बिहार में का बा: लालू ने तेज प्रताप यादव को पार्टी-परिवार से निकाला, बोले- 'बेटे का आचरण हमारे मूल्यों-संस्कारों के अनुरूप नहीं'

tej pratap yadav
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तेज प्रताप यादव को लालू प्रसाद यादव ने पार्टी और परिवार से निकाला।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के भीतर एक बड़ा राजनीतिक और पारिवारिक भूचाल देखने को मिला। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के भीतर एक बड़ा राजनीतिक और पारिवारिक भूचाल उस समय आया जब पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव को न सिर्फ पार्टी से निष्कासित कर दिया, बल्कि उन्हें परिवार से भी अलग करने का एलान किया। रविवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट जारी कर लालू यादव ने इस निर्णय की जानकारी दी।

लालू ने लिखा, "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतः उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं। उसे 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है।"



बता दें, एक दिन पहले तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर अपनी मित्र अनुष्का यादव के साथ तस्वीर साझा करते हुए खुलासा किया था कि वे पिछले 12 वर्षों से एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में हैं। हालांकि इसे व्यक्तिगत मामला माना जा सकता है, लेकिन लालू यादव की प्रतिक्रिया से साफ है कि मामला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सार्वजनिक और नैतिक गरिमा से जुड़ा हुआ है।

तेज प्रताप की भूमिका पर लगातार उठते रहे हैं सवाल
तेज प्रताप यादव, जो कभी बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, अपने अजीबोगरीब बयानों, भगवा वस्त्रधारण और अर्जुन-कृष्ण जैसी उपमाओं को लेकर अक्सर विवादों में रहे हैं। इसके उलट उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव पार्टी की मुख्यधारा की राजनीति में स्थिर, संयमित और रणनीतिक नेता के तौर पर स्थापित हो चुके हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम तेजस्वी को पार्टी की विरासत सौंपने की दिशा में एक और ठोस प्रयास है। वहीं तेज प्रताप को संगठन से बाहर कर साफ संकेत दिया गया है कि अनुशासन से समझौता किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगा, चाहे वह परिवार का सदस्य ही क्यों न हो।

भविष्य की राजनीति पर नज़र
अब सबकी निगाहें तेज प्रताप यादव के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या वे राजनीतिक विराम लेंगे? क्या वे नया मोर्चा खड़ा करेंगे? या फिर समय के साथ पुनः वापसी का रास्ता तलाशेंगे? अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि राजद में नेतृत्व को लेकर अब कोई द्वंद्व शेष नहीं रहा।

इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर यह विमर्श खड़ा कर दिया है कि सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और निजी आचरण का संतुलन कितना महत्वपूर्ण है, और जब ऐसा संतुलन बिगड़ता है, तो उसका असर सिर्फ व्यक्ति पर नहीं, पूरे संगठन और परिवार की छवि पर पड़ता है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रभाव
राजद की छवि पर असर:
तेज प्रताप यादव का पार्टी से बाहर जाना राजद की साख के लिए दोतरफा असर डाल सकता है। एक ओर इससे यह संदेश जाएगा कि पार्टी अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करती, वहीं दूसरी ओर यह भी उजागर होता है कि पार्टी के भीतर गहरे मतभेद हैं।

तेज प्रताप का भविष्य: क्या तेज प्रताप अब राजनीति से दूर रहेंगे या कोई नया राजनीतिक मंच बनाएंगे? क्या वे अपने पिता के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं? ये सवाल आने वाले दिनों की राजनीतिक दिशा तय करेंगे।

तेजस्वी यादव की स्थिति: यह निर्णय तेजस्वी की स्थिति को और मज़बूत करता है। उन्हें अब निर्विवाद नेता के रूप में देखा जाएगा, पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह।

लालू के फैसले से तेजस्वी यादव सहमत

  • RJD नेता तेजस्वी यादव ने भी लालू यादव के फैसले पर सहमति जताई है। कहा, हम बिहार की जनता के लिए काम करते हैं, उनके सुख-दुख में भाग लेते हैं। हमें ये सब अच्छा नहीं लगता और हम इसे बर्दाश्त भी नहीं करते।
  • तेजस्वी यादव ने आगे कहा, जहां तक मेरे बड़े भाई की बात है। सबका राजनीतिक और निजी जीवन अलग है। निजी जीवन के निर्णय लेने का उन्हें भी अधिकार है।
  • राष्ट्रीय अध्यक्ष दल के नेता हैं। उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से अपनी भावनाएं स्पष्ट कर दी है। हम ऐसी चीजों को पसंद नहीं करते हैं।
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