेहरा शामिल नहीं किया।

रालोमो और लोजपा (रामविलास) के तीन मंत्रियों को जो विभाग मिले हैं, वे पहले भाजपा के पास थे।

फिलहाल जदयू के वरिष्ठ मंत्रियों बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय चौधरी और श्रवण कुमार, सुनील कुमार पर अतिरिक्त जिम्मेदारी है।

इसी तरह BJP के मंत्री विजय सिंहा, मंगल पांडेय, नितिन नवीन और अरुण शंकर प्रसाद के पास भी दो-दो विभाग हैं। नए मंत्रियों की नियुक्ति होने पर इन विभागों का पुनर्वितरण होगा।

BJP में सवर्ण प्रतिनिधित्व कम

पिछली कैबिनेट में भाजपा से ब्राह्मण और भूमिहार समुदाय के दो-दो मंत्री थे, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर एक-एक रह गई है।

नीतीश मिश्रा और जीवेश मिश्र को जगह न मिलने से माना जा रहा है कि अगले विस्तार में इन दोनों जातियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है।

JDU को 'अतिथि' विधायकों का इंतजार

रिपोर्ट्स के अनुसार जदयू उन विधायकों का इंतजार कर रहा है जो महागठबंधन छोड़कर एनडीए में आ सकते हैं। अगर ये विधायक शामिल होते हैं तो जदयू की संख्या भाजपा के बराबर या उससे अधिक हो सकती है।

इन 'अतिथि विधायकों' को मंत्री पद देकर राजनीतिक संतुलन साधने की तैयारी है।

अगर ऐसा नहीं होता है, तो बचे हुए मंत्री पद जदयू अपने ही विधायकों में बांट देगा।

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